Lok Sabha Election 2024:दिल्ली में कन्हैया को नहीं मिल रहा अपनों का साथ; अब 'आप' से है सहारे की आस; क्या ऐसे हो पाएगा बेड़ा पार?
Delhi Lok Sabha Election 2024 उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार कांग्रेस प्रत्याशी हैं। उनका मुकाबला भाजपा के मनोज तिवारी से है। हालांकि विरोधियों से पहले उन्हें अपनों से ही चुनौती मिल रही है। उनको टिकट दिए जाने पर शुरू से ही वरिष्ठ नेताओं के नाराजगी की बात कही जा रही थी। ऐसे में कन्हैया को अब आप का साथ मिला है।
निहाल सिंह, नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने के साथ कन्हैया कुमार का शुरू हुआ आतंरिक विरोध कम नहीं हो रहा है। उन्हें टिकट देने के विरोध में स्वयं प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जबकि, जो पार्टी में हैं, उनमें भी अधिकतर शांत बैठे हुए हैं।
इस परिस्थिति में कन्हैया कुमार को जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ता नहीं मिल रहे हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए ही बीते सप्ताह कन्हैया कुमार ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की थी।
लड़ाई उत्साहजनक नहीं
इसके बाद से उनके प्रचार अभियान में आप के नेता -कार्यकर्ता नजर आने लगे हैं, लेकिन यह सत्तारूढ़ दल भाजपा के टिकट से लगातार तीसरी बार जीत के लिए लड़ रहे पूर्व भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी से लड़ाई में उत्साहजनक नहीं है। कांग्रेस पार्टी की संगठनात्मक बैठकों में नेताओं की संख्या अपेक्षा से काफी कम रह रही है।क्षेत्र के एक कांग्रेस नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि रोहताश नगर से पूर्व विधायक विपिन शर्मा स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय नहीं है, जबकि भीष्म शर्मा पहले से नाराज चल रहे हैं। हाल ही में क्षेत्र में ब्लाक स्तर की बैठक में पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने भीष्म शर्मा को बुलाने को फोन कराए थे, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। लोकसभा क्षेत्र में आप के सात विधायक हैं। आप के प्रदेश संयोजक स्वयं गोपाल राय कई बैठकें कर चुके हैं।
हाथ का चिह्न बन रहा चुनौती
फिलहाल, कन्हैया कुमार के समक्ष चुनौती यह है कि वह कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिह्न हाथ को जनता के बीच कैसे लेकर जाए, क्योंकि आप के गठन के बाद से राज्य में कांग्रेस पार्टी का जनाधार लगातार कम हुआ है। स्थिति यह कि एक भी सांसद-विधायक नहीं है। वहीं, गिने-चुने पार्षद हैं। हर चुनाव के साथ पार्टी के मतदाता आप की ओर स्थानांतरित हो रहा है।ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2204: क्या हैं कांग्रेस और आप की वे मुश्किलें, जिनसे दिल्ली में मजबूत दिख रहा भाजपा का किला?