जमीन पर साथ नहीं दिख रही कांग्रेस और आप, प्रभावित न हो भविष्य के हित; दोनों दल सतर्क
Lok Sabha Election 2024 इस लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में पांच राज्यों में चुनाव लड़ रही है। हालांकि पंजाब में दोनों ही दलों के बीच बात नहीं बनी। दिल्ली गुजरात हरियाणा गोवा और चंडीगढ़ में दोनों ही दलों के बीच गठबंधन है। पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और आप अलग-अलग चुनाव मैदान में हैं।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में दिल्ली सहित पांच राज्यों में आप कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ रही है, मगर दोनों दल जमीन पर साथ नहीं दिख रहे हैं। संयुक्त चुनाव प्रचार को लेकर अन्य राज्यों में तो दोनों की स्थिति खराब है ही, दिल्ली में भी गठबंधन इस मामले में अलग-थलग दिखाई पड़ रहा है।
यहां तक कि चुनाव प्रचार को लेकर बड़े आयोजनों में भी दोनों दल साथ-साथ नहीं आ रहे हैं। रोड शो से लेकर सभाओं तक में दोनों दल अपने अपने दम पर भीड़ जुटा रहे हैं।
क्या दोनों दलों में बनी है दूरी?
इस चुनाव के लिए आप के सबसे बड़े प्रचार अभियान में शनिवार को पूर्वी दिल्ली और रविवार को पश्चिमी दिल्ली सीट पर पार्टी के प्रत्याशियों के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के रोड शो में भी कांग्रेस की उपस्थिति लगभग शून्य रही है, जो इस बात की ओर इशारा कर रही है कि गठबंधन भले ही दोनों दलों में हुआ है, मगर भविष्य के अपने राजनीतिक हितों को देखते हुए दोनों दल आपस में दूरी भी बनाए हुए हैं। यहां तक कि दोनों दलों के आयोजनों में बड़े नेता भी एक मंच पर नहीं आए हैं।कांग्रेस लड़ रही ये लड़ाई
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की रणनीति की बात करें तो दोनों में उतनी ही दूरी है, जितनी आप और भाजपा में है। पार्टी के दिल्ली में सफाये के लिए भी कांग्रेस आप को ही जिम्मेदार मानती है। कांग्रेस यह बात साफ तौर पर कहती रही है कि कांग्रेस का जनाधार ही आप के पास गया है, इसे वापस लाने की कांग्रेस लड़ाई लड़ रही है।
ईडी से अकेले जूझ रही आप
यहां यह भी गौरतलब है कि केजरीवाल की परेशानियों में कांग्रेस उनके साथ खानापूर्ति के लिए कुछ मामलों में साथ दिखी है। गठबंधन के बाद केजरीवाल और उनकी पार्टी आज भी ईडी से अकेले ही जूझ रही है। जब 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया तो 31 मार्च को आईएनडीआई गठबंधन की रामलीला मैदान में हुई महारैली के लिए आप और कांग्रेस के नेता इसकी घोषणा के लिए ही केवल एक मंच पर आए।यह भी पढ़ें: भाजपा के सामने प्रदर्शन दोहराने और कांग्रेस के सामने साख बचाने की चुनौती, हिमाचल प्रदेश में दिलचस्प हुआ चुनावइसके बाद महारैली की आप तैयारी तो करती रही मगर तैयारियों के दौरान दोनों दल साथ नहीं आए। 31 मार्च से एक दिन पहले कांग्रेस ने इस आयोजन को लेकर प्रेस वार्ता की तो भी आप को अपने मंच पर नहीं बुलाया।
महारैली में सभी दल जरूर साथ आए, मगर उसके बाद से दूरी बनी हुई है। अब चुनाव प्रचार में भी दोनों अभी तक साथ-साथ नहीं दिख रहे हैं।जहां तक संयुक्त चुनाव प्रचार की बात है तो इन दलों ने इस बारे में घोषणा तो की थी और एक संयुक्त समन्वय समिति बनाने की बात भी की थी, मगर अभी तक यह सब कागजों में ही है।राजनीतिक जानकार कहते हैं कि मंच पर जिन-जिन दलों के नेता आते हैं, उनके कार्यकर्ताओं में एक साथ होने का संदेश जाता है, जो उनसे संबंधित दलों के प्रत्याशियों की राह आसान बनाता है। मगर आप और कांग्रेस में ऐसा माहौल नजर नहीं आ रहा है।