नौ साल में देश को मिले छह प्रधानमंत्री, वो दौर जब लंबी नहीं टिकती थीं सरकारें...पढ़िए ये रोचक तथ्य
Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव के बीच आज बात करेंगे उस दौर की जब नौ साल में ही देश को छह प्रधानमंत्री मिले थे। किसी की सरकार 13 दिन चली तो कोई एक साल का समय भी पूरा नहीं कर सका। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार तो सिर्फ एक वोट से ही गिर गई थी। इसी दौर में देश को दक्षिण भारत से आने वाला पहला प्रधानमंत्री मिला।
चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। सरकारें आती हैं और जाती हैं। देश में हर पांच साल में चुनाव भी होते हैं। मगर एक दौर ऐसा भी था जब देश को खूब प्रधानमंत्री मिले। सरकारें टिकती नहीं थीं और हर बार चेहरा बदल जाता था। दो दिसंबर 1989 से 19 मार्च 1998 तक यानी नौ साल में देश को छह प्रधानमंत्री मिले। हालांकि 1998 के बाद सरकारों में स्थायित्व आया और प्रधानमंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी जैसे नेता मिले।
...तो आइये नजर डालते हैं उन छह नेताओं पर जिन्होंने दो दिसंबर 1989 से 19 मार्च 1998 के बीच प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।यह भी पढ़ें: कौन हैं दिनेश प्रताप सिंह, जिन्हें भाजपा ने रायबरेली से दिया टिकट; सोनिया गांधी का 'करीबी' कैसे बना भाजपाई?
विश्वनाथ प्रताप सिंह
विश्वनाथ प्रताप सिहं को लोग वीपी सिंह के नाम से भी जानते हैं। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद वीपी सिंह ने जनता दल की सरकार में दो दिसंबर 1989 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि उनकी सरकार सिर्फ 343 दिन ही चली थी। भाजपा के समर्थन वापस लेने की वजह से 10 नवंबर 1990 को उनकी सरकार गिर गई थी।
चंद्रशेखर
वीपी सिंह के बाद जनता दल के ही नेता चंद्रशेखर ने कांग्रेस की मदद से सरकार बनाई थी। 10 नवंबर 1990 को चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। मगर छह मार्च 1991 में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि नई सरकार के गठन होने तक वे अपने पद पर बने रहे। चंद्रशेखर की सरकार सिर्फ 223 दिनों का कार्यकाल पूरा कर सकी थी। राजीव गांधी की जासूसी के आरोप में चंद्रशेखर को इस्तीफा देना पड़ा था।पीवी नरसिम्हा राव
पीवी नरसिम्हा राव दक्षिण भारत से प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता थे। 21 जून 1991 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। 16 मई 1996 तक इस पद पर बने रहे। नरसिम्हा राव की सरकार चार साल 330 दिनों तक चली थी।