Lok Sabha Election 2024: गुस्से का इजहार या काम को सम्मान, ज्यादा वोटिंग के क्या है मायने? जानिए जब पड़े ज्यादा वोट, तब क्या रहा परिणाम
Lok Sabha Election 2024 आमतौर पर धारणा है कि जब ज्यादा वोटिंग पड़ती है तो जनादेश सरकार के खिलाफ जाता है क्योंकि लोग सरकार बदलने के इरादे से अधिक संख्या में वोट डालते हैं। लेकिन पिछले कुछ चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो ट्रेंड कुछ और ही नजर आता है। जानिए वोटिंग प्रतिशत कैसे डालता है चुनाव के नतीजों पर असर।
By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 12 Mar 2024 04:40 PM (IST)
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। आम चुनावों में जब भी वोटिंग प्रतिशत बढ़ता है तो अनुमान लगाया जाता है कि सत्ता के खिलाफ आक्रोश है और सरकार बदलने वाली है। कम वोटिंग पर तर्क अलग रहता है। माना जाता है कि वोटरों को सरकार से ज्यादा मतलब नहीं रह गया है। वे उदासीन और यथास्थितिवादी हो गए हैं। जो चल रहा है वह चलता रहेगा।
लेकिन भारत के संसदीय चुनावों का इतिहास बताता है कि कम या अधिक वोट के परिणाम मिले-जुले ही आते रहे हैं। न बदलाव की आहट और न ही यथास्थिति का संकेत। आजादी के बाद वोट प्रतिशत में उतार-चढ़ाव के बावजूद बार-बार कांग्रेस की ही सरकार बनती रही। बाद के वर्षों में भी कोई तय पैमाना नहीं रहा।
वोटिंग प्रतिशत बढ़ने पर भी नहीं हुआ बदलाव
जहां 2009 के आम चुनाव में 58.21 प्रतिशत वोट पड़े थे, जो 2014 में लगभग आठ प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 66.44 प्रतिशत हो गया। इसे बदलाव की लहर बताया गया, लेकिन 2019 के चुनाव में भी लगभग तीन प्रतिशत बढ़कर 67.40 प्रतिशत वोट पड़े। किंतु कोई परिवर्तन नहीं हुआ। सरकार एनडीए की ही बनी।कम वोट में भी बदली सरकार
इसी तरह वर्ष 1999 की तुलना में 2004 में करीब दो प्रतिशत कम वोटिंग हुई। फिर भी सरकार बदल गई थी। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार 72.81 प्रतिशत वोट पड़े थे। लगभग इतना ही वोट 72,13 प्रतिशत 2018 में भी पड़े थे। दोनों चुनावों में वोट प्रतिशत में कोई खास अंतर नहीं आया, फिर भी सरकार बदल गई।
स्पष्ट है कि वोट प्रतिशत के घटने या बढ़ने का कोई एक निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। एकबारगी वोटिंग का ग्राफ सात प्रतिशत से ऊपर चला जाता है तो परिणाम भी अछूता नहीं रह पाता। सच्चाई यह भी है कि संसदीय चुनावों की तुलना में विधानसभा चुनावों में ज्यादा वोट पड़ते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार वोट प्रतिशत में वृद्धि के कई कारण बताते हैं, जिसमें वोटिंग सिस्टम में सुधार प्रमुख है। अभय कहते हैं कि ईवीएम ने प्रक्रिया को आसान बना दिया है। पहले बूथों पर लंबी कतारें लगती थीं। मौसम विपरीत हो तो लोग घरों से निकलते भी नहीं थे। किंतु अब मिनटों में वोट पड़ जाते हैं, जिससे वोट प्रतिशत बढ़ रहा है।
मौसम का भी फर्क पड़ता है। गर्मी-ठंडी या तेज बारिश से मतदान कम हो सकता है। मौसम अगर बढ़िया है तो बूथों पर लंबी कतार लगी दिखती है।देखें पिछले कुछ लोकसभा चुनावों का वोटिंग प्रतिशत- वर्ष - वोट (प्रतिशत) - सरकार 2019 : 67.40 : एनडीए2014 : 66.40 : एनडीए2009 : 58.21 : यूपीए2004 : 58.07 : यूपीए1999 : 59.99 : एनडीए1998 : 61.97 : एनडीए1996 : 57.94 : संयुक्त मोर्चाये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: पुरानी डगर पर डगमगाती साइकिल, क्या अखिलेश PDA फॉर्मूला से पकड़ पाएंगे सियासी रफ्तार? ये भी पढ़ें- चुनावी जंग में 'जीविका दीदी' कराएंगी जय-जय; मान-मनुहार में जुटे दिग्गज, किसकी झोली में गिरेंगे करोड़ों वोट?
जागरूक हो गया है वोटर
प्रशासन की सख्ती के चलते सुरक्षा बढ़ी है। इससे वोटर बेखौफ बूथों तक पहुंचने लग हैं। आजादी के बाद देश में पहले आम चुनाव में 46 प्रतिशत वोट पड़े थे, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में 67 प्रतिशत वोट पड़े। दोनों में 21 प्रतिशत का अंतर है, जो दर्शाता है कि मतदाताओं में धीरे-धीरे जागरूकता आ रही है।चुनाव से जुड़ी और हर छोटी-बड़ी अपडेट के लिए यहां क्लिक करेंसक्रियता से बढ़ जाता है वोटिंग प्रतिशत
मतदान से पहले प्रत्येक दल और प्रत्याशी का प्रयास होता है कि उनके समर्थक ज्यादा से ज्यादा घरों से निकलें। जमकर वोट करें। इसके लिए वे तरह-तरह के हथकंडे भी अपनाते हैं। निर्वाचन आयोग भी जागरूकता अभियान चलाता है। आयोग मानकर चलता है कि सौ प्रतिशत मतदान नहीं होता। पांच-दस प्रतिशत लोग अपने गृह क्षेत्र से बाहर रहते हैं।ऐसे में 70 प्रतिशत वोटिंग को भी आयोग 80-82 प्रतिशत मान लेता है। हाल के चुनावों में भाजपा के पन्ना प्रमुख एवं बूथ प्रबंधन के अन्य तरीकों ने भी वोट प्रतिशत को बढ़ाया है, क्योंकि जवाब में दूसरे दल भी उसी अनुरूप अपने वोटरों को बूथों तक आने के लिए प्रेरित करते हैं। 'मेरा पावर वोट' अभियान से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंमौसम का भी फर्क पड़ता है। गर्मी-ठंडी या तेज बारिश से मतदान कम हो सकता है। मौसम अगर बढ़िया है तो बूथों पर लंबी कतार लगी दिखती है।देखें पिछले कुछ लोकसभा चुनावों का वोटिंग प्रतिशत- वर्ष - वोट (प्रतिशत) - सरकार 2019 : 67.40 : एनडीए2014 : 66.40 : एनडीए2009 : 58.21 : यूपीए2004 : 58.07 : यूपीए1999 : 59.99 : एनडीए1998 : 61.97 : एनडीए1996 : 57.94 : संयुक्त मोर्चाये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: पुरानी डगर पर डगमगाती साइकिल, क्या अखिलेश PDA फॉर्मूला से पकड़ पाएंगे सियासी रफ्तार? ये भी पढ़ें- चुनावी जंग में 'जीविका दीदी' कराएंगी जय-जय; मान-मनुहार में जुटे दिग्गज, किसकी झोली में गिरेंगे करोड़ों वोट?