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'कांग्रेस के 5 न्‍याय और 25 गारंटी, यह मोदी VS जनता का चुनाव'; पढ़ें मुसलमान, मंगलसूत्र और मुस्लिम लीग पर क्‍या बोले खरगे

Lok Sabha Election 2024 देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विशेष साक्षात्कार में सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने इस लोकसभा चुनाव को मोदी बनाम जनता का चुनाव बताया। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी महंगाई किसानों की मुसीबतें नारी न्याय वंचित-पिछड़े वर्ग और लोकतंत्र-संविधान बचाने की आवाज उठा रहे हैं। पढ़ें बातचीत के खास अंश...

By Sanjay Mishra Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 29 Apr 2024 03:47 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: मल्लिकार्जुन खरगे से जागरण की खास बातचीत।
संजय मिश्र, नई दिल्‍ली। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के सबसे गहरे राजनीतिक संक्रमण के दौर में पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले अनुभवी नेता मल्लिकार्जुन खरगे 2024 के चुनाव अभियान की चुनौतियों से निकलते हुए उर्जा और उत्साह के नए रंग में दिख रहे। चुनाव के इस मोड़ पर अब वे अपनी पार्टी के साथ विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए को सत्ता की दौड़ में शामिल होने का भरोसा दिखा रहे।

कांग्रेस घोषणापत्र के वादों के साथ दो चरणों के मतदान के पैटर्न को इस नई जगी उम्मीद का आधार मानते हुए दावा करते हैं कि इस चुनाव की लड़ाई जनता बनाम मोदी हो गई है, जिससे पनपी निराशा में पीएम मुसलमान, मंगलसूत्र, मुस्लिम लीग जैसे झूठे प्रचार के सहारे ध्रुवीकरण का प्रयास कर रहे।

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विपक्ष का चुनावी चेहरा नहीं होने से नुकसान की बात से असहमत होते हुए कहते हैं कि जनता गठबंधन के दलों के साथ मिलकर चुनाव बाद चेहरा तय करेगी और सच्चाई यह है कि मोदी की गारंटी की बात करने के सिवाय भाजपा के पास क्या है यह देश को मालूम ही नहीं। देशभर में जारी अपने धुआंधार चुनाव प्रचार अभियान की व्यस्तताओं के बीच राजधानी दिल्ली के राजाजी मार्ग स्थित अपने आवास पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दैनिक जागरण से लंबी बातचीत की। पेश है इसके मुख्य अंश:

सवाल: चुनाव में आरोपों-प्रत्यारोपों की जिस तरह झड़ी लगी है तो क्या माना जाए कि जनता के वास्तविक मुद्दों पर राजनीतिक पार्टियों को भरोसा नहीं है?

जवाब- ये हम नहीं कर रहे। हम कांग्रेस के पांच न्याय और 25 गारंटियों के जरिए जनता से संवाद कर रहे हैं। बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की मुसीबतें, नारी न्याय, वंचित-पिछड़े वर्ग के लिए योजनाओं से लेकर लोकतंत्र-संविधान बचाने व हिस्सेदारी न्याय की आवाज उठा रहे। आरोपों की राजनीति तो भाजपा-मोदी साहब कर रहे हैं।

वह जिस तरह भटक रहे उससे लगता है कि चुनाव का रूख भांप वे निराश हो गए हैं। तभी ऐसी बातें बोल रहे जैसे लगता हो कि देश को आजादी 2014 में ही मिली और उसके बाद ही सब कुछ हो रहा है। पहले 60 साल में कांग्रेस तथा दूसरी पार्टियों ने जो सरकारें चलाई उसकी उपलब्धियां उनके लिए देश की विरासत नहीं।

सवाल: लुभावने वादे-गारंटियों का घोषणापत्र में एलान होता है मगर इनके अमल पर संशय के सवाल रहते हैं, क्या न्याय पत्र को कार्यान्वयन की कसौटी पर परखा गया है?

जवाब- बिल्कुल हमने वही वादे किए हैं, जो पूरा कर सकते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच कार्यसमिति में कुछ मुद्दों पर तो घंटों चर्चा-बहस हुई। तमाम क्षेत्र के विशेषज्ञों, आर्थिक मामलों के जानकारों से मशविरा किया गया। देश की जनता को भी मालूम है कि नीतियां बनाने और उसे कार्यान्वित करने में कांग्रेस के मुकाबले में कोई आस-पास भी नहीं है।

सवाल: हकीकत यह भी है कि आपका घोषणापत्र विवादों का केंद्र बना हुआ है, क्या पार्टी की चिताएं नहीं बढ़ रही?

जवाब- हमारे न्याय पत्र में देश की गंभीर चुनौतियों और असल मुद्दों के समाधान का स्पष्ट विजन है। जनता इस पर गंभीरता से गौर कर रही तो हम क्यों परेशान होंगे। भाजपा के पास अपने मेनिफेस्टो में बताने के लिए कुछ नहीं है।

तभी हमारे घोषणापत्र में कमी निकालने के लिए मुसलमान, मंगलसूत्र, मुस्लिम लीग जैसी बातों का झूठ फैलाया जा रहा। भाजपा के पास मोदी की गारंटी बोलने के अलावा कुछ नहीं है। राजनीतिक पार्टी के तौर पर भाजपा का एजेंडा क्या है किसी को मालूम ही नहीं। एक व्यक्ति उनके लिए देश से ऊपर है।

सवाल: पीएम के भटकने-परेशान होने के आपके दावे का आधार क्या है?

जवाब- उनकी पहली परेशानी हमारा घोषणापत्र है जिसने चुनाव के विमर्श को बदला है। पहले व दूसरे चरण के मतदान के पैटर्न की रिपोर्ट परेशानी की दूसरी वजह है क्योंकि अगले चरणों में भी चुनौतियां और बढ़ने वाली हैं।

इसलिए कांग्रेस पर आक्रमण तेज करते हुए उन्होंने भाषा बदली है। पहले फेज की वोटिंग से पूर्व कहते थे कि कांग्रेस कुछ नहीं खत्म हो गई है। जब ऐसी बात है तो फिर आप कांग्रेस के पीछे पड़ते हुए इतने जहरीले हमले क्यों कर रहे हैं?

सवाल: विपक्ष के चुनावी तेवर में अचानक आया बदलाव क्या इसका संकेत नहीं कि आपने जागने में देरी की है?

जवाब- हम हमेशा सीधे नरम आंखों से देश के सेवक के रूप में लोगों से रूबरू होते हैं। घमंड और तेवर तो भाजपा के चुनाव अभियान में है। इस चुनाव की लड़ाई मोदी बनाम जनता है। यह लोगों की लड़ाई है और इसलिए उन्हें लग रहा कि उनकी सत्ता जानेवाली है। तभी हमें जी-भरकर सैकड़ों गालियां दे रहे हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी को तो वे गालियां देते ही थे अब प्रियंका गांधी को भी नहीं छोड़ रहे।

सवाल: मुस्लिम लीग, मुसलमान, मंगलसूत्र पर आपके स्पष्टीकरणों के बाद भी पीएम का कांग्रेस पर प्रहार जारी है तो क्या यह पार्टी की विफलता नहीं कि अपना पक्ष लोगों तक नहीं पहुंचा पा रही?

जवाब- पीएम-भाजपा के पास हर तरीके के संसाधन हैं इसलिए वे कहीं भी कुछ भी जाकर बोलते हैं। हमारे घोषणापत्र को कम से कम देख-पढ़ कर तो बोलते ताकि पीएम से ऐसी टिप्पणियां नहीं निकलती जो निराधार हैं। तभी हमने पीएम को पत्र लिख घोषणापत्र समझा समझाने का समय मांगा है और इसकी प्रतीक्षा कर रहा हूं। इन बातों से साफ है कि भाजपा के पास मुद्दों का अभाव है इसलिए बार-बार हिन्दू-मुस्लिम का भटकाव किया जा रहा।

सवाल: धन का पुनर्वितरण करने के ताजा विवाद में यह सवाल उठ रहा कि आर्थिक उदारीकरण की शुरूआत करने वाली कांग्रेस क्या पुराने वामपंथी-समाजवादी चिंतन की नीतियों के दौर की पैरोकारी कर रही और क्या आज यह प्रासंगिक है?

जवाब- हम न लेफ्ट हैं न राइट। हम सेंटरिस्ट हैं। पंडित नेहरू के समय से इसी मध्य मार्ग पर चले हैं जो देश के लिए भी सही है। इसमें प्रावइेट-कॉरपोरेट सेक्टर, पब्लिक सेक्टर और संयुक्त उद्यम सबको बढ़ावा दिया जाता है।

देश की समृद्धि का रास्ता भी यही है। गरीबों-वंचितों को फायदा देने का अर्थ यह नहीं कि हम किसी की संपत्ति छीनकर ऐसा करेंगे। इस तरह की झूठी बातें फैलाई जा रही हैं, उसकी विचाराधारा नागपुर से आती है जिनका लक्ष्य है हिन्दू-मुसलमान करते हुए नफरत फैलाते रहो।

10 साल सत्ता में रहने के बाद भी चुनाव में बताने के लिए एक चीज नहीं है और साफ है कि सरकार ने कुछ काम नहीं किया। लोकतंत्र को मजबूत रखने के लिए सरकार और विपक्ष के बीच एक बुनियादी मर्यादा रहती है मगर ये हमें देशद्रोही तक कहने से बाज नहीं आते। देश का राजनीतिक विमर्श इतना नीचे ले जाना वाला प्रधानमंत्री हमने अपने जीवन में कभी नहीं देखा।

सवाल: कर्नाटक के संदर्भ में मुस्लिम आरक्षण को लेकर पीएम-भाजपा कांग्रेस की घेरेबंदी कर रहे आखिर इस पर आपकी नीति क्या है?

जवाब- शैक्षणिक व आर्थिक रूप से पिछड़ वर्ग की जो लिस्ट बनी उसमें उनके पिछड़े हुए वर्गों को इसमें रखा गया। जैसा मोदी साहब कहते हैं कि हमारे पसमांदा को कोई नहीं देख रहा मैं देख रहा हूं। पिछड़े वर्ग की इसी लिस्ट का दुष्प्रचार किया जा रहा है। क्या संविधान बदला है कि धर्म के आधार पर आरक्षण दे दिया जाए। झूठा प्रचार करके इतना जहर और विभाजन पैदा किया जा रहा कि एक दिन यह विष देश के लिए भी घातक होगा।

सवाल: राष्ट्रवाद या मुस्लिम तुष्टिकरण जैसे भाजपा के विमर्श का आप मुकाबला क्यों नहीं कर पा रहे, अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा में आपके नहीं जाने को पीएम ने इसी से जोड़ा है?

जवाब- कांग्रेस के लोगों-नेताओं ने फांसी पर चढ़ने तक की कुर्बानियां देकर देश को आजादी दिलाई। पढ़ाई, कामकाज, संपत्ति छोड़ अंग्रेजों के खिलाफ मैदान में उतरे और कितनों के मंगलसूत्र की आहुति हुई। फिर हमें देशद्रोही कहा जाए इससे बड़ी हास्यास्पद क्या बात होगी। आरएसएस-जनसंघ के लोगों ने क्या कोई कुर्बानी दी।

मुस्लिम वोट के डर से प्राण प्रतिष्ठा में नहीं आने का बयान झूठ है। मुझे नेता विपक्ष तो सोनिया गांधी को यूपीए अध्यक्ष के नाते आमंत्रण दिया गया था। हमने अपनी पार्टी के लोगों को बोला कि जिनकी भी आस्था हैं वे सभी जाएं। हमारी भी आस्था है और समय आएगा तो हम जाएंगे, लेकिन धार्मिक आस्था और राजनीति अलग-अलग हैं और दोनों को मिलाने का ठेका उनको नहीं दिया गया है।

सच्चाई यह भी है कि संसद भवन के शिलान्यास में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उदघाटन के समय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया। प्राण प्रतिष्ठा में आदिवासी समाज की हमारी राष्ट्रपति मुर्मू को क्यों नहीं बुलाया गया।

सवाल: चुनावी बॉन्ड से चंदा भाजपा के अलावा तमाम पार्टियों को भी मिला मगर कांग्रेस इसके खिलाफ हमलावर हैं ऐसे में आपके हिसाब से राजनीतिक फंडिंग की वैकल्पिक व्यवस्था क्या होनी चाहिए?

जवाब- इसका फैसला जो नई सरकार आएगी वो करेगी। मगर यह सच्चाई कोई नकार नहीं सकता कि चुनावी बॉन्ड के जरिए चुनाव में भाजपा ने लेवल प्लेइंग फील्ड को खत्म कर दिया। चंदे के धंधे का सत्ताधारी दल ने बड़ा खेल करते हुए ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई में फंसे लोगों को डराकर चंदा जुटाया और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। घाटे में चलने वाली कपंनियों से 100 करोड चंदा लेना क्या भ्रष्टाचार नहीं है।

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सवाल: लेवल प्लेइंग नहीं होने की बात आप उठा रहे तो क्या भाजपा का यह आरोप सही नहीं कि 2024 के बाद भविष्य में कोई चुनाव नहीं होंगे इसका डर-भ्रम फैलाया जा रहा है?

जवाब- ईडी-सीबीआई-इनकम टैक्स का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कीजिए। मुख्य विपक्षी पार्टी का बैंक खाता चुनाव से ठीक पहले फ्रीज कर दीजिए। संसद में बात रखने वाले विपक्ष के करीब डेढ सौ सांसदों को निलंबित कर दीजिए। मीडिया को केवल अपनी प्रशंसा तथा विपक्ष को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल कीजिए।

संवैधानिक संस्थाओं को स्वतंत्रता पर प्रहार कीजिए तो आखिर इन सबको क्या माना जाए। किसी ने कुछ गड़बड़ किया है तो कानून के अनुसार कार्रवाई करिए मगर हेमंत सोरेन और केजरीवाल को गिरफ्तार तब किया जाता है जब 10 साल सरकार में रहने के बाद आप चुनाव में जाते हैं।

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हेमंत सोरेन से साफ कहा गया कि आप कांग्रेस के साथ जाएंगे तो गिरफ्तार होंगे। अकेले चुनाव लड़ेंगे तो छोड़ देंगे पर हेमंत ने कहा कि चाहे जेल जाना पड़े वे गठबंधन में ही रहेंगे। संस्थाओं पर कब्जे से लेकर डराने-धमकाने की यह राजनीति लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं तो और क्या है।

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सवाल: विपक्ष का चुनावी चेहरा नहीं होना भाजपा का बड़ा मुद्दा है पर तथ्य यह भी है कि आईएनडीआईए की दिसंबर में दिल्ली में हुई बैठक में ममता बनर्जी ने आपको प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा, फिर विपक्ष घोषणा करने से क्यों हिचक गया?

जवाब- ये उनका प्रपोजल था। मेरी पार्टी का प्रपोजल हमारी पार्टी के भीतर से आएगा। अभी चुनाव हो रहे हैं, गठबंधन को बहुमत मिला तो सभी घटक दल मिलकर चेहरा सामने लाएंगे। गठबंधन में किसी एक की नहीं सबकी सहमति से निर्णय होते हैं।

वाजपेयी के एनडीए और मनमोहन सिंह के यूपीए के दौर में ऐसा ही हुआ था। भाजपा कह रही मोदी के मुकाबले कौन है। तो हम कह रहे कि हमारे पास जनता है। हमारे गठबंधन के लोगों के साथ मिलकर जनता तय करेगी कि कौन चेहरा होगा।

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सवाल: आईएनडीआईए नेताओं में एक-एक साल के पीएम फॉर्मूले पर सहमति को लेकर प्रधानमंत्री मोदी हमलावर हैं, विपक्ष ने आखिर यह कैसा फॉर्मूला तय किया है?

जवाब- यह बात वही आदमी कर सकता है जिसको गठबंधन का अनुभव नहीं है। मनमोहन सिंह-सोनिया गांधी को इसका अनुभव है और किसी ने ऐसी टिप्पणी नहीं की। यह क्या कोई मेयर का चुनाव है कि एक-एक साल के लिए होगा। ऐसी बातों पर सिर्फ हंसा जा सकता है।

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