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Chunavi किस्‍सा: एक नेता जो राजनीति छोड़ गांव जाने की कर रहे थे तैयारी; फिर हुआ कुछ ऐसा कि बन गए प्रधानमंत्री

सोचिए आप एक राजनेता हैं और पार्टी के लिए समर्पित होकर काम कर रहे हैं लेकिन आपने कभी पीएम बनने के बारे में नहीं सोचा। अचानक आपसे कहा जाए कि अबसे आप देश की कमान संभालेंगे तो आपका रिएक्शन कैसा होगा। चुनावी किस्से में आज हम आपके लिए लाए हैं कि एक ऐसे ही नेता की कहानी जो दिल्ली छोड़ अपने गांव जा रहे थे और बन गए पीएम

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Mon, 08 Apr 2024 02:27 PM (IST)
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Lok Sabha Chunav 2024 :एक नेता जो जा रहा था राजनीति से दूर, लेकिन बन गया प्रधानमंत्री
 चुनाव डेस्क, नई दिल्‍ली। सोचिए आप एक राजनेता हैं और अपने गृह राज्य आंध्र प्रदेश में सीएम से लेकर केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्री (शिक्षा मंत्रालय) से लेकर कई पदों का संभाल चुके हैं। एक उम्र हो चली है। इसके बावजूद पार्टी के लिए समर्पित होकर काम भी कर रहे हैं, लेकिन आपने कभी पीएम बनने के बारे में नहीं सोचा।

अचानक आपसे कहा जाए कि आप देश की कमान संभालेंगे तो आपका रिएक्शन कैसा होगा। दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था।

पीवी नरसिंह राव ने खुद यह महत्वाकांक्षा नहीं रखी थी कि वह देश के प्रधानमंत्री बनें, लेकिन उन्होंने देश की बागडोर संभाली और पहली बार नेहरू-गांधी परिवार से हटकर किसी राजनेता ने पूरे पांच साल सरकार चलाई।

दिलचस्प बात यह है कि साल 1991 के चुनाव से पहले तत्कालीन पीएम और कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने उम्र का हवाला देते हुए उनका टिकट काट दिया था। उनका सारा सामान आंध्र प्रदेश स्थित गृह राज्य चला गया था। वह खुद दिल्ली छोड़ आंध्र प्रदेश में अपने गांव जाने की तैयारी कर चुके थे।

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इंदिरा व राजीव के विश्वस्त

राव साल 1977 तक प्रमुख तौर पर आंध्र प्रदेश की राजनीति तक सीमित रहे। साल 1969 में उन्होंने कांग्रेस के विभाजन में इंदिरा गांधी का समर्थन किया। पिछली सदी के सातवें दशक की शुरुआत में वह आंध्र प्रदेश के सीएम रहते पिछड़ी जाति के लोगों के लिए आरक्षण देकर चर्चा में आए थे। इसके बाद वह इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, गृह मंत्री और शिक्षा मंत्री रहे थे।

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इसलिए जाना चाहते थे गांव

साल 1991 के आम चुनाव के पहले तक राव 69 साल के हो चुके थे। खुद राजीव गांधी भी कांग्रेस के लिए युवाओं को मौका देने लगे थे। ऐसे में राव को 1991 के चुनाव में टिकट नहीं दिया गया। टिकट कटने के बाद राव ने फैसला किया कि अब उनका राजनीति से दूर जाने का समय आ गया है। वह आंध्र प्रदेश में अपने गांव जाने की तैयारी करने लगे थे।

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पीएम बने, पांच साल टिके

साल 1991 के चुनाव प्रचार के दौरान 21 मई को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में लिट्टे के आतंकियों ने एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी। । चुनाव नतीजों के बाद सोनिया गांधी ने राजनीति में आने से मना कर दिया। ऐसी परिस्थितियों में वरिष्ठता और अनुभव के आधार पर राव को प्रधानमंत्री बनाया गया। उन्होंने अल्पमत की सरकार पूरे पांच वर्ष चलाई।

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