Lok Sabha Election: मतदान में पीछे शहरी मतदाता, कई क्षेत्रों में घटी महिलाओं की भागीदारी; कई बड़ी वजह आईं सामने
उत्तर प्रदेश में कम वोटिंग का मुख्य कारण मतदाताओं की उदासीनता माइग्रेशन शहरी क्षेत्र में वोटरों का घर से बाहर न निकलना और कई क्षेत्रों में महिलाओं की अपेक्षा से कम भागीदारी बना। निर्वाचन आयोग के स्तर से पिछले चुनाव में कम वोटिंग के ट्रेंड की पड़ताल के दौरान यह तथ्य सामने आएं हैं। प्रतिशत न बढ़ने पर भारत निर्वाचन आयोग चिंता जाहिर की है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कम पाया गया। पिछले आम चुनाव में देश भर में 67.40 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जबकि यूपी में यह आंकड़ा 59.21 प्रतिशत तक सीमित रहा। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में मतदान का प्रतिशत न बढ़ने पर भारत निर्वाचन आयोग चिंता जाहिर की है।
दो दिन पहले नई दिल्ली में हुई आयोग की बैठक का केंद्रीय मुद्दा यही रहा। पिछले चुनावों में कम मतदान के कारणों की पड़ताल से उपजे निष्कर्ष के आधार पर मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग ने चौतरफा प्रयास शुरू किए हैं और तकरीबन सभी सरकारी महकमों की जवाबदेही तय की है।
उत्तर प्रदेश में कम वोटिंग का ये है मुख्य कारण
उत्तर प्रदेश में कम वोटिंग का मुख्य कारण मतदाताओं की उदासीनता, माइग्रेशन, शहरी क्षेत्र में वोटरों का घर से बाहर न निकलना और कई क्षेत्रों में महिलाओं की अपेक्षा से कम भागीदारी बना। निर्वाचन आयोग के स्तर से पिछले चुनाव में कम वोटिंग के ट्रेंड की पड़ताल के दौरान यह तथ्य सामने आएं हैं। आयोग ने करीब सात प्रतिशत के इस अंतर को पाटने के लिए टर्नओवर इंप्लीमेंटेशन प्लान के तहत मुहिम शुरू की है।निर्वाचन आयोग द्वारा बीते लोकसभा चुनाव का वोटिंग ट्रेंड जानने के लिए विधानसभावार आकलन किया गया। जिसमें पाया गया कि 144 विधानसभा क्षेत्रों में माइग्रेशन (पिछले स्थान से किसी नए स्थल पर स्थानांतरण) कम वोटिंग की बड़ी वजह रहा। वहीं, 143 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की उदासीनता सामने आई।
पचास प्रतिशत से भी कम वोटिंग हुई
39 विधानसभा क्षेत्रों में शहरी मतदाताओं घर से बाहर कम निकले और 30 विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों के सापेक्ष पांच प्रतिशत या उससे ज्यादा कम रहा। धौरहरा विधानसभा क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के मतदान प्रतिशत में 11 प्रतिशत का अंतर पाया गया। जबकि वाराणसी दक्षिण में यह करीब 10 प्रतिशत तक रहा।वहीं, दर्जन भर से अधिक विधानसभा क्षेत्र ऐसे रहे जहां पचास प्रतिशत से भी कम वोटिंग हुई। इनमें इलाहाबाद उत्तर, इलाहाबाद दक्षिण, बलरामपुर, उतरौला, ओबरा, बैरिया, आर्यनगर, तुलसीपुर, इटवा, कानपुर कैंट, साहिबाबाद, डुमरिया गंज, गैसड़ी शामिल हैं।
इन विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से औसत पांच प्रतिशत कम रहा
धौरहरा, वाराणसी दक्षिण, मोहनलालगंज, आगरा दक्षिण, मेरठ, वाराणसी उत्तर, आर्यनगर, बाराबंकी, हरगांव, कस्ता, मुरादाबाद नगर, सीसामऊ, श्रीनगर, अलीगढ़, करहल, आगरा ग्रामीण, बिठूर, इलाहाबाद पश्चिम, इलाहाबाद दक्षिण, जयपुर, फिरोजाबाद, लखीमपुर, आगरा कैंट, तुलसीपुर, बिल्हौर, मुरादाबाद ग्रामीण, लहरपुर, जसवंत नगर, वाराणसी कैंट, अकबरपुर रनिया।इन 39 विधानसभा क्षेत्रों में शहरी मतदाता दिखे उदासीन
सहारनपुर नगर, मुजफ्फरनगर, संभल, रामपुर, मेरठ कैंट, मेरठ दक्षिण, लोनी, मुरादानगर, नोएडा, दादरी, कोइल, हाथरस, मथुरा, आगरा उत्तर, बरेली, बरेली कैंट, पीलीभीत, कटरा, साहिबाबाद, कानपुर कैंट, शाहजहांपुर, सीतापुर, सरोजनी नगर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ मध्य, लखनऊ कैंट, फर्रुखाबाद, कल्याणपुर, गोविंदनगर, किदवईनगर, महाराजपुर, झांसी नगर, गोंडा, गोरखपुर शहर, जौनपुर, मीरजापुर, इलाहाबाद उत्तर।मतदान बढ़ाने के लिए आयोग ने की यह पहल
- आवास विकास विभाग के सहयोग से रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और सहकारी आवास समितियों के प्रतिनिधियों से संपर्क कर मतदाताओं के बीच चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान। 217 अपार्टमेंट व सोसाइटी में बनाए गए हैं पोलिंग बूथ।
- महिला कल्याण विभाग की मदद से हर गांव व आंगनबाड़ी केंद्रों में महिला मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के किए जा रहे प्रयास।
- खाद्य एवं रसद विभाग के माध्यम से गैस एजेंसियों, पेट्रोल पंप और राशन की दुकानों के माध्यम से मतदाताओं को किया जा रहा जागरूक।
- रेलवे स्टेशन, एवं एयरपोर्ट पर एनाउंसमेंट एवं स्क्रीन पर वीडियो मैसेज किए जा रहे प्रसारित।
- स्कूली बच्चों के माध्यम से अभिभावकों से भरवाए जा रहे हैं संकल्प पत्र।