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Election 2024: चुनौतियों के दौर में दिग्गजों को चुनाव लड़वाती रही कांग्रेस; हरियाणा की 9 सीटों पर क्‍या रहेगी पार्टी की रणनीति?

Lok Sabha Election 2024 कांग्रेस एक सीट कुरुक्षेत्र में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में और बाकी नौ सीट पर स्वयं चुनाव लड़ेगी। नौ सीटों पर प्रत्याशी चयन के लिए कांग्रेस की चार बार स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हो चुकी है और एक बार हरियाणा के प्रत्याशियों का चयन करने के लिए केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी हो चुकी है।

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Thu, 11 Apr 2024 04:44 PM (IST)
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चुनौतियों के दौर में दिग्गजों को चुनाव लड़वाती रही कांग्रेस।
 बिजेंद्र बंसल, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही हरियाणा में भाजपा ने सबसे पहले अपने सभी 10 उम्मीदवार तय कर दिए हैं। इन उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार अभियान भी गति पकड़ रहा है, लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अभी तक एक भी उम्मीदवार तय नहीं किया है।

कांग्रेस एक सीट कुरुक्षेत्र में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में और बाकी नौ सीट पर स्वयं चुनाव लड़ेगी। नौ सीटों पर प्रत्याशी चयन के लिए कांग्रेस की चार बार स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हो चुकी है और एक बार हरियाणा के प्रत्याशियों का चयन करने के लिए केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी हो चुकी है।

आलाकमान ने फिर से स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक कर मजबूत प्रत्याशियों का पैनल तैयार करने के लिए कहा है।कांग्रेस आलाकमान दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारना चाहता है, लेकिन दिग्गज इस बार चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। वे चुनाव लड़ने के बजाय लड़ाने की भूमिका में रहना चाहते हैं।

हालांकि, कांग्रेस के चुनावी इतिहास पर निगाह डालें तो पार्टी ने विपरीत परिस्थितियों में कई बार दिग्गजों को चुनाव लड़वाया है। कई दिग्गजों ने विपरीत परिस्थितियों में लोकसभा चुनाव लड़कर अपना राजनीतिक कद बढ़ाया और पार्टी को भी मजबूती प्रदान की है।

 राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो आपसी गुटबाजी और राज्य में जिला व ब्लॉक स्तर पर संगठन हीन कांग्रेस के लिए 2024 का चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण है। इससे पहले कांग्रेस के लिए 1989, 1998 व 1999 के चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण रहे थे।

साल 1998 में भजन लाल करनाल से लड़े थे चुनाव

1998 में मध्यावधि चुनाव हुए तब पूर्व सीएम भजनलाल को पार्टी ने करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ाया और राजनीति के पीएचडी कहे जाने वाले भजनलाल ने इस चुनाव में जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में तब कांग्रेस को 10 में से तीन सीट मिली थी। रोहतक से भूपेंद्र सिंह हुड्डा और महेंद्रगढ़ से राव इंद्रजीत सिंह चुनाव जीत पाए थे।

1999 में दिग्गज नहीं निकाल पाए थे एक भी सीट

साल 1999 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में अटल लहर थी। तब कांग्रेस ने अंबाला से पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष फूलचंद मुलाना, फरीदाबाद से मेवात के दिग्गज नेता तैयब हुसैन के पुत्र जाकिर हुसैन, कुरुक्षेत्र से उद्योगपति ओपी जिंदल, करनाल से पूर्व सीएम भजन लाल, सोनीपत से पूर्व सांसद चिरंजीलाल शर्मा, रोहतक से भूपेंद्र सिंह हुड्डा, भिवानी से पूर्व मंत्री धर्मबीर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।

2019 में मोदी लहर में कांग्रेस ने उतारे सभी दिग्गज

2019 के चुनाव में अंबाला से पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा, सोनीपत से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रोहतक से तत्कालीन सांसद दीपेंद्र हुड्डा, करनाल से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, सिरसा से तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर, हिसार से पूर्व सीएम भजन लाल के पौत्र भव्य बिश्नोई, फरीदाबाद से अवतार भड़ाना, गुरुग्राम से पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव सहित भिवानी-महेंद्रगढ़ से पूर्व सीएम बंसीलाल की पौत्री पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को चुनाव लड़वाया गया। हालांकि कांग्रेस सभी 10 सीटों पर चुनाव हार गई थी।

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1989 लोकसभा चुनाव में दो पूर्व सीएम चुनाव मैदान में उतारे

1989 के लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में जब ताऊ देवीलाल की अगुवाई में जनता दल की सरकार थी और पूरे देश में कांग्रेस विरोधी लहर थी, तब लग रहा था कि ताऊ देवीलाल का जादू मतदाताओं के सिर चढ़कर बोलेगा। उस समय कांग्रेस के रणनीतिकारों ने पूर्व सीएम भजन लाल को फरीदाबाद और बंसीलाल को भिवानी से चुनाव मैदान में उतारा।

विपरीत परिस्थितियों में दोनों ने ही चुनाव जीते। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस का ओवरआल परिणाम ज्यादा बेहतर नहीं रहा। 10 में से पार्टी सिर्फ चार ही सीट जीत पाई थी। छह सीट पर जनता दल की जीत हुई थी।

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