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पंजाब में स्‍टार प्रचारकों की कमी, कांग्रेस में नहीं है अब कैप्‍टन सा चेहरा; अकाली दल के सामने है ये बड़ी चुनौती

पंजाब में इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को छोड़कर सभी दलों के सामने स्टार प्रचारकों का संकट होगा। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद पहला आम चुनाव लड़ रहा है। पार्टी में अब उनके कद का कोई नेता नहीं है। पूरी जिम्मेदारी शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के कंधों पर आ गई है। यही हाल पंजाब कांग्रेस कमेटी का है।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Thu, 21 Mar 2024 06:34 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: पंजाब में स्टार प्रचारकों की कमी से जूझेंगे दल। फाइल फोटो।
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। पंजाब में भारतीय जनता पार्टी को अगर छोड़ दिया जाए तो लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों को स्टार प्रचारकों की कमी से दो-चार होना पड़ेगा। कई दशकों से पंजाब की राजनीति दो बड़े चेहरे कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल के इर्द-गिर्द घूमती रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों में कांग्रेस की बागडोर होती थी और प्रकाश सिंह बादल के हाथों में शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की।

अकाली दल में सुखबीर ही बड़ा चेहरा

2019 से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच काफी कुछ बदल गया। प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया है और कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए हैं। कैप्टन (82) स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं लेते। बादल के न होने से सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के कंधों पर ही आ गई है, क्योंकि वर्तमान में सुखबीर के कद का कोई नेता शिअद में नहीं है।

कांग्रेस में राहुल-प्रियंका से अधिक थी कैप्टन की मांग

कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में चलता फिरता ब्रैंड थे। कैप्टन की डिमांड हमेशा ही राहुल, सोनिया या प्रियंका गांधी से ज्यादा रहती थी। वहीं, कैप्टन का यह रिकॉर्ड रहा कि जिस क्षेत्र से वह चुनाव लड़ते थे उनके प्रचार के लिए कोई भी केंद्रीय नेता वहां नहीं आता था। कमोवेश यही स्थिति प्रकाश सिंह बादल की भी थी। शिअद के सबसे बड़े स्टार प्रचारक बड़े बादल ही हुआ करते थे।

अकाली दल के सामने यह परेशानी

शिअद की परेशानी यह भी है कि अब उनका भाजपा के साथ गठबंधन नहीं है। हालांकि गठबंधन की पुन: संभावना जरूर है। अगर शिअद का भाजपा के साथ गठबंधन नहीं होता है तो पार्टी के प्रचार की सारी जिम्मेदारी सुखबीर बादल के कंधों पर ही आ जाएगी।

केजरीवाल और मान के कंधों पर होगी आप की जिम्मेदारी

वहीं, दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, संजय सिंह के जेल में होने के कारण सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की सारी जिम्मेदारी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के कंधों पर होगी, क्योंकि आप के राज्यसभा सदस्य व 2022 के विधानसभा में आप की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले राघव चड्ढा भी आंखों का ऑपरेशन करवाने के लिए लंदन में है। ऐसे में आप की सारी जिम्मेदारी केवल केजरीवाल और मान के कंधों पर रहेगी।

प्रियंका और राहुल संभालेंगे प्रचार की कमान

कांग्रेस को भी केंद्रीय नेतृत्व का सहारा लेना पड़ेगा। पंजाब में उनके पास प्रताप सिंह बाजवा और प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग हैं, लेकिन इन नेताओं का कद कैप्टन के बराबर का नहीं है, क्योंकि कैप्टन दो बार पंजाब के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। इस स्थिति में कांग्रेस की पूरी जिम्मेदारी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के कंधों पर रहेगी।

भाजपा के पास स्टार प्रचारकों की कमी नहीं

वहीं, भाजपा के पास स्टार प्रचारकों की कमी नहीं है। प्रदेश स्तर पर उनके पास कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह के साथ कई राष्ट्रीय नेता हैं। ऐसे में भाजपा को छोड़ अन्य सभी दलों को स्टार प्रचारकों की कमी से दो-चार होना पड़ेगा।

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