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Lok Sabha Election: देश के पहले मतदान के दौरान कैसा था माहौल, चुनाव के साक्षी मुरलीधर ने बताई पूरी कहानी

Lok Sabha Election 2024 देश में 18वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। 1951 से लेकर अब तक देश ने कई चुनाव देख लिए लेकिन पहला चुनाव हर मायने में खास था क्योंकि इसी ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव रखी थी। पहले चुनाव की आंखो-देखी बता रहे हैं 95 साल के मुरलीधर। पढ़ें खास रिपोर्ट

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 11 Apr 2024 07:50 PM (IST)
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पहले चुनाव में कई जगह मतपेटियों के स्थान पर कनस्तर का उपयोग किया गया था।

जागरण न्‍यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। देश में 18वीं लोकसभा के लिए सात चरणों में मतदान होना है। शुक्रवार यानी कल से तीसरे चरण के लिए नामांकन शुरू हो जाएगा। पहले चरण के लिए मतदान 19 अप्रैल को होना है। ऐसे में जागरण ने देश के पहले चुनाव में मतदान करने वाले मतदाता शमसाबाद के गांव चितौरा के रहने वाले मुरलीधर से बात की।

मुरलीधर अभी 95 साल के हैं। मुरलीधर उस वक्‍त को याद करते हुए बताते हैं कि देश के पहले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां जोरों पर थीं। गांव-गांव चुनाव का शोर था। मतदान केंद्र पर मतपेटिकाएं पहुंचाई जा रही थीं। कई जगह तो मतपेटियों की जगह कनस्तर का उपयोग किया गया था। ताला बंद कनस्तर पर सील थी और ऊपर का हिस्सा मतपत्र डालने के लिए कटा हुआ था।

मुरलीधर पहले चुनाव की याद करके बताते हैं कि मतदान से एक दिन पहले वह पूरी रात नहीं सोए थे। सभी को बताया गया था कि वह भारत के भाग्य विधाता हैं, अपने वोट से अपनी सरकार को चुनेंगे, जो इस देश को चलाएगी।

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रातभर नहीं आई नींद 

मुरलीधर कहते हैं, "इस बात की खुशी में पूरी रात नींद नहीं आई। मैं सुबह आठ बजे ही साथियों के साथ स्वतंत्र भारत के मतदान का साक्षी बनने के निकल पड़ा था। गांव से तीन किलोमीटर दूर स्थित गांव चितौरा में पैदल चलकर मतदान करने पहुंचा। मतदान केंद्र पर हम एक लाइन में बैठा दिए गए।"

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कनस्तर में पड़ा था वोट

उन्होंने आगे कहा "कर्मचारी एक-एक करके हमारा नाम पूछते और पर्ची पकड़ा देते। मेरा नाम पूछने के बाद पर्ची पकड़ा कर वोट डालने अंदर कमरे में भेज दिया। हमने अपनी मतदान की पर्ची को कमरे में रखे कनस्तर में डालने के बाद खुशी में दौड़ते हुए घर आए।और घूम-घूमकर बताया कि वोट डाल कर आए हैं।" 

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