Lok Sabha Election 2024: EVM से चुनाव कराने का बड़ा फायदा; बेकार नहीं जाता एक भी वोट, जबकि बैलेट पेपर में...
Lok Sabha Election 2024 EVM को लेकर अक्सर विपक्षी दलों का आरोप होता है कि इसमे गड़बड़ी की जा सकती है। हालांकि चुनाव आयोग ने ऐसी किसी भी संभावना से साफ इंकार किया है। इसके अलावा आंकड़े दर्शाते हैं कि बैलेट पेपर की जगह EVM से चुनाव कराने का बड़ा फायदा यह भी है कि इससे वोट बेकार नहीं जाते। पढ़ें खास रिपोर्ट-
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। चुनाव परिणाम अनुकूल नहीं होने पर हारने वाले राजनीतिक दलों के निशाने पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) होती है। पिछले कुछ वर्षों से ईवीएम में गड़बड़ी और उसे हैक कर चुनावी परिणाम प्रभावित करने के आरोप भी लगते रहे हैं।
कई राजनीतिक दल ईवीएम की जगह पहले की तरह बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग उठा चुके हैं। दूसरी ओर चुनाव आयोग ईवीएम को सुरक्षित बताता रहा है। इस बीच पिछले लोकसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि पोस्टल बैलेट से डाला गया हर पांचवां या छठा वोट रद हो जाता है, लेकिन ईवीएम से एक भी वोट व्यर्थ नहीं जाता हैं, ऐसे में ईवीएम मतदाताओं का वोट बेकार न होने की गारंटी है।
बैलेट पेपर से इतने वोट हुए रद
पिछले दो लोकसभा चुनाव में दिल्ली में पोस्टल बैलेट से डाले गए 18 से 19 प्रतिशत वोट रद हुए। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सात संसदीय क्षेत्रों के लिए 86 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। जिसमें 18,589 मतदाताओं ने पोस्टल बैलेट से अपना वोट दिया था। जिसमें 18.04 प्रतिशत पोस्टल बैलेट वोट रद करने पड़े थे।
जबकि ईवीएम से मतदान करने वाले किसी भी मतदाता का वोट रद नहीं हुआ था। इससे पहले वर्ष 2014 के चुनाव में करीब 19 प्रतिशत पोस्टल बैलेट वोट रद हुए थे। तब ईवीएम के महज गिनती के 54 वोट रद करने पड़े थे या फिर ईवीएम से रिट्रीव (प्राप्त) नहीं किया जा सका था।
EVM से मतदान कराना आसान
चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि ईवीएम से मतदान ज्यादा आसान होता है। वैसे भी चुनाव में एक-एक वोट की अहमियत होती है। ऐसे में ईवीएम से मतदान करना मतदाताओं के लिए ज्यादा अनुकूल है। वोटों की गिनती में भी गलती की आशंका नहीं रहती है। पोस्टल बैलेट या बैलेट से मतदान में खामी होने की संभावना ज्यादा रहती है।
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बैलेट पेपर में बरतनी होती है सावधानी
"पोस्टल बैलेट को मोड़ने का एक तरीका होता है। ध्यान रखना होता है कि उसे सही लाइन पर मोड़ा जाए, ताकि स्याही दूसरी तरफ न लगे। पहले जब बैलेट पेपर से मतदान होता था, तब चुनावी ड्यूटी में लगे कर्मियों को बैलेट पेपर मोड़ने का प्रशिक्षण भी दिया जाता था। पोस्टल बैलेट से मतदान के लिए सावधानी रखनी होती है। ईवीएम से वोट देने के लिए सिर्फ एक बटन दबाना होता है। इसलिए खामी की गुंजाइश नहीं होती है। यह मतदान का एक विश्वसनीय माध्यम है।"
- एसके श्रीवास्तव, पूर्व आयुक्त, दिल्ली राज्य चुनाव आयोग
ये देते हैं पोस्टल बैलेट से मत
चुनाव में सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। इस दौरान उन्हें एवं सैनिकों को पोस्टल बैलेट के माध्यम से मतदान करने की सुविधा दी जाती है। ताकि चुनावी ड्यूटी या अपने संसदीय और विधानसभा क्षेत्र से दूर किसी अन्य शहर में नौकरी करने के कारण वे अपने मतदान करने से अधिकार से वंचित न रह जाए।
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दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अनुसार 85 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के अलावा इस बार चुनाव के कवरेज के लिए अधिकृत पत्रकारों को पोस्टल भी बैलेट के माध्यम से मतदान करने की सुविधा दी जा रही है।
दिल्ली में लोस चुनाव में रद्द वोटों की संख्या
चुनावी वर्ष | कुल मतदान | पोस्टल बैलेट | वोट रद्द (पोस्ट बैलेट) | वोट रद्द (ईवीएम) |
2019 | 86,82,336 | 18,589 | 3354 | 0 |
2014 | 82,75,146 | 17,510 | 3335 | 45 |
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