Loksabha Election 2019 : कांग्रेस बढ़ेगी तो भाजपा का ही वोट काटेगी : नरेश उत्तम
कांग्रेस के साथ राजनीतिक शिष्टाचार निभा रही सपा की नजर पर्दे के पीछे के परिणाम पर है। प्रदेशाध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल मानते हैं कि कांग्रेस जितना बढ़ेगी भाजपा का ही नुकसान होगा।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Mon, 18 Mar 2019 10:34 AM (IST)
लखनऊ [हरिशंकर मिश्र]। यह राजनीति है, जिसकी रणनीति में कई परतें हैं और कई पर्दे। सतह से सियासत देखने वालों के लिए गुणा-भाग यह हो सकता है कि गठबंधन में शामिल न की गई कांग्रेस अगर बढ़ती है तो वह भाजपा के साथ-साथ सपा, बसपा और रालोद के वोटबैंक में भी सेंध लगाएगी। मगर, कांग्रेस के साथ राजनीतिक शिष्टाचार निभा रही समाजवादी पार्टी की नजर पर्दे के पीछे के परिणाम पर है। प्रदेशाध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल मानते हैं कि कांग्रेस जितना बढ़ेगी, भाजपा का ही नुकसान होगा। गठबंधन को उतना ही लाभ होगा। प्रस्तुत है उनके साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश-
- गठबंधन कर सपा आधे से अधिक लोकसभा सीटें छोड़ दी हैं। क्या इससे सपा को नुकसान नहीं होगा? सपा, बसपा और रालोद ने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए गठबंधन किया है। हमने कांग्रेस के लिए भी राजनीतिक शिष्टाचार में सीटें छोड़ी हैं। भाजपा की नीतियों के खिलाफ हमारा सामंजस्य है। इंतजार कीजिए, बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
- सपा और बसपा ने हाथ तो मिला लिया लेकिन, एक-दूसरे के प्रत्याशी के लिए वोट कैसे ट्रांसफर करा पाएंगे। क्या यह आसान होगा? -दोनों ही दलों ने गठबंधन की नींव के साथ ही इसके लिए काम शुरू कर दिया था। संयुक्त कार्यक्रम होंगे। कार्यकर्ता मिलकर क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ हमारी आंतरिक रणनीति भी है।
- पुलवामा हमले के बाद हुई एयर स्ट्राइक ने देश में अलग माहौल बना दिया है। क्या आपको नहीं लगता कि इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है? जनता भाजपा की नाकामी से नाराज है। देश में बेरोजगारी और महंगाई बढ़ी है। स्वदेशी के नारे की धज्जियां भाजपा सरकार ने उड़ा दीं। विदेशी वस्तुओं के लिए खुली छूट दे दी, जिससे कुटीर उद्योग बंद हो रहे हैं। जनता अब जुमलेबाजी में फंसने वाली नहीं है।
- प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने से कांग्रेस के हौसले बढ़े हैं। क्या कांग्रेस गठबंधन को नुकसान नहीं पहुंचाएगी? हम तो चाहते हैं कि कांग्रेस मजबूती से लड़े। कांग्रेस बढ़ेगी तो भाजपा का वोट काटेगी। इसका पूरा लाभ गठबंधन को मिलेगा।
- शिवपाल यादव अलग पार्टी बना चुके हैं। तमाम सपा नेता उनके साथ आ चुके हैं। क्या वह सपा के वोटबैंक में सेंध नहीं लगाएंगे? शिवपाल यादव के साथ सपा छोड़कर जितने भी नेता गए हैं, वह सभी आधारहीन हैं। क्षेत्र या जनता पर उनकी कोई पकड़ नहीं है। समाजवादी पार्टी के लिए भी उनका योगदान नहीं रहा। जिस मतदाता की आप बात कर रहे हैं। वह कतई असमंजस में नहीं फंसेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की समझ और नेतृत्व को सभी ने स्वीकार कर लिया है। सपा का पारंपरिक वोट पूरी तरह से अखिलेश यादव के साथ ही है।
- अल्पसंख्यक वोट पर सपा, बसपा के साथ कांग्रेस भी उम्मीदें संजोती है। अगर मुस्लिम मतदाता कांग्रेस में भी बंटा, तब गठबंधन को नुकसान नहीं होगा? हां, मुस्लिम मतदाता सपा, बसपा और कांग्रेस पर भी भरोसा जताता रहा है। मगर, जब अखिलेश यादव और मायावती साथ खड़े हों तो असमंजस या बिखराव का प्रश्न ही नहीं उठता। फूलपुर, नूरपुर सहित गोरखपुर जैसा भाजपाई किला ढहाकर इसे साबित भी कर चुके हैं।
- पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रदेश में बंपर जीत मिली। सपा और बसपा अपना असर नहीं छोड़ पाईं। ऐसे में आपकी जीत की उम्मीदों का आधार क्या है? जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता सौंपी। इनके वादों से मतदाता आकर्षित हुआ। केंद्र सरकार का पूरा कार्यकाल बीत चुका है और प्रदेश में योगी सरकार को भी दो साल हो चुके हैं। अब जनता सपा शासन में हुए विकास कार्यों और नीतियों को याद कर रही है। किसान और युवा सत्ता परिवर्तन करने के लिए तैयार बैठा है। यही हमारी जीत का सबसे मजबूत आधार है।
- यदि विपक्षी एकजुटता ने भाजपा को शिकस्त दी तो केंद्र में सरकार बनाने के लिए क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नेता के रूप में स्वीकार होंगे? विपक्षी एकजुटता भाजपा को सत्ता से बेदखल करने जा रही है, इसमें कोई संदेह नहीं है। अभी हमारी प्राथमिकता यही है कि ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतें। फिर जिस तरह से अभी हम सभी के बीच सामंजस्य है, उसी तरह का सर्वस्वीकार्य निर्णय हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व ले ही लेगा।