Move to Jagran APP

Chandrababu Naidu: युवा कांग्रेस से सियासी सफर फिर ससुर से बगावत, हैदराबाद को IT हब बनाने वाले नायडू की दिलचस्‍प कहानी

टीडीपी के अध्‍यक्ष चंद्रबाबू नायडू 12 जून 2024 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। चंद्रबाबू नायडू चौथी बार राज्य के सीएम बनेंगे। इससे पहले चंद्रबाबू नायडू ने तीन बार- 1 सितंबर 1995 11 अक्टूबर 1999 और 8 जून 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शपथग्रहण समारोह अमरावती में होगा जिसमें नरेंद्र मोदी समेत केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई मंत्री भी शामिल होंगे।

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Thu, 06 Jun 2024 04:29 PM (IST)
Hero Image
Chandrababu Naidu oath as a CM of AP: टीडीपी अध्‍यक्ष चंद्रबाबू नायडू। फाइल फोटो
 चुनाव डेस्‍क, नई दिल्ली। Chandrababu Naidu oath as a CM of Andhra Pradesh: तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू 12 जून 2024 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। चंद्रबाबू नायडू चौथी बार राज्य के सीएम बनेंगे। शपथग्रहण समारोह अमरावती में होगा, जिसमें नरेंद्र मोदी समेत  केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई मंत्री भी शामिल होंगे।

इससे पहले चंद्रबाबू नायडू ने तीन बार- 1 सितंबर 1995, 11 अक्टूबर 1999 और 8 जून 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि, साल 2019 के विधानसभा चुनाव में वाईएसआरसीपी के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ने  टीडीपी को हराकर नायडू से सत्ता छीन ली थी।

कौन हैं चंद्रबाबू नायडू?

एन चंद्रबाबू नायडू का पूरा नाम नारा चंद्रबाबू नायडू है। उनका जन्म 20 अप्रैल 1950 को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के नारावारिपल्ली गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम  नारा खर्जुरा नायडू और मां का नाम अमनम्मा है। नायडू की शुरुआती शिक्षा तिरुपति से ही पूरी हुई। उन्‍होंने चंद्रगिरी गवर्नमेंट स्कूल से 10वीं और 12वीं की पढाई की। तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर आर्ट्स कॉलेज ग्रेजुएशन और श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

 नायडू ने एक युवा कांग्रेस नेता के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी। इमरजेंसी के बाद वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। नायडू 1978 में चंद्रगिरि से पहली बार विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे। साल 1980 में जाने-माने अभिनेता और TDP के संस्थापक एन टी रामाराव (NTR) की बेटी नारा भुवनेश्वरी से शादी की। शादी के बाद भी नायडू कांग्रेस में ही थे, लेकिन 1983 के विधानसभा चुनाव में वह टीडीपी प्रत्याशी से हार गए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर टीडीपी ज्वाइन कर ली।

ससुर के खिलाफ तख्तापलट कर बने थे सीएम

नायडू ने 1995 में उस वक्त आंध्र के सीएम और अपने ससुर एन टी रामाराव के खिलाफ बगावत की। फिर विधानसभा में बहुमत साबित कर खुद मुख्‍यमंत्री बन गए थे। 2004 तक सीएम के तौर पर काम किया। कई कारणों से वह राज्य में अपनी सत्ता नहीं बचा पाए। साल 2014 में वह फिर से सीएम बने। 2019 में वह जगन रेड्डी की पार्टी से हार गए थे।

इस बार फिर भाजपा के समर्थन से आंध्र प्रदेश में टीडीपी ने शानदार जीत दर्ज की है और नायडू चौथी बार सीएम बनने जा रहे हैं। बता दें कि चंद्रबाबू नायडू विभाजन से पूर्व आंध्र प्रदेश के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री हैं। इतना ही नहीं वह सबसे लंबे समय तक विपक्ष के नेता भी रहे हैं।

क्यों किया ससुर एनटीआर को सत्‍ता से बेदखल?

दरअसल, 1994 के विधानसभा चुनाव में टीडीपी प्रचंड बहुमत से जीती थी। एनटीआर सीएम बने और पार्टी की कमान अपनी दूसरी पत्‍नी एन लक्ष्मी पार्वती को सौंप दी। नायडू समेत एनटीआर के अन्‍य दामाद व सभी विधायक इसके खिलाफ थे।

जब सबने एनटीआर के इस कदम की आलोचना की तो उन्‍हें सजा के दौर पर पार्टी से बाहर जाने को बोल दिया गया। इसके बाद नायडू के नेतृत्व में सभी विधायकों ने सत्ता पलट कर दिया। आखिर में एनटीआर को इस्‍तीफा देना पड़ा और नायडू ने सीएम की कुर्सी संभाली। 

यह भी पढ़ें -Kapil Sibal on Election: 'दयालु भगवान आपको अब कुछ सोचना होगा...', जेडीयू के बाद कपिल सिब्बल ने इस मुद्दे पर BJP को घेरा

आधुनिक हैदराबाद के वास्तुकार के रूप में पहचान

नायडू को आधुनिक हैदराबाद का मुख्य वास्तुकार भी माना जाता है। चंद्रबाबू नायडू ने हैदराबाद को हाई-टेक शहर के रूप में विकसित करने और एक प्रमुख केंद्र में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इतना ही नहीं उन्‍होंने केंद्र में राजग की सरकार बनाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को बाहर से समर्थन दिया और सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह भी पढ़ें -ये हैं देश के 10 युवा सांसद, कोई 25 तो कोई 27 की उम्र में जीता, इकरा हसन का भी नाम शामिल

चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को विभाजित आंध्र की राजधानी बनाने का बीड़ा भी उठाया, लेकिन 2019 में सत्ता से बाहर होने के बाद इसे पूरा नहीं कर पाए थे। नायडू का शपथग्रहण समारोह अमरावती में होगा। माना जा रहा है कि इस दौरान वह अमरावती को राज्य की राजधानी बनाने का भी एलान कर सकते हैं।  

यह भी पढ़ें -संसद में NDA की ताकत बढ़ाएंगी ये पार्टियां, कहां से कौन बना सांसद… पढ़िए पूरी डिटेल