Move to Jagran APP

Mathura Lok Sabha Seat: ब्रज की जनता किसे देगी 'आशीर्वाद', हेमा मालिनी लगाएंगी जीत की हैट्रिक या विपक्ष करेगा वापसी? जानिए समीकरण

Mathura Lok Sabha Seat लोकसभा चुनाव में मथुरा उत्तर प्रदेश ही नहीं देश की सबसे हाई-प्रोफाइल सीटों में से एक है। विपक्षी गठबंधन की तरफ से विजेंद्र सिंह को उतारने की अटकलों के बीच उनके भाजपा में जाने से इस सीट को लेकर चर्चा और भी बढ़ गई है। अब कांग्रेस ने मुकेश धनगर को हेमा मालिनी के खिलाफ प्रत्याशी बनाया है। जानिए यहां का सियासी समीकरण।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 13 Apr 2024 04:00 AM (IST)
Hero Image
Mathura Lok Sabha Seat: कांग्रेस ने मुकेश धनगर को मथुरा से प्रत्याशी बनाया है।

अवधेश माहेश्‍वरी, मथुरा। चारों धामों से प्यारा अपना ब्रज धाम। कृष्ण की लीलाओं की इस धरा की रज को छूकर पुण्य पाने की चाहत ऐसी कि साल में 6.50 करोड़ श्रद्धालु यहां आते हैं। कभी वृंदा का वन और हरियाली से भरपूर वृंदावन की तो रंगत तो पूरी तरह बदल चुकी है। वहां बांके बिहारी की एक छवि निहारने के लिए आतुरता बढ़ती ही जा रही है।

ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ के दबाव से वहां की कुंज गलियां कहने लगी हैं कि बस...अब और नहीं। वहां रहने वालों की भी आवाज है कि हमें राहत देने को कुछ कीजिए। अब पिछले 10 साल में बदली एक दूसरी तस्वीर...। श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या का नतीजा है कि वृंदावन के आसपास के गांवों में भी कहीं खाली भूमि नहीं बची है।

बदल गई है तस्वीर

छटीकरा रोड हो या यमुना एक्सप्रेस वे से वृंदावन को मिलाने वाली सड़क हर जगह मल्टी स्टोरी भवनों के साथ दर्जनों कालोनियां उग चुकी हैं। चंडीगढ़-दिल्ली रोड की तरह विशाल ढाबे और शानदार रेस्त्रां खुल गए हैं। विकास की यह धारा अभी और तेज होगी। वजह है कि बांकेबिहारी के भव्य कारिडोर बनाने को शुरुआत होने वाली है।

साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वह वाक्य... कृष्ण भी अब कहां मानने वाले हैं, जो कृष्ण जन्मभूमि को लेकर बहुत कुछ कहता है। इससे मथुरा में चुनावी हवा और गर्म हो चली है। पश्चिम की प्रभावी जाट बेल्ट में शुमार मथुरा सीट पर भाजपा से तीसरी बार जीत को सुपर स्टार हेमा मालिनी मैदान में उतरी हैं। वह उन नेताओं में हैं, जो 75 वर्ष की आयु के बावजूद टिकट पाने में सफल रही हैं।

आईएनडीआईए ने मुकेश धनगर को बनाया है प्रत्याशी

आईएनडीआईए से कांग्रेस ने मुकेश धनगर को प्रत्याशी बनाया है, जो धनगरों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं। बसपा ने जाट समाज के सुरेश सिंह को महावत बनाकर भेजा है, जो सेवानिवृत्त आइआरएस अधिकारी हैं।

मथुरा सीट पर इस बार 19.29 लाख मतदाता हैं, जो पिछली बार से 1,21,657 ज्यादा हैं। पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हेमा माल‍िनी ने 6,71,293 वोट पाकर धमाकेदार जीत हासिल की थी। उन्होंने रालोद-बसपा और सपा गठबंधन के प्रत्याशी जयन्त चौधरी (3,77,822 मत) को पराजित किया था। अब रालोद और भाजपा का गठबंधन होने के बाद जयन्त हेमा के लिए प्रचार कर रहे हैं।

चुनाव से जुड़ी और हर छोटी-बड़ी अपडेट के लिए यहां क्लिक करें

नहीं दौड़ी साइकिल

कांग्रेस के लिए मथुरा प्रदेश की उन सीटों में है, जहां पार्टी प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह ने 2004 के चुनाव में जीत हासिल की थी। मुकेश के लिए एक चुनौती यह है कि सहयोगी दल सपा की साइकिल यहां कभी लोकसभा या विधानसभा के लिए नहीं दौड़ी। इसका दर्द अखिलेश यादव को भी रहा है।

सपा मथुरा में मजबूती क्यों नहीं पा सकी, यह आझई के लाल सिंह के जवाब से समझिए। वह कहते हैं कि वह सत्ता में थे तो अपराधी कट्टा लेकर चलते थे, ब्रज में यह संस्कृति नहीं है। पुलिस भर्ती की भी सबको पता है। बसपा प्रत्याशी सुरेश सिंह पूर्व में आरएसएस से जुड़े थे। परंतु टिकट के समय नीले खेमे का रुख कर लिया।

उनके लिए संगठन से समन्वय करने के लिए भी समय देना पड़ रहा है। बसपा के लिए मांट विधानसभा क्षेत्र अच्छी खबर वाला है, जहां आठ बार विधायक रहे श्यामसुंदर शर्मा की वजह से पार्टी दूसरी जातियों के वोट में भी हिस्सेदारी कर सकेगी।

ये भी पढ़ें- पवन सिंह Vs उपेंद्र कुशवाह या I.N.D.I. गठबंधन.. काराकाट सीट पर किसका खेल बिगाडेंगे भोजपुरी के 'पावर स्‍टार'?

चुनाव में और मुद्दे क्या हैं?

इस पर जैंत के थान सिंह कहते हैं कि मोदी सरकार में देश का नाम बढ़ा है। दुनिया में सब भारत का सम्मान करते हैं। वह कहते हैं तो थोड़ा आश्चर्य होता है, क्योंकि वह टाइल्स लगाने का कार्य करते हैं। आझई के 85 वर्षीय किशन सिंह कहते हैं कि किसने सोचा था कि अयोध्या का मंदिर बनेगा। मथुरा की बात फिर आगे बढ़ेगी। कांग्रेस ने 65 वर्ष की सत्ता में क्या मजबूत नेता नहीं दिया, इस पर कहते हैं कि इंदिरा गांधी थीं, अब तो कोई नहीं है।

हाथी की चाल कैसी है?

अड़ींग के सुनील सिंह का चेहरे का भाव बहुत कुछ कह देता है। वह कहते हैं कि मायावती को मौका दिया, लेकिन एससी-एसटी एक्ट में क्या हुआ, सबको पता है। भाजपा ने क्या दिया है? सांसद हेमामालिनी कैसी सांसद हैं? जीएलए विवि के पास दुकान करने वाले रवि कहते हैं कि हेमा जीत के बाद क्षेत्र में कभी नहीं आईं। परंतु चुनाव में मुद्दे राष्ट्रीय हैं। एक बड़ी समस्या यमुना प्रदूषण है और सभी दलों के एजेंडे में है। परंतु किसी प्रत्याशी के पास उत्तर नहीं कि मोक्षदायिनी को मोक्ष कैसे दिलाएँगे।

ये भी पढ़ें- 'हमारी बातों का जवाब क्‍यों नहीं देते', दिग्विजय सिंह ने EVM को लेकर फिर लगाए आयोग पर गंभीर आरोप; पूछे ये सवाल

कितना हुआ विकास

यमुना एक्सप्रेस वे बनने के बाद वृंदावन के साथ गोवर्धन, बरसाना की तस्वीर भी बदल चुकी है। छटीकरा से वृंदावन रोड पर ऐसा लगता है कि जैसे किसी मेट्रो सिटी में हों। ब्रज के स्वाद से भरपूर बेहतरीन खान-पान की दुकानें हैं। प्रेम मंदिर की छटा ने युवाओं की भीड़ को भी आकर्षित किया है। हर दिन दर्जनों टूर वहां पहुंचते हैं। रीयल एस्टेट में प्रोजेक्ट लांच की तेज रफ्तार है। ऐसे में यहां की आर्थिकी भी मजबूत हुई है। श्रद्धालुओं की भीड़ अब गोवर्धन और बरसाने में भी तेजी से बढ़ रहगी है।

ये भी पढ़ें- Anti Defection Law: देश में दल-बदल लॉ की जरूरत क्यों पड़ी और कैसे बना इस पर कानून? पढ़िए दिलचस्प बातें