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Election 2024: क्यों घट रही निर्दलीय सांसदों की संख्या? क्या आप जानते हैं पहले लोकसभा चुनाव में कितना था इनका आंकड़ा

Lok Sabha Election 2024 देश की संसद में निर्दलीय सांसदों की संख्या घट रही है। 2019 लोकसभा चुनाव में चार निर्दलीय ही संसद की दहलीज लांघने में कामयाब हो सके थे। कहा जाता है कि लोग निर्दलीय प्रत्याशियों पर भरोसा नहीं करते हैं। वहीं जनता की बढ़ती जागरुकता ने भी इनके आंकड़ों में कमी लाई है। पढ़ें ये खास रिपोर्ट...

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 22 Apr 2024 07:21 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: संसद में घट रही निर्दलीयों की संख्या।
जागरण, नई दिल्ली। भारत की राजनीति में निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए चुनावी सफलता हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है। हालांकि 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में 37 निर्दलीय सांसद जीत कर लोकसभा पहुंचे थे। हालांकि समय के साथ निर्दलीय सांसदों की संख्या घटती रही और 2019 के आम चुनाव में सिर्फ चार निर्दलीय उम्मीदवार जीत कर संसद पहुंच सके।

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क्या निर्दलीयों पर भरोसा नहीं कर रहे लोग?

विश्लेषकों का मानना है कि निर्दलीय उम्मीदवारों को लेकर सामने आए रुझानों से पता चलता है कि लोग निर्दलीय उम्मीदवारों पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। लोगों को लगता है कि निर्दलीय उम्मीदवार उनके लिए कुछ खास करने की स्थिति में नहीं है, ऐसे में इनको वोट देने का क्या मतलब है।

  • 37 निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे 1951-52 में हुए पहले आम चुनाव में
  • 41 निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे 1957 के आम चुनाव में
  • कुल वैध मतों का 1/6 वोट पाना जरूरी है जमानत बचाने की खातिर

जमानत राशि के बारे में भी जानें

  • 500 सामान्य उम्मीदवार और 250 रुपये एससी/एसटी उम्मीदवार के लिए 1951 में थी जमानत राशि
  • 99 प्रतिशत से अधिक निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है 1991 के बाद हुए आम चुनावों में
  • 25,000 रुपये सामान्य उम्मीदवार और 12,500 रुपये एससी/एसटी उम्मीदवार के लिए वर्तमान में है जमानत राशि

क्षेत्रीय दलों का उभार

भारत में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हुई हैं और समय के साथ बड़ी संख्या में क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों का उदय हुआ है। क्षेत्रीय दलों ने क्षेत्रीय और स्थानीय आंकाक्षाओं को पूरा करने का प्रयास किया है। इसी के साथ चुनाव में जीत हासिल करने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या घटती गई।

मतदाता हो गए हैं जागरूक

एक्सिस इंडिया के चेयरमैन प्रदीप गुप्ता का कहना है कि अब मतदाता पहले की तुलना में काफी अधिक जागरूक हो गए हैं। उनको पता है कि कौन सा उम्मीदवार अपने वादे पूरे कर सकता है। ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए बहुत कम गुंजाइश बचती है।

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