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लोकसभा चुनाव से पहले BJP ने वेस्ट यूपी में खेला बड़ा दांव, बढ़ेगी अखिलेश यादव की मुश्किल

Lok Sabha Election 2024 भाजपा की रणनीति इस बार पश्चिमी उप्र की सभी 14 सीटों पर विजय प्राप्त करने की है। इसके लिए वह कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। ब्राह्मण राजपूत वैश्य एवं पंजाबी समाज भाजपा का परंपरागत वोट माना जाता है। इनके साथ पिछड़ा वर्ग को मजबूती से जोड़ने के लिए उन्हें खासा महत्व दिया जा रहा है।

By Dharmendra Kumar Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 10 Mar 2024 08:04 AM (IST)
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भाजपा ने पश्चिमी उप्र में अपनी ताकत की और मजबूत
धर्मेंद्र चंदेल, नोएडा। भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिमी उप्र को खासा महत्व दे रही है। विधान परिषद के लिए घोषित सात प्रत्याशियों में से दो पश्चिमी उप्र के हिस्से में आए हैं।

बिजनौर के रहने वाले अशोक कटारिया को फिर से टिकट दिया गया है। वह योगी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वतंत्र प्रभार के रूप में परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।

कई सीटों पर बीजेपी को मिल सकता है लाभ

भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। विधान परिषद का उनका कार्यकाल पूरा होने वाला था। पार्टी ने उन पर फिर से विश्वास जताते हुए पश्चिमी उप्र में गुर्जरों के साथ पिछड़ा वर्ग में अपनी पैठ और मजबूत की है।

अशोक कटारिया की पश्चिमी उप्र के साथ दिल्ली और हरियाणा के गुर्जर व अन्य पिछड़ा वर्ग मजबूत पकड़ मानी जाती है, इसलिए भाजपा को कई सीटों पर इसका लाभ मिल सकता है।

जाट बिरादरी से आते हैं मोहित बेनीवाल

शामली के रहने वाले मोहित बेनीवाल जाट बिरादरी से हैं। उन्हें पहली बार विधान परिषद का टिकट मिला है। नोएडा के सेक्टर 62 में रहने वाले मोहित बेनीवाल पश्चिमी उप्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। आइआइटी पास मोहित ने क्षेत्रीय अध्यक्ष रहते पार्टी को नई दिशा दी थी।

पढ़े-लिखे युवाओं को पार्टी से जोड़ा। इसका इनाम उन्हें विधान परिषद के टिकट के रूप में मिला है। वह बिजनौर से लोकसभा चुनाव की दावेदारी कर रहे थे। बिजनौर सीट रालोद के खाते में चले जाने के बाद उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की भी चर्चा जोरो पर थी, लेकिन सूची में उनका नाम नहीं आया था।

अन्य पिछड़ा वर्ग में भी पैठ और मजबूत

पार्टी ने उन्हें अब विधान परिषद में भेजकर जाटों के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग में भी पैठ और मजबूत की है। युवा वर्ग में मोहित बेनीवाल की पकड़ मानी जाती है। भाजपा की रणनीति इस बार पश्चिमी उप्र की सभी 14 सीटों पर विजय प्राप्त करने की है। इसके लिए वह कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही है।

ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य एवं पंजाबी समाज भाजपा का परंपरागत वोट माना जाता है। इनके साथ पिछड़ा वर्ग को मजबूती से जोड़ने के लिए उन्हें खासा महत्व दिया जा रहा है।

पश्चिमी उप्र की सभी 14 सीटों को जीतने का लक्ष्य

ब्राह्मण समाज और अनुसूचित जाति में भी मजबूत पैठ बनाए रखने के लिए योगी मंत्रिमंडल में साहिबाबाद के विधायक सुनील शर्मा व पुरकाजी के विधायक अनिल कुमार को केबिनेट मंत्री बनाया गया था। इसका उद्देश्य पश्चिमी उप्र की सभी 14 सीटों को जीतने का है।

इस बार रालोद के साथ गठबंधन

गत लोकसभा चुनाव में अमरोहा, बिजनौर, संभल, मुरादाबाद, रामपुर समेत सात सीटों पर भाजपा हार गई थी। किसान आंदोलन के कारण जाटों की नाराजगी को इसका कारण माना गया। जाटों को रालोद का पंरपरागत वोट बैंक माना जाता है, इसलिए भाजपा ने इस बार रालोद के साथ गठबंधन किया है।

विपक्ष की स्थिति कमजोर

भाजपा के केंद्र में फिर से सत्ता में आने के बाद रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को मंत्रिमंडल में भी शामिल किए जाने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में हैं। जानकार कहते हैं कि सपा का रालोद के साथ गठबंधन टूटने से पश्चिमी उप्र में विपक्ष की स्थिति कमजोर हुई है। इसके बावजूद भाजपा विपक्ष के लिए कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती, इसलिए वह जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर रणनीति बनाकर उस पर अमल कर रही है।