बीवाई विजयेंद्र: दक्षिण में उभरता भाजपा का नया नेतृत्व, पिता के साये से बाहर निकले; अब खुद को साबित करने की चुनौती
Lok Sabha Election 2024 कर्नाटक में भाजपा को बीवाई विजयेंद्र से काफी उम्मीदें हैं। लोकसभा चुनाव 2024 उनके लिए खुद को साबित करने का असवर है। बीवाई विजयेंद्र ने संगठन में काफी सुधार किया है। 49 साल के विजयेंद्र कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा के बेटे हैं। उनकी निगाहें दक्षिण कर्नाटक पर हैं। अब देखना यह है कि वे पार्टी की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। लगभग सात-आठ महीने पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार और कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी जीत ने यह चर्चा शुरू कर दी थी कि भाजपा दक्षिण के अपने एकमात्र गढ़ में क्या कमजोर हो गई..। यह सवाल इसलिए भी लाजिमी था क्योंकि भाजपा न सिर्फ पराजित हुई थी बल्कि एक तरह से नेतृत्व विहीन भी दिखने लगी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ही पार्टी पुराना प्रदर्शन दोहराने का दावा करने लगी है और सामान्यतः बिखरा बिखरा संगठन पहले से ज्यादा चुस्त दुरुस्त नजर आने लगा है तो इसका श्रेय नए अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को जाएगा।
पिता के साये से बाहर निकले विजयेंद्र
महज पांच महीने में 49 साल के विजयेंद्र अपने पिता बीएस येदुरप्पा के साये से बाहर निकलकर खुद को साबित करने लगे हैं। वह यह दिखा चुके हैं कि उनके लिए व्यक्तिगत पसंद नापसंद से ज्यादा अहम संगठन है। लोकसभा चुनाव में अगर वह पार्टी को पुराने प्रदर्शन के आसपास लाते हैं तो इसमें शक नहीं कि युवाओं को महत्व दे रही भाजपा में उनका कद बहुत तेजी से बढ़ने वाला है। 2019 में भाजपा कर्नाटक में 28 में से 25 सीटें जीतने में सफल रही थी।
लिंगायत नेता को कमान
भाजपा के 370 प्लस के बड़े लक्ष्य में कर्नाटक से बहुत अपेक्षा है। शायद यह भी कारण रहा हो कि पार्टी ने फिर से लिंगायत नेता के हाथ में ही कमान सौंपी। लेकिन विजयेंद्र ने अपने प्रभावी पिता से थोड़ी अलग राह पकड़ी। ज्यादा मुखर होने की बजाय उन्होंने सुनने की आदत डाली, अनुशासन का सख्ती से पालन का संदेश दिया और पहली बार कुछ समय के लिए कर्नाटक के भाजपा नेताओं के बीच एकता ऐसे स्तर पर पहुंची जैसी कभी नहीं रही।यह भी पढ़ें: कौन हैं दिनेश सिंह बब्बू, जिन्हें सनी देओल की जगह बीजेपी ने गुरदासपुर सीट से दिया टिकट
दक्षिण कर्नाटक पर विजयेंद्र की निगाह
विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी छोड़कर जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और लिंगायत के बड़े नेता जगदीश शेट्टार की वापसी आसान नहीं थी लेकिन उन्होंने बड़ी गोपनीयता के साथ वह काम भी पूरा किया और मैसूर मे ओबीसी राजा यदुवीर वडियार को साथ जोड़कर पारंपरिक रूप से भाजपा के लिए कमजोर रहे ओल्ड मैसूर क्षेत्र में पकड़ बनाने की कोशिश की। इसी क्षेत्र में विजयेंद्र पहले भी भाजपा के लिए कुछ ऐसी सीटें जीतने में सफल रहे थे, जहां पार्टी वर्षों से नहीं जीतती थी।पिछले महीनों में विजयेंद्र मोदी लहर के जरिए खासतौर से दक्षिण कर्नाटक को मजबूत करने में भी जुटे हैं। यह उनकी दूरदृष्टि को साबित करता है।नए प्रयोग में जुटी भाजपा
यह और बात है कि नेताओं की व्यक्तिगत और पारिवारिक महत्वाकाक्षाएं थमती नहीं है और इसीलिए संभव है कि कुछ नेता नही चाहेंगे कि विजयेंद्र का कार्यकाल सफल हो। दरअसल, ऐसी स्थिति में युवा विजयेंद्र को रोकना उनके लिए मुश्किल होगा, लेकिन माना जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उनकी पुरानी उपलब्धियों और वर्तमान कार्यशैली को अपनी रणनीति के लिए सटीक मान रहा है।
गौरतलब है कि कर्नाटक की सीमा महाराष्ट्र, तेलंगाना और केरल से भी मिलती है। यह वह क्षेत्र है जहां भाजपा अपने विस्तार के लिए नए प्रयोग कर रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद सक्रिय हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव का नतीजा तय करेगा कि दक्षिण में भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ कर्नाटक में विजयेंद्र किस सीमा तक जाएंगे।यह भी पढ़ें: धर्म संकट! पत्नी कांग्रेस विधायक, पति बसपा से लड़ रहे चुनाव, घर छोड़ने तक पहुंची सियासी लड़ाई