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Mysore seat: यहां है 'राजा बनाम सामान्‍य नागरिक' की जंग, दांव पर CM की प्रतिष्ठा; क्‍या कांग्रेस की यह रणनीति होगी कारगर?

Lok Sabha Election 2024 कर्नाटक की मैसूर लोकसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व राजपरिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार को टिकट दिया है। पार्टी ने उन्हें मौजूदा सांसद प्रताप सिम्हा की टिकट काटकर उतारा है। कांग्रेस ने प्रदेश प्रवक्ता एम लक्ष्मण वोक्कालिगा को चुनाव मैदान में उतारा है। दोनों ही दलों ने इस चुनाव में अपनी ताकत झोंक रखी है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 16 Apr 2024 08:55 AM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: कर्नाटक की मैसूर लोकसभा सीट पर दिलचस्प हुआ मुकाबला।
पीटीआई, मैसूर। कर्नाटक की मैसूर लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। भारतीय जनता पार्टी ने यहां मौजूदा सांसद प्रताप सिम्हा का टिकट काटकर पूर्व राजपरिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार को उतारा है। वहीं कांग्रेस की टिकट पर एम लक्ष्मण वोक्कालिगा चुनाव लड़ रहे हैं। मैसूर के सियासी गलियारों में इसे 'शाही' बनाम 'आम आदमी' की लड़ाई कहा जा रहा है।

पूर्व राजपरिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार भाजपा से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का विश्वासपात्र माना जाता है। लक्ष्मण मौजूदा समय में कर्नाटक कांग्रेस के प्रवक्ता हैं।

सिद्धारमैया ने झोंकी ताकत

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसूर में पूरी ताकत झोंक रखी है। वे लगातार क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। उनका पूरा फोकस मैसूर लोकसभा सीट पर है। इसकी वजह है कि जिले की वरुणा विधानसभा सीट से वे विधायक भी हैं।

कांग्रेस ने खेला जातीय कार्ड

कांग्रेस ने मैसूर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर प्रत्याशी का चयन किया। दरअसल, कांग्रेस प्रत्याशी एम लक्ष्मण का संबंध वोक्कालिगा समुदाय से है। कृषि से जुड़ा यह समुदाय क्षेत्र में अपना प्रभुत्व रखता है।

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उपमुख्यमंत्री और कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार भी वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण के लिए समर्थन जुटाने की खातिर अपने समुदाय के नेताओं के साथ बैठकें कीं। वहीं भाजपा और जेडीएस भी इस समुदाय को लुभाने में पीछे नहीं हैं।

प्रतिष्ठा का सवाल बना मैसूर का रण

कांग्रेस मैसूर की लड़ाई को 'राजा बनाम सामान्य प्रजा' बता रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस चुनाव में स्थानीय मुद्दे भी मायने रखेंगे। अमेरिका से पढ़ाई करने वाले वाडियार मतदाताओं से शुद्ध कन्नड़ भाषा में बात कर रहे हैं। उधर, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कांग्रेस प्रत्याशी के पीछे पूरी ताकत लगा रखी है। मैसूर का चुनाव सिद्धारमैया के सामने प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

क्या अपनी पकड़ साबित कर पाएंगे सिद्धारमैया?

एक राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि सिद्धारमैया पर दबाव काफी स्पष्ट है क्योंकि उन्हें आगामी लोकसभा चुनावों में कर्नाटक और खासकर मैसूरु में जनता के बीच अपनी पकड़ को दिखाना है। सीएम सिद्धारमैया ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वाडियार के खिलाफ किसी तरह की अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल न करें क्योंकि चुनाव में इसका उल्टा असर हो सकता है।

जानें पिछले चुनावों का हाल

मैसूर लोकसभा क्षेत्र मैसूर और कोडागु जिले में फैला है। 2023 विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने पांच, जेडीएस ने दो और भाजपा ने एक सीट जीती थी। 

2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कर्नाटक की 28 में से 25 सीटों पर कब्जा किया था। भाजपा समर्थित एक निर्दलीय भी चुनाव जीता था। कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। दोनों ही दलों को एक-एक सीट मिली थी। दक्षिण कर्नाटक की 14 लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल और उत्तर कर्नाटक की 14 सीटों पर सात मई को मतदान होगा।

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