Asansol Lok Sabha Seat: तृणमूल की हार के शोर को ‘शत्रु’ ने किया खामोश; इस बार किसकी आवाज होगी बुलंद?
Lok Sabha Election 2024 आसनसोल लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस गठन से लेकर 2022 तक लगातार हारती रही। आसनसोल लोकसभा सीट पर टीएमसी की जीत का सपना पहली बार अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने साकार किया था। इस बार भी टीएमसी ने शत्रुघ्न सिन्हा पर ही भरोसा जताया है। इस बार देखना यह है कि किसके सिर ताज सजेगा किसको मिलेगी हार?
राकेश उपाध्याय, आसनसोल। आसनसोल संसदीय क्षेत्र से लगातार पिछड़ रही तृणमूल कांग्रेस की जीत का सपना अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने ही साकार किया था। वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने विजेता बनने के लिए काफी मेहनत की थी। विश्वास भी था, लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया।
अपनी स्थापना के बाद से तृणमूल कांग्रेस एक नहीं, दो नहीं बल्कि छह बार आसनसोल लोकसभा सीट पर अपनी किस्मत आजमा चुकी थी, लेकिन हर बार उसे असफलता ही हाथ लगी। अंतत: 2022 के लोकसभा उपचुनाव में बॉलीवुड स्टार शत्रुघ्न सिन्हा ने आसनसोल की बगिया जीत कर वहां तृणमूल कांग्रेस का जोड़ा फूल खिलाया।
आसनसोल में संघर्षों भरा रहा तृणमूल का सफर
कांग्रेस से अलग होकर एक जनवरी 1998 को ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी। संघर्ष के दम पर धीरे-धीरे राज्य की राजनीति में शीर्ष पर पहुंची। मगर, फिर भी 2019 के आम चुनाव तक तृणमूल को आसनसोल में उपविजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा। तृणमूल कांग्रेस ने वर्ष 1998 के चुनाव में इस सीट से मलय घटक को उतारा पर विजय का सेहरा माकपा के विकास चौधरी के सिर बंधा। विकास चौधरी को 3,55,382 मत मिले।तृणमूल कांग्रेस के लिए संतोष की बात यह रही कि कांग्रेस को पछाड़ कर उसके प्रत्याशी मलय घटक ने 3,29,233 मत बटोरे। कांग्रेस के एसएस अहलूवालिया 1,10,618 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। उसके बाद 1999 में मध्यावधि चुनाव में भी माकपा प्रत्याशी विकास चौधरी 3,77,265 मत पाकर आसनसोल के सांसद बने। तृणमूल कांग्रेस के मलय घटक को 3,39,401 मतों के साथ दूसरे स्थान पर ही रहना पड़ा।
वर्ष 2004 में तीसरी बार मलय घटक प्रत्याशी बने। उन्हें पछाड़ते हुए माकपा प्रत्याशी विकास चौधरी ने 3,69,832 मतों के साथ अपनी जीत की हैट्रिक लगाई। 2,45,514 मत पाने वाले मलय घटक की हार की हैट्रिक हुई। उसी बीच पहली अगस्त 2005 को सांसद विकास चौधरी का निधन हो गया।
पांच सितंबर 2005 को उपचुनाव हुआ। इस बार माकपा ने युवा नेता वंश गोपाल चौधरी को मैदान में उतारा। सहानुभूति की लहर पर सवार वंशगोपाल ने 4,10,740 मत बटोरे। तृणमूल के मलय घटक को सिर्फ 1,80,799 मत ही मिले। वर्ष 2009 में पुन: वंशगोपाल चौधरी विजयी हुए। हालांकि, हार का अंतर सिर्फ 77 हजार रह गया।यह भी पढ़ें - हरियाणा में क्यों बदले जजपा के सुर, क्या चुनाव में काम आएगी ये रणनीति? भाजपा ने भी चला नया दांव