किसी ने छोड़ी सियासत, तो किसी ने बदली पार्टी; जानिए कैसा रहा सिनेमा से राजनीति तक इन सितारों का सफर?
फिल्मी सितारों का राजनीति में आना और उससे मोहभंग होना कोई नई बात नहीं है। कई फिल्मी सितारे राजनीति में रच बस गए तो कुछ फिल्मी सितारों ने राजनीति के दांव पेंच में न उलझते हुए दूरी बना ली। आज बात कुछ ऐसे ही फिल्मी सितारों की जो राजनीति में आए लेकिन खुद को न ढाल सके और अलविदा कह दिया। वहीं कुछ सितारे ऐसे जिन्होंने पार्टी बदल लीं।
चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। राजनीति और सिनेमा जगत का रिश्ता काफी पुराना है। अभिनेता से राजनेता बनने वालों की फेहरिस्त काफी लंबी है। चुनावी मौसम में सियासत में फिल्मी रंग और चटख होता है। फिल्मी सितारों का राजनीति में आने का सिलसिला अभी तक जारी है। मगर इन सबके बीच कई ऐसे नाम भी हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा, लेकिन राजनीति रास न आने पर जल्द ही दूरी भी बना ली। वहीं कुछ कलाकारों ने पार्टी बदल ली। जानिए ऐसे कलाकारों का सिनेमा के पर्दे से सियासत का कैसा रहा सफर?
अमिताभ बच्चन
सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में कदम रखा था। 1984 में अमिताभ ने इलाहाबाद लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा को हराया था। हालांकि उन्होंने सिर्फ तीन साल में ही राजनीति को अलविदा कह दिया और अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अमिताभ बच्चन ने राजनीति छोड़ते वक्त उसे 'नाबदान' कहा था।
धर्मेंद्र
दिग्गज फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र ने 2004 में पहली बार राजस्थान के बीकानेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। यह चुनाव उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर लड़ा था। उन्होंने दिग्गज कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ को हराया था। एक रोचक तथ्य यह है कि बलराम जाखड़ के बेटे सुनील जाखड़ को 2019 में धर्मेंद्र के बेटे अभिनेता सनी देओल ने गुरदासपुर लोकसभा सीट से हराया था। अब सुनील जाखड़ पंजाब भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं।सनी देओल
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान सनी देओल ने राजनीति में कदम रखा था। मगर पांच साल में ही उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया। पंजाब की गुरदासपुर सीट से सांसद सनी देओल की जगह भाजपा ने इस बार स्थानीय नेता दिनेश सिंह बब्बू को चुनाव में उतारा है। एक इंटरव्यू में सनी देओल ने खुद ही राजनीति से अलग होने की बात कही थी।
गुल पनाग
अभिनेत्री गुरकीरत कौर पनाग को दुनिया गुल पनाग नाम से जानती हैं। वह लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग की बेटी हैं। तीन जनवरी 1979 को चंडीगढ़ में जन्मीं गुल पनाग ने 2014 का लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी की टिकट पर लड़ा। मगर भाजपा प्रत्याशी एवं अभिनेत्री किरण खेर से उन्हें शिकस्त मिली। हालांकि इसके बाद उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा।
उर्मिला मतोंडकर
अभिनेत्री उर्मिला मतोंडकर का भी राजनीतिक सफर अधिक दिनों तक नहीं चल सका। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा। इसके बाद उन्होंने नॉर्थ मुंबई से चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। हालांकि पांच महीने में उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। इसके बाद शिवसेना ज्वाइन की। मगर सियासी गलियारों में उनकी चर्चा कम ही होती है।राजपाल यादव
अभिनेता राजपाल यादव ने भी राजनीति में कदम रखा] मगर सफलता नहीं मिली। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राजपाल यादव ने सर्व सम्भाव पार्टी का गठन किया था। मगर अपेक्षित सफलता नहीं मिलने पर अब राजनीति से दूरी बना रखी है।शेखर सुमन
अभिनेता शेखर सुमन ने भी राजनीति में कदम रखा। मगर अधिक दिनों तक इस डगर पर नहीं चल सके। बाद में उन्होंने राजनीति को ही अलविदा कह दिया। शेखर सुमन 2009 में अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ पटना साहिब लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे। मगर हार का सामना करना पड़ा था। शेखर सुमन ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था।इन्होंने बदला पाला
शत्रुघ्न सिन्हा
शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा से की। अटलजी की सरकार में मंत्री भी रहे। बाद में 2019 में कांग्रेस का दामन थाम लिया। मगर यहां भी ज्यादा दिन नहीं टिके। इसके बाद 2022 से वे ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का हिस्सा हैं। इस बार तृणमूल कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में उन्हें आसनसोल से टिकट दिया है।गोविंदा
फिल्म अभिनेता गोविंदा ने एक बार फिर राजनीति में वापसी की है। 2004 में गोविंदा ने कांग्रेस की टिकट पर उत्तर मुंबई से लोकसभा का चुनाव जीता था। 14 साल के वनवास के बाद फिर राजनीति में आए। अब उन्होंने शिवसेना शिंदे गुट का दामन थामा है।जयाप्रदा
अभिनेत्री जयाप्रदा की राजनीति में इंट्री एनटीआर ने अपनी पार्टी तेलुगु देशम से कराई थी। इसके बाद जयाप्रदा 2004 और 2009 में उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट से दो बार चुनाव जीतीं। उन्होंने 2014 लोकसभा चुनाव बिजनौर सीट से राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर लड़ा। मगर वह चुनाव हार गई थीं। इसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था।मनोज तिवारी
मनोज तिवारी ने 2009 में समाजवादी पार्टी (सपा) की टिकट पर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। गोरखपुर सीट से उतरे मनोज तिवारी को योगी आदित्यनाथ के सामने हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद तिवारी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति से दूरी बना ली और दिल्ली से सियासत शुरू की। 2014 में मनोज तिवारी ने भाजपा के टिकट पर पहली बार पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव जीता। इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी ने दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को हराया था।सीएम की कुर्सी तक पहुंचे दक्षिण भारत के ये सितारे
फिल्मी कलाकारों का राजनीति में प्रवेश का ट्रैंड दक्षिण भारत से शुरू हुआ। एमजी रामचंद्रन मुख्यमंत्री तक की कुर्सी तक पहुंचने वाले जाने माने अभिनेता थे। एमजी रामचंद्रन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। एमजी रामचंद्रन को जयललिता का राजनीतिक गुरु भी कहा जाता है। एमजीआर पहले डीएमके में थे। 1972 में एमजीआर ने AIADMK पार्टी का गठन किया था।एमजीआर 30 जुलाई 1977 को पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उनके बाद पार्टी की कमान जयललिता के हाथ में आई। जयललिता 6 बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं। राजनीति में आने से पहले करुणानिधि भी अभिनेता थे। करुणानिधि 1969 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। खास बात यह है कि करुणानिधि को चुनाव में कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा।