Lok Sabha Election 2024: पुरानी है लाइट, कैमरा और एक्शन के साथ चुनाव की जुगलबंद, राजनीति पर कौन-सी फिल्में रिलीज होने वाली हैं?
Lok Sabha Election 2024 चुनाव आयोग की तरफ से आम चुनाव की घोषणा होने से पहले ही राजनीतिक भावनाओं व विषयों से जुड़ी चार-पांच फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। जबकि ओटीटी और सिनेमाघरों में अगले दो महीनों के दौरान कम से कम दर्जन भर ऐसी फिल्में रिलीज होने वाली हैं जिनके विषय ऐसे हैं जो मौजूदा राजनीतिक विमर्श को किसी न किसी तरीके से प्रदर्शित करते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी साल हो और बॉलीवुड पर इसका असर न दिखे, ऐसा हो ही नहीं सकता। वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के आम चुनाव के दौरान भी यह देखा जा चुका है कि किस तरह से चुनावों से पहले राजनीतिक विषयों पर आधारित फिल्में प्रदर्शित की जाती रही हैं।
इस साल भारतीय फिल्म उद्योग की तैयारी कुछ ज्यादा ही खास दिख रही हैं। चुनाव आयोग की तरफ से आम चुनाव की घोषणा होने से पहले ही राजनीतिक भावनाओं व विषयों से जुड़ी चार-पांच फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। जबकि ओटीटी और सिनेमाघरों में अगले दो महीनों के दौरान कम से कम दर्जन भर ऐसी फिल्में रिलीज होने वाली हैं, जिनके विषय ऐसे हैं जो मौजूदा राजनीतिक विमर्श को किसी न किसी तरीके से प्रदर्शित करते हैं।
चुनाव से पहले कौन-कौन सी फिल्में रिलीज हुईं?
हाल के महीनों में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन पर आधारित पर ‘मैं अटल हूं’, बालाकोट हमले पर आधारित ‘फाइटर’, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 समाप्त करने के विषय पर बनी ‘आर्टिकल-370’ कुछ ऐसी फिल्में हैं जो समसामयिक राजनीतिक परिदृश्य को छूती हैं।
जल्द रिलीज होंगी ये फिल्में
यह सिलसिला आने वाले दिनों में और तेज होने वाला है। फिल्म उद्योग की तरफ से जो सूचनाएं सामने आई हैं, उनके मुताबिक 22 मार्च, 2024 को वीर सावरकर की जीवनी पर बनी फिल्म ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ रिलीज होने जा रही है। रणदीप हुडा अभिनीत इस फिल्म का ट्रेलर भी काफी लोकप्रिय हो चुका
है। वैसे गांधी जी की जीवन को भी एक बार फिर दर्शकों के सामने लाने की तैयारी चल रही है।
प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा की किताब पर आधारित एक ओटीटी प्रोजेक्ट पर निर्देशक हंसल मेहता काम कर रहे हैं। इसके भी अगले कुछ हफ्तों में प्रदर्शित किये जाने की तैयारी है।
चुनावों के बाद तक चलेगा सिलसिला
इसी तरह से एक और फिल्म जो राजनीतिक हस्ती से जुड़ी हुई है उसका नाम है ‘इमरजेंसी’। अदाकारा व निर्माता कंगना रनोट की यह बहुप्रतीक्षित फिल्म पूर्व पीएम व कांग्रस नेता इंदिरा गांधी के जीवन के उस काल पर आधारित है जब पूरे देश में आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल की घोषणा आजाद भारत के इतिहास का एक अहम घटनाक्रम है, जिसके कई राजनीतिक परिणाम सामने आए।
निर्माता निर्देशकों की तरफ से फिल्म को मार्च-अप्रैल में रिलीज करने की काफी कोशिश की गई, लेकिन अब इसे जून, 2024 में प्रदर्शित किए जाने की सूचना है। रनोट ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की जीवनी पर आधारित फिल्म ‘थलाइवी’ में भी काम किया था। कंगना उन गिनी चुनी अभिनेत्रियों मेंसे हैं, जिन्हें बेबाक राजनीतिक बयानों के लिए जाना जाता है।
इस हफ्ते भी रिलीज होंगी दो फिल्में
इस हफ्ते 'रजाकार- द साइलेंट जिनोसाइड आफ हैदराबाद' रिलीज हो रही है। इसमें भारतीय फिल्म इतिहास में पहली बार हैदराबाद में निजाम के कार्यकाल में हिंदुओं की सामूहिक हत्या व दुष्कर्म के विषय को छुआ गया है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई विशेषज्ञ फिल्म को प्रोपगेंडा व इतिहास को गलत तरीके से पेश करने के आरोप भी निर्माता-निर्देशक पर लगा चुके हैं।
इस क्रम में 15 मार्च, 2024 को ही रिलीज होने वाली 'बस्तर- द नक्सल स्टोरी' को भी रखा जा सकता है। इसमें छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या और इससे निबटने में राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव को निशाने पर लिया गया है।
'द कश्मीर फाइल्स' से शुरू हुआ नया दौर
इन फिल्मों के बनने का एक कारण हाल के वर्षों में 'द कश्मीर फाइल्स' और 'गदर-2' जैसी फिल्मों को मिली सफलता भी है। 'द कश्मीर फाइल्स'कश्मीर घाटी से हिंदुओं के पलायन और पाक परस्त आतंकियों की तरफ से कश्मीरी हिंदुओं को प्रताड़ित करने के घटनाक्रम को सामने लाती है। जबकि 'गदर-2' एक काल्पनिक कथा है, लेकिन राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत है। हालांकि, ‘72 हूरें’ और ‘अकेली’ जैसी कुछ फिल्में भी आईं, जिन्हें दर्शकों ने सिरे से नकार दिया।
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पहले भी बनती रही हैं फिल्में
पहले भी चुनाव के आस-पास कुछ राजनीतिक विचारधारा वाली फिल्में रिलीज होती रही हैं, लेकिन इस बार इनकी संख्या काफी ज्यादा दिख रही है। साल 2019 के चुनाव से पहले 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' रिलीज हुई थी। यह फिल्म उरी हमले के बाद भारत द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित थी।
वहीं साल 2014 के चुनाव से पहले ‘मद्रास कैफे’ आई थी। यह फिल्म लिट्टे पर आधारित थी, जिसमें चुनावी रैली के दौरान राजीव गांधी की हत्या को दर्शाया गया था। वहीं, कांग्रेस सरकार के दौरान जब महंगाई बहुत बढ़ गई थी तो ‘पीपली लाइव’ नाम से फिल्म आई थी, जिसमें एक गाना ‘महंगाई डायन खाए जात है’ भी था।
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