Election 2024: दुमका में दिलचस्प जंग, पहली बार आमने-सामने सोरेन परिवार; चुनावी मैदान तक पहुंची पारिवारिक लड़ाई
झामुमो कांग्रेस का ज्यादा जोर आदिवासी बहुल सीटों पर कब्जे का है। 2019 के चुनाव में नरेन्द्र मोदी की लहर के बावजूद गठबंधन ने दो सीटों राजमहल और सिंहभूम पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा खूंटी व लोहरदगा में कम अंतर से हार हुई थी। 2019 में ही हुए विधानसभा चुनाव में आदिवासी बहुल सीटों पर पिछड़ गई थी।
प्रदीप सिंह, रांची। बिहार-झारखंड की राजनीति में पांच दशक से भी अधिक समय से धमक रखने वाले शिबू सोरेन के परिवार की लड़ाई अब रूठने- मनाने के दौर से बाहर निकलकर चुनावी मैदान तक पहुंच गई है।
शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन अपने परिवार के वर्चस्व वाली पार्टी झामुमो को छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। इसके साथ ही भाजपा ने उन्हें दुमका सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया है।दुमका सीट 1980 के बाद एक-दो चुनावों को छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा ( झामुमो) के ही कब्जे में रही है। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन यहां से आठ बार सांसद रह चुके हैं। 2019 के लोस चुनाव में भाजपा के सुनील सोरेन ने शिबू सोरेन को हरा दिया था। भाजपा इस बार भी सुनील को यहां से प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी, पर सीता सोरेन के पार्टी में शामिल होने के बाद प्रत्याशी बदल दिया।
कल्पना सोरेन को प्रत्याशी बनाने की चर्चा
उधर, मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को भाजपा व केंद्र सरकार का षड्यंत्र बताकर सहानुभूति लहर पैदा करने की कोशिश में जुटा झामुमो इस बार यहां से उनको प्रत्याशी बना सकता है। चर्चा हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन को भी प्रत्याशी बनाने की है, पर उन्हें गांडेय विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने की संभावना अधिक है।
दुमका में हेमंत या कल्पना में जो भी झामुमो का प्रत्याशी होगा, उसे अपने ही परिवार की सीता सोरेन से मुकाबला करना होगा। भाजपा की प्रत्याशी होने के साथ ही सीता भाजपा की स्टार प्रचारक भी होंगी। झामुमो की स्टार प्रचारक कल्पना होंगी। ऐसे में दोनों ही मोर्चों पर देवर-भाभी तथा देवरानी-जेठानी का मुकाबला दिलचस्प होगा।
आदिवासी बहुल सीटों पर ज्यादा जोर
झामुमो कांग्रेस का ज्यादा जोर आदिवासी बहुल सीटों पर कब्जे का है। 2019 के चुनाव में नरेन्द्र मोदी की लहर के बावजूद गठबंधन ने दो सीटों राजमहल और सिंहभूम पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा खूंटी व लोहरदगा में कम अंतर से हार हुई थी। 2019 में ही हुए विधानसभा चुनाव में आदिवासी बहुल सीटों पर पिछड़ गई थी।
अब भाजपा के लिए आदिवासी वोट हासिल करने में सेता कारगर साबित हो सकती हैं। सीता सोरेन के निशाने पर शिबू सोरेन का पूरा कुनबा होगा। झामुमो की ओर से सीता सोरेन के आरोप का जवाब कल्पना सोरेन दे रही हैं।चुनाव से जुड़ी और हर छोटी-बड़ी अपडेट के लिए यहां क्लिक करें