Lok Sabha Election Phase 7: आखिरी जंग में क्या 2019 में हारी हुई ये दो सीटें जीत पाएगी भाजपा या फिर जीती हुई 11 को बचाना भी मुश्किल?
Lok Sabha Election 2024 Phase 7 पिछले लोकसभा चुनाव में इन 13 में से गाजीपुर और घोसी को छोड़कर अन्य 11 सीटें भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल (एस) के खाते में आई थीं। साल 2019 के चुनाव में भले ही भाजपा को जीत मिली थी लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में जीत को दोहराना आसान नहीं है। मुकाबला कांटे का होने की उम्मीद है।
चुनाव डेस्क, वाराणसी। लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर एक जून को मतदान होगा। इस चरण में देशभर की निगाहें उत्तर प्रदेश में मोदी की काशी पर होंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से जीत की हैट ट्रिक के लिए मैदान में उतरे हैं। 1 जून को उत्तर प्रदेश की जिन 13 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, उनमें महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, वंशगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मीरजापुर और रॉर्बट्सगंज में चुनाव होना है।
पिछले लोकसभा चुनाव में इन 13 में से गाजीपुर और घोसी को छोड़कर अन्य 11 सीटें भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल (एस) के खाते में आई थीं। साल 2019 के चुनाव में भले ही भाजपा को जीत मिली थी, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में जीत को दोहराना आसान नहीं है। इस चुनाव में एक तरफ आईएनडीआई गठबंधन है तो दूसरी तरफ भाजपा, अद और सुभासपा है। मुकाबला कांटे का होने की उम्मीद है। पेश है 13 सीटों के चुनावी रण पर जागरण की रिपोर्ट...
मीरजापुर: एक ही जाति के दो प्रत्याशियों से मुकाबला हुआ रोमांचक
मीरजापुर कई मायनों में इस बार रोचक होने वाला है। इसके पहले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मीरजापुर सीट पर विजेता रहीं अनुप्रिया पटेल तीसरी बार भी भाजपा गठबंधन से अपना दल (एस) की प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। वह केंद्र सरकार में उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय में मंत्री हैं।आईएनडीआई गठबंधन से सपा के प्रत्याशी राजेंद्र एस बिंद हैं। इन्हें 2019 में भी टिकट मिला था लेकिन बाद में पार्टी ने काट दिया था। बसपा ने बगैर किसी गठबंधन के मनीष त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने अपने कैडर से ही कार्यकर्ता को आगे बढ़ाया है। इस चुनाव में अपना दल कमेरावादी भी कूद गई है। कमेरावादी ने दौलत सिंह पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है।
सलेमपुर: इस बार की लड़ाई होगी त्रिकोणीय
सलेमपुर सीट बलिया जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र बांसडीह, सिकंदरपुर, बेल्थरारोड और देवरिया जिले का सलेमपुर तथा भाटपाररानी को मिलाकर बनी है। मुस्लिम आक्रमणकारियों के आने से पहले गुप्त वंश और पाल शासकों के अधीन रहे इस क्षेत्र में इस बार लड़ाई त्रिकोणीय होने की संभावना है। भाजपा ने तीसरी बार रवींद्र कुशवाहा को मैदान में उतरा है। वह लगातार दो बार से सांसद हैं।सपा ने पूर्व सांसद रमाशंकर राजभर विद्यार्थी तथा बसपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को टिकट दिया है। राजभर, कुशवाहा बाहुल्य इस सीट पर सपा, बसपा और भाजपा जातीय समीकरण साधने के लिए राजभर और कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया गया है। परिणाम तो भविष्य के गर्त में, लेकिन अभी तक लगातार तीसरी बार किसी भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली है।
बलिया : विपक्षी मतों में सेंध मारने की कोशिश
बागी बलिया का ताज, किसके सिर पर सजेगा, ये बड़ा दिलचस्प हो गया है। विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों पर नजर डालें तो भाजपा ने सांसद विरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काटकर पूर्व प्रधानमंत्री व आठ बार सांसद रहे चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को मैदान में उतारा है। वह यहां से सांसद भी रह चुके हैं। वर्तमान में भाजपा से राज्यसभा सदस्य हैं। आईएनडीआई गठबंधन ने सनातन पांडेय पर दोबारा विश्वास जताते हुए दांव लगाया है। बसपा ने सेना से रिटायर गाजीपुर निवासी लल्लन यादव को मैदान में उतारा है। भाजपा लगातार तीसरी जीत पक्की करने में जुटी है तो सपा पर इस सीट से जीत का सूखा खत्म करने की चुनौती है। बसपा ने भी सोशल इंजीनियरिंग का ख्याल रखते हुए यादव को मैदान में उतारकर पेच फंसा दिया है। सभी काडर वोट के साथ ही विपक्षी मतों में सेंध मारने में लगे हैं।घोसी: मुख्तार के प्रभाव से चुनाव रहेगा मुक्त
लोकसभा सीट घोसी पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय की कर्मभूमि रही है, जिस पर मुख्तार अंसारी का दबदबा रहता था। इस बार का चुनाव मुख्तार अंसारी के प्रभाव से मुक्त है। यहां भाजपा एनडीए गठबंधन से प्रदेश सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद चुनाव लड़ रहे हैं। आईएनडीआई गठबंधन से सपा के सचिव राजीव राय व बसपा से पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान चुनाव मैदान में हैं। यहां चौहान, राजभर, यादव, भूमिहार, निषाद व अल्पसंख्यक मतदाता चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। मंत्री दारा सिंह चौहान भाजपा में आ चुके हैं। ऐसे में राजभर व चौहान मतदाता चुनाव की दिशा भी तय करेंगे। राजीव राय को सपा कैडर वोट का भरोसा है। वह 2019 के चुनाव में भी सपा से चुनाव लड़े थे। पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान ऐन वक्त पर बसपा की सदस्यता ग्रहण किए हैं। इसके पूर्व अतुल राय यहां से बसपा से सांसद थे जो पांच साल जेल में रहे।चंदौली: विकास की बजाय यहां पर जातिवाद बन रहा मुद्दा
चंदौली लोकसभा सीट को चंदौली जिले की तीन विधानसभा क्षेत्र सैयदराजा, मुगलसराय व सकलडीहा और वाराणसी जनपद की शिवपुर व अजगरा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। यूपी-बिहार की सीमा पर बसे चंदौली में चुनाव के समय विकास की बजाए जातिवाद हावी रहता है। इस सीट पर भाजपा हैट-ट्रिक लगाएगी या सपा, बसपा करेगी वापसी इसे लेकर लड़ाई है। यहां 2014 और 2019 के चुनाव में मोदी लहर में भाजपा ने अपनी पुन: वापसी की। यहां से सांसद डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय न केवल केंद्र में भारी उद्योग मंत्री हैं बल्कि भाजपा ने तीसरी बार भरोसा जताया है। आइएनडीआई गठबंधन से सपा से पूर्व मंत्री रहे वीरेंद्र सिंह चुनावी मैदान में वाराणसी के अजगरा और शिवपुर क्षेत्र में अपने कार्यों को गिना रहे हैं। बसपा से सत्येंद्र मौर्य भाग्य आजमा रहे हैं। पीडीएम से प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से जवाहर बिंद को उतारा है। इस लोकसभा सीट पर जातिवाद हावी रहा है। यहां सबसे अधिक संख्या यादव वोटरों की है। हालांकि, अन्य पिछड़ी जातियों में भाजपा की पकड़ मजबूत होने के कारण मुकाबला दिलचस्प है।गाजीपुर: जातिगत वोट पर साइकिल दौड़ाने का प्रयास
गाजीपुर संसदीय सीट पर तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही चुनावी तस्वीर साफ होने लगी है। भाजपा ने जहां एकदम नया चेहरा और संघ पृष्ठभूमि से पारस नाथ राय पर भगवा फहराने की जिम्मेदारी दी है, वहीं सपा ने पिछले चुनाव में बसपा के सांसद रहे अफजाल अंसारी को इस बार साइकिल की सवारी दी है।सपा का प्रयास है की जातिगत वोट बैंक के दम पर साइकिल दौड़ाई जा सके। सांसद के पाला बदलने से खार खाए बैठी बसपा ने बीएचयू के पूर्व छात्रनेता व सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉ. उमेश कुमार सिंह पर दांव लगाया है। भारतीय जनता पार्टी जहां विकास और पांच साल तक सांसद के दिखाई न देने का मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में है, वहीं विपक्षी दल जातिगत वोटबैंक को साधने की जुगत में है। दरअसल, इस लोकसभा में 20,70,925 मतदाताओं में जातिगत समीकरण देखें तो वाईएम का समीकरण सात लाख का है, जो सपा को मजबूती के साथ खड़ा रखती है। भाजपा इस वोटबैंक में सेंधमारी के लिए हर दांव पेच आजमा रही है। भाजपा ने शिक्षक बनाम माफिया का नारा दिया है।