Lok Sabha Election 2024: यहां हाथी, भालू और तेंदुए ने बढ़ाई प्रत्याशियों की धड़कन, जानिए क्या है इसका मतदान से कनेक्शन
Lok Sabha Election 2024 26 अप्रैल 2024 को लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान होगा। इससे पहले छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा क्षेत्रों में 24 हजार से अधिक मतदान केंद्र ऐसे हैं जहां के प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ गई हैं। इनको डर है कि यहां हाथी भालू और तेंदुए की वजह से कहीं ऐसा न हो कि जनता उनके साथ न्याय न करें। जानिए क्या है पूरा मामला ...
रामकृष्ण डोंगरे, रायपुर। छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा क्षेत्रों में 24 हजार से अधिक मतदान केंद्र हैं। इनमें से 400 से अधिक बूथ जंगल, नदी और पहाड़ियों से घिरे हुए हैं। भालू, तेंदुआ और हाथी की वजह से यहां मतदान दलों को चुनौती का सामना करना पड़ेगा। अकेले धमतरी जिले में 34 गांव टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आते हैं। यहां तेंदुआ व भालू का दिखाई देना आम बात है। इनके साये में 26 अप्रैल को मतदान होना है।
सरगुजा, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर संसदीय सीट के 150 से अधिक गांव हाथी प्रभावित है। 2023 के विधानसभा चुनाव में हाथी प्रभावित क्षेत्रों में वन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी ताकि मतदान प्रभावित ना हो।कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सिहावा विधानसभा में 259 मतदान केंद्र हैं, जो हाथी, तेंदुआ व भालू का विचरण क्षेत्र है। सिकासेर दल के 35 से 40 हाथी क्षेत्र में पांच से छह माह पहले से घूम रहे है। इन क्षेत्रों में सुरक्षित मतदान कराने के लिए वेबकास्टिंग के माध्यम से सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखने की तैयारी है। शाम और रात को हाथियों का दल गांव पहुंच जाता है, ऐसे में मतदान दलों और मतदाताओं पर हाथियों का खतरा बना रहता है।
यहां हैं 50 तेंदुआ और 60 से ज्यादा भालू
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के उप निदेशक वरुण जैन ने बताया कि धमतरी जिला अंतर्गत रिसगांव, असली कन्हार और सीतानदी रेंज में 34 गांव है, जो जंगली-जानवरों का विचरण क्षेत्र हैं। ट्रैप कैमरों के अनुसार, इस क्षेत्र में करीब 50 तेंदुआ व 60 से अधिक भालू हैं। मानव-हाथी के बीच द्वंद के चलते उत्तर से लेकर दक्षिण छत्तीसगढ़ में हाथियों की धमक भी बढ़ते जा रही है। यह लोकतंत्र के लिए भी चुनौती से कम नहीं है।
विधानसभा चुनाव के दौरान जिला प्रशासन ने हाथी प्रभावित क्षेत्र के मतदाताओं के लिए सुरक्षा का इंतजाम किया था। इसका प्रभावी असर दिखाई दिया था। लोकसभा चुनाव में भी कुछ इसी तरह की व्यवस्था की दरकार है।
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जंगल से बस्तियों की ओर पहुंचने वाले हाथियों के कारण अब तो हाथी प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले शहरी व ग्रामीणों के सामने चौबीस घंटे चुनौती रहती है। घर से निकले तो फिर सुरक्षित घर वापस लौटेंगे या नहीं, यह डर भी बना रहता है। बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत चिनिया की पूर्व सरपंच कलावती सिंह चार अप्रैल को महुआ संग्रहित करने निकली थी। उन्हें हाथियों ने कुचल कर मार दिया था।यह भी पढ़ें - Lok Sabha Election 2024: 'बड्डी उदास छलैय नेताजी, चेहरा पर अफसोस साफ देखैत रहै', खिसकती जमीन देख विचलित हो उठे नेताजी