Chunavi किस्से: दिल्ली मे पहले भी चुनावी मुद्दा बन चुकी है शराब, गली-गली में लगे थे पोस्टर - 'वोट देने से पहले....'
Lok Sabha Election लोकसभा चुनाव में इस वक्त राजधानी दिल्ली में कथित शराब घोटाला मुद्दा बन चुका है। पक्ष और विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप में लगे हैं लेकिन इससे पहले भी एक आम चुनाव में शराब मुद्दा था। हालांकि तब मुद्दा कोई घोटाला नहीं बल्कि शराब बिक्री बंद करने का था। इस मुद्दे पर वोट मांगे गए थे। पढ़ें अतीत के आईने से ये रिपोर्ट...
निहाल सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली में वर्ष 1971 के आम चुनाव में भारतीय जनसंघ ने गली-मोहल्ले में हो रही शराब बिक्री को मुद्दा बनाया था। पूर्व अटल बिहारी बाजपेयी की फोटो और अपील के साथ दिल्ली की गली-गली में पोस्टर लगाए गए थे, जिसमें मतदाताओं से कहा गया था ‘वोट देने से पूर्व सब उम्मीदवारों से पूछिए, आपके क्षेत्र की शराब की दुकान को तत्काल बंद करने के लिए क्या करेंगे?’
इसके साथ ही यह भी लिखा था ‘शराब पीने वाला, शराब का समर्थन करने वाला तथा शराब के व्यापार में भाग लेने वाला आपकी वोट का अधिकारी नहीं हो सकता’ वर्ष 1971 के आम चुनाव को याद करते हुए तत्कालीन मेट्रोपॉलिटन काउंसलर सुभाष आर्य बताते हैं कि भारतीय जनसंघ के एजेंडे में गली-मोहल्लों में खुलने वाली शराब की दुकानों का विरोध था।
क्या थी मांगें?
स्पष्ट नीति थी कि न तो शराब बिक्री का समर्थन करेंगे न ही गली-मोहल्ले में शराब की दुकानें खुलने देंगे। जो दुकानें खुली हैं, उन्हें बंद कराएंगे। शराब की दुकानें शाम को जल्दी बंद होनी चाहिए और 25 वर्ष से कम आयु के लोगों को शराब की बिक्री नहीं होनी चाहिए। धार्मिक स्थलों से दूर होनी चाहिए।सुभाष ने बताया कि जनसंघ के नेता दिल्ली में जब चीफ मेट्रोपोलिटिन काउंसिल होती थी, तब बैठकों में इस मुद्दे को उठाते थे। कोई भी गली-गली शराब की दुकानें खुलने के पक्ष में नहीं था। यह पोस्टर भी तब लगे थे, जब शराब के कारण परिवारों को नुकसान हो रहा था। महिलाएं परेशान हो रही थीं।
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महिलाओं का मिला समर्थन
जब जनसंघ ने शराब बिक्री को बंद करने का मुद्दा उठाया, तो महिलाओं का समर्थन मिलना शुरू हो गया था। इसकी वजह से भारतीय जनसंघ के काउंसलर भी जीतकर आते थे। कार्यकर्ताओं से लेकर नेता तक न केवल इस मुद्दे को अपने पोस्टरों बल्कि पदयात्राओं एवं सभाओं में भी उठाते थे। महिलाओं और समाज के लिए यह मुद्दा संवेदनशील था।
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