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Lok Sabha Election 2024: रोजगार बनेगा बड़ा चुनावी हथियार! कांग्रेस को पांच गारंटियों से आस; तो बीजेपी भी मुद्दा भुनाने को तैयार

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2024 के लिए महासमर की शुरूआत हो चुकी है। हर पार्टियां विभिन्न मुद्दों और वादों को लेकर वोटरों को रिझाने में जुटी हुई हैं। देश में युवा भी एक बड़ा मतदाता वर्ग है और उनके लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा। ऐसे में पार्टियां भी इस मुद्दे को भुनाने का मौका नहीं छोंड़ना चाहतीं। जानिए क्या है इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस की रणनीति-

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 21 Mar 2024 06:00 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: विपक्षी दल बेरोजगारी व युवाओं के लिए रोजगार को अहम मुद्दा बनाने पर जुटे हैं।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में स्टार्टअप महाकुंभ में शिरकत की। कार्यक्रम के दौरान पीएम ने अपने संबोधन में कहा "आज के हमारे युवा नौकरी खोजने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले हैं"। पीएम के इस कथन से निश्चित रूप से उन युवाओं को काफी प्रेरणा मिली होगी, जो अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि देश में 18-29 साल के 21 करोड़ युवाओं में से 99 प्रतिशत से अधिक युवा बिजनेस से पहले कहीं न कहीं एक नौकरी चाहते हैं।

यही वजह है कि आगामी अप्रैल से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल बेरोजगारी व युवाओं के लिए रोजगार को अहम मुद्दा बनाने पर जुटे हैं। कांग्रेस इन 21 करोड़ युवाओं, जिनके लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है, को पांच गारंटी देने की घोषणा कर चुकी है।

ये हैं कांग्रेस की गारंटियां

कांग्रेस की इन पांच गारंटी में सरकार में खाली 30 लाख पदों को तय समय में भरना, युवाओं को एक साल तक 8500 रुपए के मासिक मानदेय के साथ उन्हें कुशल बनाना, नौकरी के लिए होने वाली परीक्षा के पेपर लीक को रोकना, गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना एवं 5000 करोड़ के स्टार्टअप फंड का गठन शामिल है।

कांग्रेस अपने वादे से हर हाल में इन 21 करोड़ युवाओं को रिझाने की कोशिश करेगी और ऐसा होना लाजिमी भी है। रोजगार से बड़ा मुद्दा युवाओं के लिए और कुछ नहीं हो सकता है। बिहार में होने वाले गत विधानसभा चुनाव में राजद के नेता तेजस्वी यादव ने सत्ता में आते ही 10 लाख नौकरी देने का खूब जोर-शोर से प्रचार किया था।

बेरोजगारी एक अहम मुद्दा

तेलंगाना और कर्नाटक के विधान सभा चुनाव में भी कांग्रेस ने रोजगार के मुद्दे को उछाला था। यह अलग बात है कि सत्ता में आने के बाद शायद ही कोई पार्टी रोजगार देने के अपने वादे को पूरा कर पाती है। स्टाटिस्टा कंज्यूमर ने हाल ही में चुनाव के मुद्दों की जानकारी के लिए शहरी क्षेत्र के 24,000 उपभोक्ताओं का एक आनलाइन सर्वे किया, जिसमें 52 प्रतिशत ने बेरोजगारी को अहम मुद्दा बताया।

ऐसे में सत्ताधारी दल भाजपा पिछले दस सालों में हुए रोजगार सृजन और आने वाले समय में निकलने वाले रोजगार के मौके को निश्चित रूप से अपने चुनाव प्रचार में जोर-शोर से उछालेगी। सरकार कांग्रेस की तरह सरकारी नौकरी के पद भरने का वादा करे या न करे, लेकिन यह बताना शुरू कर चुकी है कि कैसे भारत के युवाओं को सिर्फ देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में रोजगार का मौका मिलने वाला है, क्योंकि आज अंग्रेजी बोलने वाले विज्ञान, टेक्नोलाजी व गणित के जानकार सबसे अधिक युवा भारत में ही है।

इन क्षेत्रों में बढ़ेंगी नौकरियां

बार्कलेज की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2023 से वर्ष 2027 के बीच ऑटोमेशन से दुनिया भर में 8.5 करोड़ नौकरियां जाएंगी, तो आर्टिफिशियल इंटेलिंजेंस (एआई) मशीन लर्निंग, फिनटेक व ई-कामर्स में 6.9 करोड़ नौकरियां निकलेंगी और इन नौकरियों से लिए भारत सबसे बड़ा सप्लायर होगा।

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डिजिटल इंडिया की वजह से कैसे लाखों युवाओं को घर बैठे उद्यम करने में मदद मिली और स्विगी, जोमैटो जैसी कंपनियों के उत्थान से कम पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार के अवसर मिले, यह किसी से छिपा नहीं है। आज के युवा यह बदलाव महसूस भी कर रहे हैं। उन्हें भी पता है कि स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, प्रधानमंत्री आवास योजना, सोलर मिशन, मेक इन इंडिया, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर फार्मा व अन्य 14 सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसिंटिव (पीएलआई) स्कीम, चिप, ग्रीन हाइड्रोजन जैसे कई नए सेक्टर में भारत दुनिया को नेतृत्व देने जा रहा है।

इन सेक्टर में लाखों की संख्या में नौकरियां निकलने वाली हैं। पिछले 10 सालों में ऐसी कई योजना व स्कीम से ब्लू कालर से लेकर व्हाइट कालर के सेक्टर में लाखों नौकरियां निकली भी हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति से देश के छोटे-बड़े सभी शहरों में इलेक्ट्रिक रिक्शा से निकलने वाला रोजगार एक बड़ा उदाहरण हैं। इन सबके बावजूद आने वाले चुनाव में रोजगार निश्चित रूप से ऐसा मुद्दा बनने जा रहा है जो सभी प्रमुख पार्टियों के एजेंडा में होगा और चुनाव प्रचार में रोजगार को लेकर नए-नए वादे होंगे।

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