Lok Sabha Result 2024: यूपी में खिसकता जा रहा बीजेपी का जनाधार, सपा-कांग्रेस को कैसे मिला जबरदस्त फायदा? जानिए इन चुनावों में वोटों का गणित
Lok Sabha Result 2024 2019 में बसपा का सपा-रालोद से गठबंधन था पार्टी 38 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 10 सांसद जीते थे। जिस तरह से बसपा का वोट घटता जा रहा है उससे उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तो खतरे में पड़ता दिख ही रहा है। कांग्रेस के पतन के साथ ही बसपा मजबूत होती गई अब कांग्रेस के बढ़ने से बसपा के अस्तित्व पर संकट है।
अजय जायसवाल, लखनऊ। अठारहवीं लोकसभा चुनाव के नतीजे सत्ताधारी भाजपा के लिए बड़े खतरे का संकेत देने वाले हैं। लोकसभा से लेकर विधानसभा के चुनाव में ‘भगवा’ दल की सीटें तो कम हो ही रही हैं, जनाधार भी खिसकता जा रहा है। पांच वर्ष में भाजपा के चाहने वाले 65 लाख घट गए हैं। सपा की लोकसभा में पहले से सीटें तो जरूर बढ़ रही हैं, लेकिन पिछले विस चुनाव से उसका जनाधार लगभग बराबर ही है।
विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में भी अकेले ही ताल ठोकने वाली बसपा का वोट बैंक तेजी से खिसक रहा है, उससे कहीं तेजी से कांग्रेस का बढ़ रहा है। 2019 में लोस चुनाव के तीन वर्ष बाद राज्य में वर्ष 2022 में विधानसभा और अब 2024 में लोकसभा के चुनाव कराए गए हैं। पांच वर्ष के दौरान हुए इन तीनों ही चुनाव में भाजपा की केंद्र से लेकर राज्य में सरकार रही। एक दशक से केंद्र में मोदी सरकार और सात वर्ष से राज्य में योगी की सरकार है।
प्रदेशवासियों के हित में मोदी-योगी की डबल इंजन की सरकार लगातार तमाम कार्य करती रहती है। खासतौर से गरीब शोषित-वंचित समाज के लिए लाभार्थी योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन ताजा चुनावी नजीतों से साफ है कि ज्यादातर मतदाताओं ने भले ही योजनाओं का पूरा लाभ उठाया हो, लेकिन उनका एकतरफा वोट भाजपा को नहीं मिला। प्रमुख पार्टियों को मिले मतों के ब्योरे पर गौर करने से स्पष्ट है कि भाजपा का पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार जनाधार खिसकता जा रहा है।
मतदाताओं की बढ़ी संख्या
भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में 4.29 करोड़ वोट मिले थे जो कि तीन वर्ष बाद विधानसभा चुनाव में घटकर 3.81 करोड़ रह गए। मौजूदा लोकसभा चुनाव में तो और खिसककर 3.62 करोड़ पहुंच गए हैं। मतलब यह है कि पिछले पांच वर्ष में लगभग 65.91 लाख मतदाता भाजपा से दूर चला गया है। पार्टी की लोकसभा में सीटें भी 62 से 33 हो गई हैं। यह स्थिति तब है जब पांच वर्ष के दौरान मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी।
सत्ताधारी पार्टी के घटते जनाधार के पीछे तमाम कारण हो सकते हैं, लेकिन एक बड़ा कारण यह भी माना जाता है कि जिस तरह से मई-जून की भीषण गर्मी में मतदान हुआ, उसमें भाजपा के वोटर घर से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सके। भाजपा के वरिष्ठ नेता और योगी सरकार में वित्त व संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना का मानना है कि अति आत्मविश्वास के चलते भाजपा समर्थक मतदाता वोट डालने ही नहीं पहुंचे।
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सपा का जनाधार कायम
डबल इंजन की सरकार ने प्रदेश में विकास कराने में पिछले सारे रिकार्ड तोड़े हैं, लेकिन इस चुनाव में विकास पर बिरादरी वाद-जातिवाद हावी रहा। राज्य के मुख्य विपक्षी दल सपा की बात करें तो उसके सांसद तो पांच से 37 हो गए हैं, लेकिन पार्टी को पिछले विस चुनाव में मिले 2.95 करोड़ मतों में कोई इजाफा नहीं हुआ। दो वर्ष बाद भी सपा के वोट लगभग यथावत ही रहे हैं। 2019 में बसपा-रालोद से गठबंधन कर 37 सीटों पर चुनाव लड़कर पांच सीटें जीतने वाली सपा को 1.55 करोड़ वोट मिले थे, लेकिन तीन वर्ष बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में उसके 1.40 करोड़ वोट बढ़ गए। बसपा तो अपनी चार दशक की राजनीतिक यात्रा के सबसे खराब दौर से गुजरती दिख रही है। दो वर्ष पहले के विधानसभा चुनाव से ही देखा जाए तो बसपा का वोट 36.39 लाख घट गया है। अगर पिछले लोकसभा चुनाव से देखें तो पार्टी के रिकार्ड 84.26 लाख वोट खिसक गए हैं।लगातार घट रहा बसपा का वोट
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में बसपा का सपा-रालोद से गठबंधन था और पार्टी 38 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 10 सांसद जीते थे। जिस तरह से बसपा का वोट घटता जा रहा है उससे उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तो खतरे में पड़ता दिख ही रहा है। चूंकि राज्य में कांग्रेस के पतन के साथ ही बसपा मजबूत होती गई इसलिए अब कांग्रेस के बढ़ने से बसपा के अस्तित्व पर गंभीर संकट माना जा रहा है। प्रदेश में हाशिये पर चल रही कांग्रेस पिछले लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक और विधानसभा चुनाव में दो सीट पर सिमट गई थी। पार्टी के लोकसभा से विधानसभा चुनाव में ही 33 लाख से ज्यादा वोट खिसक गए, लेकिन इस बार सपा से गठबंधन करने से लोकसभा चुनाव में पार्टी के एक से जहां छह सासंद हो गए हैं वहीं पिछले विधानसभा से कांग्रेस के रिकार्ड 61.43 लाख वोट भी बढ़ गए हैं।अपना दल की बुरी स्थिति
माना जा रहा है कि पिछले विस चुनाव से भाजपा और बसपा का खिसका जनाधार इस लोस चुनाव में कांग्रेस के साथ रहा। गौर करने की बात यह है कि एनडीए में शामिल अपना दल (एस) भाजपा का सहयोग करना तो दूर अपनी भी एक सीट नहीं बचा सकी। पार्टी का पहले से 2.32 लाख से अधिक वोट घट गया। अब एनडीए में शामिल रालोद से भी भाजपा को कोई खास फायदा होता नहीं दिखा। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के साथ और फिर विधानसभा में सपा के साथ रही रालोद के वोट भी इस चुनाव में घट गए हैं।प्रमुख पार्टियों ने यूं झटके वोट (प्रतिशत में)
- पार्टी 2019 2024
- भाजपा 49.98 41.37
- सपा 18.11 33-.59
- कांग्रेस 06.36 09.46
- बसपा 19.43 09.39
- रालोद 01.68 01.02
- अद(एस) 01.21 0.92
वोटों का गणित
- वर्ष 2024 के लोस चुनाव में वोटर 15,41,03,670
- वर्ष 2024 के लोस चुनाव में पड़े वोटर 8,77,23,028
- वर्ष 2022 के विस चुनाव में वोटर 13,88,10,557
- वर्ष 2022 के विस चुनाव में पड़े वोट 9,21,62,897
- वर्ष 2019 के लोस चुनाव में वोटर 14,61,34,603
- वर्ष 2019 के लोस चुनाव में पड़े वोट 8,57,56,301