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ओडिशा में गठबंधन, आरक्षण और रायबरेली सीट पर क्‍या बोले अमित शाह? केजरीवाल की अंतरिम जमानत को लेकर दिया यह जवाब

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बहुत विश्वास और साफगोई से कहते हैं- अगर वोट कम हो रहा है तो विपक्ष को चिंता करनी चाहिए। दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा ने अमित शाह से आरक्षण विवाद केजरीवाल की अंतरिम जमानत भाजपा में शामिल हुए दूसरे दलों के नेताओं जैसे कई विषय पर बात की। यहां पढ़िए जागरण से अमित शाह की बातचीत... 

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Tue, 14 May 2024 09:03 PM (IST)
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Lok Sabha Chunav 2024: यहां पढ़िए जागरण से गृह मंत्री अमित शाह की बातचीत

 लोकसभा की आधी से ज्यादा सीटों पर मतदान हो चुका है और बहस व चर्चाओं में आकलन का सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि वोटर कम निकल रहे हैं तो नुकसान किसे हो रहा है। छोटी उम्र से ही चुनावी गणित में रुचि रखने वाले भाजपा के चाणक्य व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बहुत विश्वास और साफगोई से कहते हैं- मैंने पूरी समीक्षा कर ली है, हमारे वोटर आ रहे हैं। यानी अगर वोट कम हो रहा है तो विपक्ष को चिंता करनी चाहिए।

दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा ने अमित शाह से आरक्षण विवाद, केजरीवाल की अंतरिम जमानत और भाजपा में शामिल हुए दूसरे दलों के नेताओं जैसे कई विषय पर बात की। यहां पढ़िए जागरण से अमित शाह की बातचीत...

सवाल: चार चरण का मतदान हो चुका है। हर चरण में वोटिंग पिछली बार की तुलना में कम हो रही है। ऐसे में आप भाजपा को कहां देख रहे हैं?

जवाब- चार चरणों में जिन 380 सीटों पर मतदान हुआ है। हम उसी में बहुमत का आंकड़ा पार कर चुके हैं। रही बात कम मतदान फीसद की तो इसे देखने का तरीका अलग-अलग होता है। बाहर बैठा कोई व्यक्ति इसे सीधे सत्ताधारी दल से जोड़ देता है, लेकिन वह इसकी तह में नहीं जाता है। जब संगठन में काम करने वाला व्यक्ति इसकी समीक्षा करता है तो दूसरे तरीके से देखता है।

शुरुआत में मैं भी चिंतित हुआ था, लेकिन फिर अध्ययन किया। रिपोर्ट देखी तो आज मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हमने 400 पार की जो बात कही है, हम वहां पहुंच रहे हैं। मैं हर राज्य की पूरी गिनती बता सकता हूं।

सवाल: 400 पार को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है। कह रहा है कि यह भाजपा का अभिमान है। दो तिहाई की बात इसलिएकी जा रही है, क्योंकि संविधान बदल देंगे। क्या ऐसा लगता है कि यह संख्या बोलना चूक थी?

जवाब- विपक्ष के पास कोई एजेंडा नहीं है। वह अपनी संख्या तो बता नहीं पा रहे हैं। संविधान बदलने के लिए 400 की जरूरत नहीं है। हमारे पास दो चुनावों में जो संख्या आई उसमें भी हमने बहुत बड़े-बड़े सकारात्मक काम किए और विपक्ष ने रोड़े अटकाने के प्रयास किए। वह तो अनुच्छेद 370 को लेकर हमारे कदम का भी विरोध कर रहे थे।

तत्काल तीन तलाक खत्‍म करने का भी विरोध कर रहे थे, जिससे समाज में महिलाओं के प्रति होने वाली कुरीति को खत्म किया गया। हम तो काम कर रहे हैं और करते रहेंगे, लेकिन क्या पार्टी को विस्तार का अधिकार नहीं है। हां, हमें 400 सीटें चाहिए, क्योंकि देश की राजनीति में शुचिता आए। देश की सीमा को चाक चौबंद रखना है। देश को विश्व की तीसरी बड़ी ताकत बनाना है और देश में जो कुछ गरीबी बची है उसे भी त्वरित गति से खत्म किया जा सके।

कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर बहुमत का दुरुपयोग किया था। कांग्रेस ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलकर बहुमत का दुरुपयोग किया था। महिला अधिकार को नकारकर अपना वोट बैंक बनाने का काम किया था। हम तो देश में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए बहुमत का उपयोग करते हैं।

सवाल: मतदाताओं में वह आक्रामकता क्यों नहीं है, जो 400 पार के लिए चाहिए?

जवाब - हमारी सरकार को वोट देने वाले मतदाताओं में पूरी आक्रामकता है। आप नतीजा देख लीजिएगा। पिछले 10 साल में देश की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी को देखा है, परखा है। वह तो निकल ही रहे हैं वोट देने के लिए। दूसरी पार्टियों के लोग समझें कि उनके वोटर क्यों नहीं निकल रहे।

नतीजा आएगा तो आप देख लीजिएगा कि भाजपा दक्षिण भारत की भी सबसे बड़ी पार्टी होगी। दक्षिण के पांच राज्यों में संयुक्त रूप से हमारी जितनी सीटें होंगी, उतनी सीटें किसी भी दल के पास नहीं होंगी।

सवाल: चुनाव की शुरुआत तो विकास के एजेंडे से हुई थी, लेकिन धीरे धीरे दोनों ओर से ध्रुवीकरण शुरू हो गया। क्या यह वोटर में आक्रामकता लाने के लिए था?

जवाब - ध्रुवीकरण हमारी ओर से नहीं, विपक्ष की ओर से किया गया। अगर वह धर्म के आधार पर आरक्षण की बात करेंगे, जोकि गैर-संवैधानिक है तो हमें जवाब देना होगा। कोई पाक अधिकृत कश्‍मीर (POK) छोड़ने की बात करेगा, पर्सनल लॉ लाने की बात करेगा तो हमें जवाब देना ही होगा। विकास से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ ये मुद्दे भी अहम होते हैं।

सवाल: राजग में शामिल कुछ दल तो मुस्लिमों को भी आरक्षण देने की बात करते हैं?

जवाब- हर दल का अपना अलग विचार हो सकता है, लेकिन भाजपा इसके पक्ष में नहीं है क्योंकि यह गैर-संवैधानिक है। कर्नाटक में मुस्लिमों के बीच पिछड़ों को ही नहीं, पूरे मुस्लिम वर्ग को आरक्षण की बात कर दी। इसका खामियाजा कौन भुगतेगा।

क्या हमारे दलित और पिछड़े भाई-बहनों का नुकसान नहीं होगा। अगर हम यह बोलें तो आप ध्रुवीकरण की बात कहेंगे, यह सही है क्या। जब तक इस देश में भाजपा का एक भी सांसद रहेगा, धर्म के आधार पर आरक्षण लागू नहीं होने देगा और इस देश में एससी-एसटी, ओबीसी आरक्षण का नरेन्द्र मोदी से बड़ा समर्थक कोई नहीं है।

सवाल: आपने 10 साल की बात कही। जिस समय आप केंद्रीय राजनीति में सक्रिय हुए थे। तब से 2024 तक की राजनीति और चुनाव में आप किस तरह का परिवर्तन देख रहे हैं?

जवाब- साल 2014 में देश की जनता ने संप्रग (UPA) सरकार से परेशान होकर भाजपा को वोट दिया था। इस चुनाव में मोदी सरकार के प्रदर्शन और अगले 25 साल के लिए आशाओं को लेकर वोट मिल रहा है। देश की जनता अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए वोट देने उतरी है। यह बहुत बड़ा परिवर्तन है। जनता झूठे वादों से भ्रमित न होकर उसे वोट दे रही है, जिसकी विश्वसनीयता है। जिसने करके दिखाया है। जो वादा किया वह पूरा किया है। मेरे अनुभव से देश में पहली बार देश में सकारात्मक एजेंडे पर वोटिंग होने जा रहा है।

सवाल: सांसदों के प्रदर्शन को लेकर कई जगह सवाल खड़े किए जा रहे हैं। क्या लगता है कि कई स्थानों पर उम्मीदवारों में बदलाव किया जाना चाहिए था?

जवाब- हमने अलग-अलग तरीके से सर्वे और समीक्षा करके उम्मीदवार तय किए हैं। जहां जरूरत थी, वहां बदल दिया। केंद्र सरकार का काम तो जमीन तक पहुंचा है।

सवाल: पार्टी के अंदर इसकी नाराजगी तो है कि बहुत बड़ी संख्या में बाहर से आए लोगों को टिकट दे दिया गया। ऐसे लोगों की संख्या 30 फीसद से ज्यादा बताई जा रही है?

जवाब- पार्टी के अंदर नाराजगी की बात ही नहीं है, ये तो आप लोग सवाल कर रहे हैं। जो लोग 10-12 साल से पार्टी में हैं, उन्हें भी क्या बाहरी कहा जाएगा। फिर तो आप मुझे भी बाहरी कहेंगे क्योंकि कभी न कभी तो मैं पार्टी में बाहर से ही आया।

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सवाल: लेकिन ठीक चुनाव के वक्त भी तो बहुत सारे लोग आए और कइयों को टिकट भी मिला?

जवाब- ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है। एक दर्जन के आसपास होंगे और उन्हें जहां से टिकट दिया गया, उसमें आधे से ज्यादा हमारी हारी हुई सीटें थीं।

सवाल: कांग्रेस के घोषणा पत्र में से कई मुद्दों पर तो आप बात कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने यह भी कहा है कि एनसीटीसी का जो काम अधूरा रह गया था, उसे भी पूरा करेंगे। इसका विरोध तब ममता बनर्जी ने भी किया था। इस पर आपका क्‍या कहना है?

जवाब- (हंसते हुए) कांग्रेस की तो पहचान ही है अधूरे काम को लेकर। उन्होंने कहा गरीबी हटाओ, चालीस साल हो गए पूरा नहीं किया। ऐसे अधूरे काम की लंबी लिस्ट है। दूसरी तरफ हम सारे काम पूरे करते हैं।

सवाल: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार के लिए जमानत मिली। आपको क्या लगता है इससे आईएनडीआई गठबंधन को ताकत मिली है?

जवाब- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर तो कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन पूरे मामले को समझिए। इनकी पहली याचिका थी कि गिरफ्तारी को खारिज किया जाए। अदालत ने नहीं सुनी। फिर सुधार करते हुए कहा कि जमानत दीजिए। उस पर भी कोर्ट नहीं माना। फिर चुनाव प्रचार की बात कही और कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है।

इस शर्त के साथ कि 2 जून को फिर से सरेंडर करेंगे। इसे कोई अपनी जीत मान रहा है तो समझ का फेर है। चार्जशीट पड़ी है कोर्ट के सामने। जहां तक गठबंधन की ताकत का सवाल है तो मैं इतना ही कहूंगा कि केजरीवाल जहां-जहां जाएंगे, वहां लोगों को शराब घोटाले की ही बात याद आएगी।

सवाल: रायबरेली से भी राहुल गांधी मैदान में हैं, यह उनकी पारंपरिक पारवारिक सीट है। रायबरेली में भाजपा कितनी मजबूत लड़ाई देगी?

जवाब- सबसे आपत्तिजनक बात तो यही है कि कांग्रेस रायबरेली को परिवार की सीट मानती है। लोकतंत्र में कोई भी सीट किसी परिवार की कैसे हो सकती है। खैर वह तो पूरे देश को ही परिवार की बपौती मानकर चल रहे थे। क्या हुआ। रायबरेली की जनता दिखा देगी कि वह क्या चाहती है। भाजपा बहुत मजबूती ले चुनाव लड़ रही है और जीतेगी।

सवाल: आपने कहा कि सोनिया गांधी ने अपनी सांसद निधि का 70 फीसद अल्पसंख्यकों पर खर्च किया है। इसका आधार क्या है?

जवाब- यह वहां के लोगों ने ही मुझे बताया। और अगर यह गलत है तो वह इसका खंडन क्यों नहीं कर रही हैं।

सवाल: ओडिशा में इस बार अलग स्तर पर चुनाव हो रहा है। बीजद और भाजपा में पहले कभी इतनी कटुता नहीं दिखी। क्या यह माना जाए कि बीजद के साथ भविष्य में कोई गठबंधन या सहयोग नहीं होगा?

जवाब- कटुता की बात नहीं है। चुनाव हो रहा है तो मुद्दे तो उठेंगे ही। जनता के सामने अपनी सोच को स्पष्टता से तो रखना ही पड़ेगा कि भाजपा ओडिशा को कहां ले जाना चाहती है और दूसरे लोग कहां ले जा रहे हैं। इस चुनाव में आपको जो कुछ चौंकाने वाले नतीजे दिखेंगे, उसमे एक ओडिशा भी होगा।

रही बात भविष्य के सहयोग और समर्थन की तो वह दूसरी स्थिति होती है। बीजद की ओर से केंद्र में जो सहयोग मिला, वह मुद्दा आधारित था। आंध्र प्रदेश में तो वाईएसआर कांग्रेस भी हमारे खिलाफ लड़ी थी, लेकिन कुछ मुद्दों पर उसका भी सहयोग मिला। देश के लिए कुछ मुद्दों पर एक साथ आना अलग चीज होती है। दोनों को मिलाना सही नहीं होगा।

सवाल: आपने कहा कुछ राज्यों से चौंकाने वाले नतीजे आएंगे। ओडिशा के अलावा कौन-कौन से राज्य आप मानते हैं, जहां नतीजा दिखेगा?

जवाब- दक्षिण की बात तो आपको बता चुका हूं। ओडिशा के अलावा बंगाल में भी आप देखेंगे कि हम 24-30 सीटों के बीच होंगे।

सवाल: विपक्ष आरोप लगाता है कि ईवीएम के कारण भाजपा बार-बार चुनाव जीतती है?

जवाब- आरोप लगाना तो विपक्ष का एकमात्र काम है। तथ्य एक भी नहीं है उनके पास। इस मामले में वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नहीं मानते हैं। अपनी सुविधा के अनुसार ही वह सुप्रीम कोर्ट को भी मानते हैं। कर्नाटक वह जीत गए तो क्या ईवीएम से चुनाव नहीं हुआ था। राहुल बाबा वायनाड से जीत गए। बंगाल में ममता जी सरकार में आ गई। यह कैसे हो रहा है।

सवाल: बंगाल में चुनावी हिंसा क्यों नहीं रुक रही है?

जवाब- यह सवाल तो आपको मुख्‍यमंत्री ममता से पूछना चाहिए। भाजपा शासित किसी भी राज्य में तो कोई हिंसा नहीं हुई। संदेशखाली की घटना के बाद बताने लायक कुछ है क्या। एक महिला मुख्यमंत्री के काल में महिलाओं के साथ जिस तरह का व्यवहार हुआ, उसे कौन नहीं देख रहा है।

सवाल: गुलाम कश्मीर में आजादी के नारे लग रहे हैं। पाकिस्तान पुलिस उसे दबाने में लगी है। आप क्या कहेंगे?

जवाब- दो बातें हैं, एक चीज वहां चल रही है और दूसरी तरफ हमारे देश में फारुक अब्दुल्ला और मणिशंकर अय्यर का बयान देख लीजिए। वो पाकिस्तान की बात कर रहे हैं। भारत को डरा रहे हैं और मजे की बात यह है कि कांग्रेस उसको नकार नहीं रही है। यह तो भारत की संसद का एकमत संकल्प है कि पीओके भी भारत का हिस्सा है।

सवाल: तो भाजपा सरकार क्या करने जा रही है?

जवाब- अभी चुनाव चल रहा है। इस बीच में हम कोई बयान नहीं देना चाहते हैं, लेकिन फिर से दोहरा देता हूं कि यह संसद का एकमत प्रस्ताव है कि पीओके भारत का हिस्सा है। हम तो उस प्रस्ताव में विश्वास करने वाले लोग हैं।

सवाल: माना जा रहा है कि आने वाले समय में वैश्विक स्थिति संकटपूर्ण रहने वाली है। उसके लिए किस तरह की तैयारी करनी होगी?

जवाब- यही तो कारण है कि हम 400 पार की बात कर रहे हैं। ऐसे काल में देश को बहुत ही मजबूत और कुशल नेतृत्व की जरूरत होती है। वह नेतृत्व सिर्फ मोदी जी ही दे सकते हैं। पिछले समय में भी जब विश्व के कई बड़े देश संघर्ष कर रहे थे तो मोदी जी के नेतृत्व में भारत आगे बढ़ रहा था। यही तो समझने की जरूरत है। देश के लोग इसे समझते भी हैं।

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सवाल: पूर्वोत्तर भारत में अधिकतर उग्रवादी संगठन मुख्यधारा में लौट चुके हैं, लेकिन मणिपुर की हिंसा नहीं रुक रही है?

जवाब- मणिपुर में नस्ली हिंसा है। इतिहास रहा है कि नस्ली हिंसा जब हुई तो एक डेढ़ साल तक चली है। पिछले छह सात महीने से छिटपुट घटनाओं को छोड़कर किसी बड़ी हिंसा की खबर नहीं आई है। एक बार चुनाव खत्म हो जाए तो भारत सरकार बहुत गंभीरता से उसे लेगी।