Move to Jagran APP

रूसी मोदी.. मोहन ओबेरॉय से लेकर इन उद्योगपतियों ने आजमाई थी चुनाव में किस्‍मत; जानें कौन जीता और किसको मिली मात

Lok Sabha Election 2024 झारखंड में पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अबतक के सफर में कामाख्या नारायण सिंह बसंत नारायण सिंह जयपाल सिंह मुंडा कार्तिक उरांव कड़िया मुंडा शिबू सोरेन एके राय भागवत झा आजाद और बिंदेश्वरी दुबे आदि नेताओं की बिहार-झारखंड से लेकर केद्र तक की राजनीति में धमक रही है। कई चर्चित उद्योगपतियों ने भी यहां से किस्मत आजमाई।

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Mon, 08 Apr 2024 08:19 PM (IST)
Hero Image
Lok Sabha Chunav 2024: संयुक्त बिहार के जमाने में कई बड़े उद्योगपतियों ने इस क्षेत्र में आजमाई थी किस्मत।
 विकास कुमार, हजारीबाग। संयुक्त बिहार के जमाने से ही झारखंड क्षेत्र का चुनाव राजनीतिक रूप से अहम और रोचक रहा है। पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक के सफर में कामाख्या नारायण सिंह, बसंत नारायण सिंह, जयपाल सिंह मुंडा, कार्तिक उरांव, कड़िया मुंडा, शिबू सोरेन, एके राय, भागवत झा आजाद और बिंदेश्वरी दुबे आदि नेताओं की बिहार-झारखंड से लेकर केंद्र तक की राजनीति में धमक रही है। कई चर्चित उद्योगपतियों ने भी यहां से किस्मत आजमाई।

इनमें ओबेरॉय ग्रुप ऑफ होटल के मालिक मोहन सिंह ओबेराय से लेकर टाटा स्टील के चेयरमैन रहे रूसी मोदी और बर्न स्टैंडर्ड कंपनी के कर्ताधर्ता रहे प्राण प्रसाद तक चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, सफलता मोहन सिंह ओबेरॉय को मिली। वह चुनाव जीतने के बाद शपथ लेने के लिए कार के बजाय घोड़े पर सवार होकर लोकसभा परिसर में पहुंचे थे।

 साल 1967 के लोकसभा चुनाव में झारखंड के हजारीबाग से डॉ. बसंत नारायण सिंह चुनाव जीते थे। बिहार सरकार मे मंत्री बनने के बाद बसंत नारायण सिंह ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 1968 में हजारीबाग क्षेत्र में उपचुनाव हुआ।

यह भी पढ़ें - हरियाणा में भाजपा को बड़ा झटका, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र ने पत्नी संग छोड़ी पार्टी; सांसद बेटा पहले ही थाम चुका 'हाथ'

हजारीबाग के राजा और ओबेरॉय के बीच क्या था रिश्ता?

हजारीबाग के राजा बसंत नारायण सिंह का ओबेराय ग्रुप ऑफ होटल के मालिक मोहन सिंह ओबेरॉय से पारिवारिक संबंध था। इस कारण मोहन सिंह ओबेरॉय को उपचुनाव में हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से लड़ाया गया। उनका चुनाव चिह्न घोड़ा था। उन्होंने कीमती और लग्जरी मोटर कार छोड़कर घोड़े पर सवार होकर चुनाव प्रचार किया। 46 हजार से अधिक वोटों से उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को हराया था।

चुनाव जीतने के बाद जब शपथ लेने दिल्ली गए तो घोड़े पर सवार होकर लोकसभा पहुंचे। साल 1968 से लेकर 1971 तक मोहन सिंह हजारीबाग के सांसद रहे। हजारीबाग से लोकसभा में पहुंचने से पहले ओबेरॉय राज्यसभा के सदस्य थे। सन 2001 में भारत सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया था।

यह भी पढ़ें - Lok Sabha Election 2024: क्या संजय दत्त कांग्रेस के टिकट पर करनाल सीट से लड़ेंगे चुनाव? अभिनेता ने पोस्‍ट कर दिया जवाब

यहां हवा नहीं बना पाया हेलिकॉप्टर?

झारखंड के नजरिये से 1971 का लोकसभा चुनाव काफी चर्चित था। धनबाद लोकसभा क्षेत्र से जनता पार्टी ने प्राण प्रसाद को प्रत्याशी बनाया था। वे बर्न स्टैंडर्ड कंपनी से जुड़े थे। कंपनी के पास कई कोलियरी थीं। चुनाव में प्राण प्रसाद ने खूब पैसा बहाया। हेलिकॉप्टर से चुनाव प्रचार करते थे।

हेलिकॉप्टर को देखने के लिए खूब भीड़ उमड़ती थी। वह हवा बनाने के लिए बैलगाड़ी के जमाने में नेताओं और कार्यकर्ताओं को हेलिकॉप्टर की सवारी कराते थे।

1952 से लेकर अब तक के सभी लोकसभा चुनावों की जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

प्रचार के लिए बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को बाइक खरीद दी थी। कहा था-चुनाव के बाद बाइक लौटानी नहीं पड़ेगी। हालांकि, हेलिकॉप्टर उड़ाने और पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी प्राण प्रसाद चुनाव नहीं जीत पाए थे। उन्हें सिर्फ 23,714 मत मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी रामनारायण शर्मा चुनाव जीते थे। उन्हें 1, 07,308 मत मिले थे।

आभा महतो से हार गए थे रूसी मोदी

टाटा स्टील के चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक रहे रूसी मोदी ने भी झारखंड के जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाया था। उन्होंने 1998 में जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

यह भी पढ़ें -रोहिणी से लेकर शांभवी तक... बिहार में लोकसभा चुनाव से करियर शुरू करेंगे ये चेहरे; पढ़ें कौन-कहां से मैदान में है

भाजपा प्रत्याशी आभा महतो ने रूसी मोदी को पराजित किया था। आभा महतो को 2,96,686 और रूसी मोदी को 1,99,253 वोट मिले। दोनों के बीच हार-जीत का अंतर करीब 97 हजार था।

यह भी पढ़ें - Prashant Kishor: राहुल गांधी क्‍यों चला रहे हैं पार्टी? प्रशांत किशोर ने खुलकर बताया और दिया कांग्रेस को जीत का फॉर्मूला

रूसी मोदी का राजनीतिक परिवार से संबंध रहा है। उनके भाई पीलू मोदी विपक्ष के बड़े नेताओं में शुमार थे। वे लोकसभा में जब बोलने उठते थे तो सभी सदस्य ध्यान से सुनते थे। स्वतंत्र पार्टी के प्रमुख नेता था। वे भारत में उदारवादी एवं मुक्त आर्थिक नीतियों के समर्थक थे। रूसी मोदी के पिता सर होमी मोदी उत्तर प्रदेश के प्रथम राज्यपाल थे।

यह भी पढ़ें - यहां ढोल-नगाड़ा बजा लोगों को बुलाते थे प्रत्याशी, जान हथेली पर रख करते थे चुनाव प्रचार; क्‍यों डर के साये में जी रहे थे लोग?