Election 2024: बेहतर अर्थव्यवस्था से बदला माहौल, लोगों का भरोसा बढ़ा; केंद्र के सही फैसलों से आई खुशहाली
कभी भारतीय अर्थव्यवस्था को दुर्बल व अस्थिर श्रेणी में रखने वाली वैश्विक एजेंसियां अब अगले तीन साल में भारत को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का ताज पहनाने जा रही हैं। आइएमएफ व विश्व बैंक भारत को दुनिया के मैप का चमकता सितारा बता रहे हैं। यह कैसे हुआ इस सवाल का सीधा जवाब है-समय पर लिए गए फैसले सही क्रियान्वयन और आगे की दृष्टि।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। बदहाल अर्थव्यवस्था और खुशहाल आर्थिकी का अंतर महसूस करना कठिन नहीं है। 2004 से 2014 के बीच मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के कार्यकाल और उसके बाद से अब तक के नरेन्द्र मोदी सरकार के समय देश ने दोनों दौर देखे हैं। 2014 में मोदी के नेतृत्व में जब राजग सरकार ने लोगों की असीमित आकांक्षाओं के साथ कमान संभाली थी तब का परिदृश्य कुछ इस तरह था।
संप्रग सरकार के अंतिम महीनों में महंगाई दर 10 प्रतिशत के आसपास थी। चालू खाते का घाटा पांच प्रतिशत के चिंताजनक स्तर पर था और विदेशी मुद्रा कोष में सिर्फ 292 अरब डालर थे। कच्चे तेल की कीमत 90 डालर प्रति बैरल को पार कर रही थी। अर्थव्यवस्था की कमजोर बुनियाद को देख देश-विदेश के निवेशक केवल हिचक ही नहीं रहे थे, बल्कि हताश भी थे। विदेशी निवेशक तो तेजी से अपना फंड निकाल रहे थे। उन्हें ऐसी कोई तस्वीर नजर नहीं आ रही थी, जो उन्हें उनके निवेश के बदले कुछ मुनाफा पहुंचाती।
आर्थिक मजबूती की तरफ बढ़ता देश
तब देश और दुनिया की किसी भी एजेंसी ने यह सोचा भी नहीं था कि इन हालात में 10वें पायदान पर खड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 10 साल में पांचवें स्थान पर पहुंच जाएगी। यह हुआ और वह भी 2020 से 2022 तक कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बावजूद भी। जब बाकी दुनिया ने इस अभूतपूर्व चुनौती के समक्ष हथियार डाल दिए थे, तब भारत की इकोनमी न केवल टिकी रही, बल्कि एक बड़े हिस्से के लिए उम्मीद की किरण के रूप में भी उभरी। आज जब देश आर्थिक मजबूती की तरफ बढ़ रहा है, तब एक कारपोरेट प्रोफेशनल से लेकर समाज में सबसे पिछली पंक्ति में खड़े व्यक्ति के जीवन में भी व्यापक परिवर्तन आया है। सरकार के पास खर्च करने के लिए पैसा है।
भारत बना वैश्विक निवेश का केंद्र
यह सब संभव हो सका सरकार के उन सुधार कार्यक्रमों से, जिसने देश को वैश्विक निवेश का केंद्र बना दिया। मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने के लिए माहौल तैयार कर दिया। टैक्स की व्यवस्था बदलकर सरकार की आमदनी को बढ़ा दिया और इन सब की बदौलत लोगों के जिंदगी जीने के अंदाज को बदल दिया। अर्थव्यवस्था के विकास से लोगों की आय और खरीदारी क्षमता बढ़ने लगी। कभी बिजली को तरसने वाले गांवों में भी एसी और फ्रिज चल रहे हैं, क्योंकि बिजली की उपलब्धता बढ़ रही है। खाना बनाने के लिए लकड़ी जैसी चीजों पर निर्भर रहने वाले घरों में गैस चूल्हों पर खाना पकने लगा। सरकार को सामाजिक योजनाओं में खर्च करने के लिए भी पैसा मिला। इनके केंद्र में महिलाएं हैं।