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Lok Sabha Election 2024: भाजपा की जीत को लेकर विदेशी मीडिया का क्‍या कहना है? चौंका देगी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट

Lok Sabha Election 2024 आज सातवें और आखिरी चरण का मतदान शुरू हो गया है। आज शाम को ही एग्जिट पोल आना शुरू हो जाएगा। भारत में हो रहे चुनाव पर विदेशी मीडिया ने भी कड़ी नजर बनाई हुई है। किसी ने पीएम मोदी के नेतृत्व को सराहा तो किसी ने आलोचना भी की। अमेरिका के प्रमुख अखबार न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट आपको चौंका सकती है। पढ़िए विशेष रिपोर्ट...

By Sushil Kumar Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 01 Jun 2024 11:35 AM (IST)
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Lok Sabha Chunav 2024: पीएम मोदी और बीजेपी की जीत पर अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट दी है।
प्रवीण मालवीय, जेएनएन: भारतीय मीडिया तो लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बजने के पहले से ही चुनावी रंग में रंग चुका था, विश्व भर के मीडिया संस्थानों और हस्तियों ने भी न केवल इसमें रुचि दिखाई, बल्कि बीच-बीच में अपने विचार और विश्लेषण भी प्रस्तुत किए विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के आम चुनाव में दुनिया भर के मीडिया संस्थानों ने क्या देखा, दुनिया के सामने क्या रखा और क्या महसूस किया।

विदेश के मीडिया संस्थानों में से कुछ का नकारात्मक भाव रहा, किसी ने संतुलित रुख अपनाया तो किसी ने भारतीय लोकतंत्र के महापर्व को जमकर सराहा। अमेरिका के प्रमुख अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा कि मोदी की ताकत बढ़ती जा रही है और भारत के लोग उन्हें और मजबूत बनाते हुए दिख रहे हैं। अखबार ने भाजपा के इस चुनाव में अपने हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ उतरने और अपनी कल्याणकारी योजनाओं का जोर-शोर से प्रचार करने की बात लिखी है।

क्या मोदी चिंतित हैं?

वहीं, यह भी लिखा है कि भाजपा के समर्थक उससे काफी खुश हैं और लगातार दो बार सत्ता में रहने के बाद भी मोदी लोकप्रिय बने हुए हैं। आखिरी चरण के मतदान के पूर्व अखबार ने मोदी को पार्टी के लिए ऊंचे मानक स्थापित करने वाला बताते हुए उनके रक्षात्मक नजर आने और लंबे समय से निराश विपक्ष को गति मिलने की बात लिखी है और सवाल उठाया है कि, क्या मोदी चिंतित हैं?

विरोधी बकवास का अंत हो

इंग्लैंड के समाचार पत्र डेली एक्सप्रेस के सहायक संपादक सैम स्टीवेंसन ने भारतीय चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग के बाद कहा कि समय आ गया है कि अब भारत विरोधी बकवास का अंत हो। हमें नए भारत की सच्ची, सकारात्मक चीजों को सुनना चाहिए। मैंने बुरका पहनी महिलाओं को मोदी की रैली में जाते देखा है।

पहले से बेहतर प्रदर्शन

असहमति रखने वालों को विरोध की अनुमति देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की तस्वीर है, जिसे पश्चिम के कई मीडिया घराने कवर नहीं करते। सैम ने वीडेम इंस्टीट्यूट की लिबरल डेमोक्रेटिक इंडेक्स रिपोर्ट को भी खारिज किया, जिसमें चुनावी निरकुंशता की बात थी। ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने लिखा कि नरेंद्र मोदी की भाजपा को भरोसा है कि इन चुनावों में उसका प्रदर्शन पहले से और बेहतर होने जा रहा है।

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लोकतंत्र हुआ कमजोर

भाजपा पर आरोप लग रहे हैं कि उसके सत्ता में आने से 10 वर्ष में लोकतंत्र कमजोर हुआ है। अखबार ने चुनावी विश्लेषकों के हवाले से लिखा है कि दशकों बाद भारत में ऐसा चुनाव हो रहा है, जिसके परिणामों का अंदाजा सबको है। गार्जियन ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ताकत उनका हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडा है, जिसमें देश के अल्पसंख्यकों को हाशिए पर डाला जा रहा है।

इसके साथ ही विपक्ष के आरोपों को शामिल करते हुए यह भी लिखा है कि विपक्ष को चिंता है कि भाजपा तीसरी बार सत्ता में आती है तो वह देश का संविधान बदल देगी, जबकि भाजपा ने इन सभी आरोपों को मनगढ़ंत बताया गया है।

बड़े बहुमत से जीत हासिल

अलजजीरा ने भारतीय चुनावों की विशालता को रेखांकित किया है। साथ ही राम मंदिर को केंद्रीय मुद्दा बताते हुए लिखा है कि यह बीजेपी के हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे का प्रमुख आधार है। प्रख्यात अमेरिकी एक्जीक्यूटिव और भारत-अमेरिका संबंधों के विशेषज्ञ रान सोमर्स ने कहा कि 2024 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े बहुमत से जीत हासिल करेंगे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के शब्दों में '2047 तक विकसित भारत' एक मिशन है, जिसमें सिर्फ महत्वाकांक्षा की नहीं, बल्कि आर्थिक विकास, मजबूत शासन सुधार, स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग और वैज्ञानिक प्रगति को शामिल करते हुए एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है।

लंदन में नहीं लोकतंत्र के प्रति ऐसा उत्साह

वैश्विक मीडिया के पूरे कवरेज में इंग्लैंड के समाचार पत्र डेली एक्सप्रेस के सहायक संपादक सैम स्टीवेंसन की यह पंक्तियां निचोड़ प्रस्तुत करती हैं कि भारतीयों में लोकतंत्र को लेकर उत्साह देखने को मिलता है जो मुझे लंदन में देखने को नहीं मिलता।

इसका कारण यह हो सकता है कि हमारे यहां लोग लोकतंत्र को उपहार के रूप में देखते हैं, जबकि भारत में ऐसा नहीं है। यहां लोग 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में बाहर निकलते हैं, कतार में लगकर वोट डालते हैं। यह भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और जनता के जुड़ाव को बताता है।

यहां आजादी सदियों के संघर्ष के बाद मिली और भारतीय जनमानस में इसका और लोकतंत्र का महत्व स्पष्ट अंकित है। इसकी छाप हर उस व्यक्ति पर पड़ी है, जिसने भारत आकर चुनावी कवरेज किया।

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