Lok Sabha Election 2024: रेलवे स्टेशनों से भी गुजर सकती है 'वोट एक्सप्रेस', 1308 स्टेशनों के पुनर्निर्माण से वोटरों तक सीधी पहुंच
Lok Sabha Election 2024 रेलवे का विकास हमेशा से एक चुनावी और राजनीतिक मुद्दा रहा है। हाल के वर्षों में रेलवे ने काम-चलाऊ प्रवृत्ति छोड़कर शहरों की नई तस्वीर गढ़ने के लिए कदम बढ़ाया है। केन्द्र सरकार की देश के 1308 रेलवे स्टेशनों के पुनर्निर्माण की योजना भी छह-सात करोड़ आबादी तक सीधी पहुंच बनाती है। ऐसे में बीजेपी को इससे चुनावी लाभ मिलने की आस है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। रेलवे की अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देश के छोटे-बड़े 1308 स्टेशनों का अत्याधुनिक तरीके से पुनर्निर्माण करना है। इससे सिर्फ स्टेशनों की सूरत ही नहीं बदलेगी, बल्कि उस शहर का भी कायाकल्प होगा। भव्यता बढ़ेगी। यात्रियों के साथ-साथ उस शहर के निवासियों की भी सुविधाएं बढ़ेंगी। सफर सुहाना होगा और बड़ी संख्या में रोजगार के मौके भी पैदा होंगे।
जाहिर है, लगभग 80 हजार करोड़ की इस योजना से वोटर भी निष्प्रभावी नहीं रहेगा। काम आगे बढ़ चला है। रेलवे ने 1150 स्टेशनों के पुनर्निर्माण की निविदा निकाल दी है। बाकी भी प्रक्रिया में हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 500 स्टेशनों के पुनर्निर्माण का शिलान्यास भी कर दिया है।
गौरतलब है कि राजनीति से रेलवे का हमेशा प्रगाढ़ संबंध रहा है। आजादी के पहले महात्मा गांधी ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया था। हाल के तीन-चार दशकों में नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, ममता बनर्जी और रामविलास पासवान जैसे नेताओं ने वोट के लिए रेलवे का सहारा लिया, लेकिन केंद्र की वर्तमान सरकार ने रेलवे की काम-चलाऊ प्रवृत्ति को पीछे छोड़कर विकास की नई तस्वीर गढ़ने के लिए कदम बढ़ाया है। नवाचार किया है, जोकि शहरों की सूरत, निवासियों को सुविधाएं और स्थानीय कारोबारियों के रोजगार के साथ ही वोटिंग ट्रेंड में परिवर्तन के लिहाज से भी उर्वर होगा।
6-7 करोड़ आबादी होगी प्रभावित
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत चयनित 1308 स्टेशनों में तीन सौ ऐसे शहरों में हैं, जिनकी आबादी एक लाख से ज्यादा है। बाकी एक हजार से कम और 50 हजार से ज्यादा आबादी वाले शहरों के स्टेशन हैं। इन सभी छोटे-बड़े शहरों की आबादी को औसतन पांच लाख भी मान लिया जाए, तो करीब छह-सात करोड़ आबादी की पहुंच नए स्टेशनों की भव्यता तक सीधी हो जाएगी। स्टेशनों के आसपास के क्षेत्रों का विकास होगा। रोजगार के मौके बढ़ेंगे तो संपन्नता भी आएगी।
हालांकि इन स्टेशनों के विकास और वोट में पूरी तरह तब्दील होने में अभी समय लगेगा, लेकिन लोगों के उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक मार्च को जब देश में पांच सौ ऐसे स्टेशनों के पुनर्निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था, तो विभिन्न राज्यों से करीब 40 लाख लोग आनलाइन जुड़े थे। स्पष्ट है कि लोगों में स्टेशनों को लेकर अभी से उत्साह और इंतजार है, जो भविष्य के वोटिंग पैटर्न की ओर संकेत भी करता है। जब निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी तो और भी लोग जुड़ेंगे।
बदल जाएगी स्टेशन की अवधारणा
स्टेशन पुराने हैं, लेकिन तस्वीर नई होगी, क्योंकि उन्हें नई अवधारणा के साथ बनाया जा रहा है। स्टेशन परिसर में रेलवे नई सुविधाएं विकसित कर रहा है। एस्कलेटर एवं लिफ्ट लगी होंगे। सीढ़ियां अच्छी होंगी। साफ-सफाई का प्रबंध होगा। आफिस, माल, दुकान, रेस्त्रां बनाकर किराए पर दिया जाएगा। आने-जाने, खाने-पीने एवं मनोरंजन की सुविधाएं होंगी। स्थानीय लोगों का रोजगार भी बढ़ेगा। पहले के स्टेशनों में आम लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित होता है, लेकिन नए स्टेशन सबके लिए खुले रहेंगे। कोई आ-जा सकता है। ट्रेन आने में देर है तो प्रतीक्षारत यात्री परेशान नहीं होगा। स्टेशन परिसर की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकता है।
चुनाव से जुड़ी और हर छोटी-बड़ी अपडेट के लिए यहां क्लिक करें