पश्चिमी बंगाल हिंसा मामला : BJP ने शुरू किया जंतर मंतर पर प्रदर्शन
पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की 713 कंपनियां और कुल 71 हजार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के बावजूद हिंसा की घटनाएं थम नहीं रही हैं।
By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 15 May 2019 01:42 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की 713 कंपनियां और कुल 71 हजार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के बावजूद हिंसा की घटनाएं थम नहीं रही हैं। राज्य में हर चरण के साथ राजनीति हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान जिस प्रकार की हिंसा देखी गई उसने लोकतंत्र को शर्मशार कर दिया है। अब इसके विरोध में भारतीय जनता पार्टी के नेता बुधवार को दिल्ली के जंतर मंतर के साथ साथ कोलकाता में धरने पर बैठे हैं। धरना प्रदर्शन में केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और हर्ष वर्धन के साथ कई स्थानीय और केंद्रीय नेता भी शामिल हैं।
प्रदर्शन में शामिल केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि ममता बनर्जी द्वारा बंगाल जी पवित्र भूमि को गुंडागर्दी का नाम दिए जाने से रोष में हैं। ममता बनर्जी को अगामी 23 मई को ऐसा करारा जवाब मिलेगा जिसकी ममता बनर्जी ने कल्पना नहीं की होगी। ममता सरकार प्रजातंत्र जी हत्या करने पर आमादा है। चुनाव आयोग व सुप्रीम कोर्ट को भारत के राष्ट्रपति से देश का नाम खराब करने वाली ममता सरकार को बर्खास्त करने की मांग करनी चाहिए नहीं तो 23 मई को जनता करेगी।
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा नई बात नहीं
पश्चिम बंगाल के लिए राजनीतिक हिंसा की घटनाएं कोई नई बात नहीं है। राज्य में राजनीतिक हिंसा का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसकी शुरुआत नक्सलवाड़ी आंदोलन को कुचलने से मानी जाती है। तत्कालीन कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने काफी क्रूरता के साथ इस आंदोलन का दमन किया था। इस हिंसा में कई हजार लोग मारे गए थे। इसके बाद राज्य की सत्ता पर आने वाले दलों ने भी अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ कांग्रेस का ही रास्ता अपनाया। कांग्रेस के बाद वाममोर्चा सरकार आई तो उसने प्रतिशोध में काम किया, जिसकी वजह से राज्य में राजनीतिक हिंसा का लंबा दौर चला। इसमें करीब 60 हजार लोग मारे गए थे। तृणमूल कांग्रेस सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 1977 से 2007 तक के कार्यकाल में 28,000 राजनीतिक कत्ल हुए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस, वाममोर्चा के बाद अब तृणमूल कांग्रेस भी उसी रास्ते पर चलने की कोशिश कर रही है।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप