Lok Sabha Election 2024: NCR का हिस्सा... मगर देश का सबसे पिछड़ा जिला है नूंह, इन इलाकों को भी विकास की आकांक्षा
एनसीआर में शामिल हरियाणा का नूंह जिला देश में सबसे पिछड़ा है। यह जिला विकास की दौड़ में उतना सरपट नहीं दौड़ा जितना अन्य जिलों ने कामयाबी हासिल की। ऐसा ही हाल पलवल के हथीन क्षेत्र का भी है। अब जरूरत यह है कि विकास की योजनाओं को धरातल पर उतार कर इन पिछड़े क्षेत्रों को आगे लाने की जरूरत है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि के मामले में एनसीआर के शहरों की स्थिति देश के अन्य शहरों की तुलना में काफी बेहतर है। एनसीआर में ही आने वाले गुरुग्राम और गौतमबुद्ध नगर जिले अपने-अपने राज्यों की आर्थिक राजधानी के रूप में पहचान बना रहे हैं। इसी एनसीआर का हिस्सा हैं नूंह और पलवल जिले जो एनसीआर के शहरों की तो बात छोड़िए देश के पिछड़े राज्यों के शहरों से भी कदम ताल नहीं कर पा रहे हैं।
नूंह जिला तो देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल है, जबकि पलवल के हथीन क्षेत्र की थी ऐसी ही स्थिति है। इसी तरह चौंकाने वाली बात यह है कि राजधानी दिल्ली में भी बाहरी, पूर्वी व उत्तर-पूर्वी आदि जिलों में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जो किसी राजधानी का हिस्सा न होकर गांव-कस्बे का अंग होने का अहसास कराते हैं।
बात अगर हम यूपी-एनसीआर की करें तो गौतमबुद्ध नगर समृद्ध है, इसके कुछ ही क्षेत्रों की स्थति खराब है, इसी तरह गाजियाबाद में भी कुछ क्षेत्र विकास की रहा में पिछड़े दिखाई देते हैं। ऐसे में एनसीआर के 13 सांसदों से मतदाताओं की आकांक्षा है कि वह संसद में इन क्षेत्रों के विकास के लिए आवाज उठाएं ताकि यहां के लोग भी खुद को एनसीआर का हिस्सा बताने में गर्व महसूस कर सकें। एनसीआर के पिछड़े क्षेत्रों को लेकर पेश है सत्येंद्र सिंह की रिपोर्ट...
नूंह: यहां विकास की संभावना खूब
मिलेनियम सिटी गुरुग्राम से सटा नूंह केंद्र की आकांक्षी जिला योजना में शामिल है। ऐसे में यहां पिछले कुछ सालों में विकास ने रफ्तार तो पकड़ी है लेकिन यहां के लोगों की आकांक्षा हरियाणा के ही गुरुग्राम और फरीदाबाद की तरह विकसित जिले में रूप में अपनी पहचान बनाने की है। केएमपी एक्सप्रेस-वे तथा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे तथा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनने के बाद यहां औद्योगिक विकास की काफी संभावनाएं हैं।
योजनाओं को यदि तेजी से धरातल पर उतारा जाए तो यहां की आर्थिकी में तेजी से बदलाव हो सकता है। इनवर्टर बैट्री बनाने वाली एक बड़ी फैक्ट्री भी रोजकामेव इंडस्ट्री क्षेत्र में बन रही है। उसके आरंभ होने से कई जाब वर्क कंपनी भी स्थापित होंगी। हालांकि पहले से स्थापित यहां पर फैक्ट्रियों को चलाने के लिए संचालकों को वह सुविधा नहीं मिल रही जिसके दावे किए जा रहे थे।
विकास के दावे, धरातल पर नूंह का ये हाल
औद्योगिक विकास में यहां उद्यमियों के सामने कई तरह की समस्याएं हैं। हाल ये है कि नहरी पानी, पर्याप्त बिजली तथा पीएनजी लाइन तक अभी यहां नहीं पहुंची है। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर नल्हड़ मेडिकल कालेज और सौ बेड का जिला जिला अस्पताल है, पर डॉक्टरों की कमी से रेफरल सेंटर बने हुए हैं। दवा की भी कमी रहती है।
मेवात क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना की वर्षों से मांग हो रही है। इस साल हर घर में नल से पानी के लिए करीब 400 करोड़ की रेनीवेल पेयजल योजना पर काम हुआ लेकिन अभी भी जिला के 145 गांवों में पेयजल नहीं पहुंचा है। यहां पर गोतस्करी, अवैध खनन तथा साइबर ठगी तथा मादक पदार्थ की तस्करी पर पूरी तरह से नकेल कसने की जरूरत है। यह तभी संभव है जब पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
राजधानी से 65 किमी दूर नहीं पहुंची विकास की किरण
देश की राजधानी से महज 65 किमी दूर पलवल के हथीन क्षेत्र तक विकास की किरण नहीं पहुंची है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व विकास के मामले में यह क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है। यहां 95 प्रतिशत इलाका ग्रामीण है। पांच प्रतिशत कस्बाई है। 84 गांव हैं। अधिकतर गांव मुस्लिम बहुल हैं। हिंदुओं के बाद यहां सबसे बड़ी आबादी मुस्लिमों की है। यहां लोग अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। यहां की जमीन बेहद उपजाऊ है, लेकिन सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था ने होने के कारण किसानों को भारी परेशानी होती है। सिंचाई के लिए यहां पर गोंछी ड्रेन व गुरुग्राम कैनाल है, लेकिन इन दोनों में केमिकल युक्त पानी आने के कारण इस पानी से होने वाली उपज में बीमारियों का अंदेशा बढ़ने लगा है। हथीन में 33,000 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। जिसमें मुख्य रूप से गेहूं, जौ, धान ,ज्वार, बाजरा ,कपास ईख की फसलें होती हैं।गाजियाबाद के इन इलाकों में विकास की दरकार
दिल्ली से सटे जिला गाजियाबाद में विकास ने पंख तो फैलाए हैं, लेकिन कुछ क्षेत्र अभी भी इसकी जद से बाहर हैं, जैसे- लोनी, डासना, फरीदनगर। लोनी को कभी अपराध का गढ़ माना जाता था। गाजियाबाद में कमिश्नरेट लागू होने के बाद एक नया पुलिस सर्किल व एक नया थाना बनाया गया है। आग की घटनाएं रोकने के लिए अस्थाई अग्निशमन केंद्र बनाया गया है। लोनी से दिल्ली-सहारनपुर मार्ग बनाया जा रहा है। करीब 85 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। कार्य पूरा होने पर यहां जाने वाले लोगों को राहत मिलेगी।दादरी-दनकौर की स्थिति भी खराब
गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश का शो विंडो है, यहां का विकास देखकर ही निवेश आता है। इसे प्रदेश का सबसे विकसित शहर माना जाता है, लेकिन नोएडा व ग्रेटर नोएडा के कई क्षेत्र अभी भी विकास से कोसों दूर हैं। नोएडा में अनियोजित विकास और समस्याओं को दूर करना अब प्राधिकरण के लिए चुनौती है। इसमें सबसे अधिक दिक्कत हरनंदी व यमुना खादर से सटे गांव है, जो पिछड़े है। इसमें हरनंदी से सटा छिजारसी, बहलोलपुर, गढ़ी चौखड़ी, सोहरखा जाहिदाबाद, पर्थला खंजरपुर, ककराला, इलाबास, शहदरा, यमुना खादर से सटे गांव भूड़ा, नंगली वाजिदपुर, सुल्तानपुर, गुलावली, झट्टा, मोमनाथल, बदौली बांगर, छपरौली मंगरौली, कोंडली में आज तक सड़क, सीवर, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी है।ग्रेटर नोएडा में विकास की रफ्तार तेज है। जहां पर होटल, सड़क, स्कूल, अस्पताल, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय औद्योगिक कंपनियां, रोजगार सहित सभी सुविधाएं मिल रही हैं। विकास की इस रफ्तार में पिछले कुछ वर्ष में जेवर व रबूपुरा भी शामिल हो गया है, लेकिन दादरी, दनकौर अभी भी विकास से अछूता है। पुराना शहर होने के बाद भी दादरी, दनकौर व मंडी श्याम नगर में सड़क, स्कूल, अच्छे अस्पताल, बाजार सहित अन्य सुविधाएं नहीं हैं। संपर्क मार्ग न होने से लोगों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।नंबर गेम
- 400 करोड़ की लागत से आरंभ की गई नूंह और पलवल के हथीन क्षेत्र के लिए पेयजल योजना
- 289 करोड़ की रकम आकांक्षी जिला होने के नाते नीति आयोग के जरिये दो साल में मिली
- 1500 अध्यापकों की नियुक्ति इस साल हुई
- 35 मंदिरों की नूंह में मरम्मत के लिए जारी होगी एक करोड़ 78 लाख की रकम
- दो सौ बेड का किया जाएगा नूंह का जिला अस्पताल
- पांच तथा गुरुग्राम के 10 गांव से सटे अरावली के मैदानी क्षेत्र में बनेगी जंगल सफारी