उसके पिता अस्पताल में वेंटिलेटर पर पहुंच चुके होते हैं और बेटे को देखते ही कहते हैं- 'मेरे बाद तुम्हारा नाम प्रपोज करेंगे तो ना मत कहना' और परलोक सिधार जाते हैं। पिता की मौत के बाद बेटे को न चाहते हुए पीएम पद की शपथ लेनी पड़ती है।
खैर, जैसे तैसे वो कार्यकाल पूरा हो जाता है, लेकिन आगामी चुनावों में विपक्ष अभिमन्यु की जापान में बीती जिंदगी को मुद्दा बनाता है। सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनल तक बिना शादी किए गर्लफ्रेंड के साथ रहने को लेकर उसके चरित्र सवाल उठाते हुए चर्चा होती है।
इस बीच, अभिमन्यु मतदाताओं खासकर युवाओं से अपील करता है, 'अगर आपको लगता है कि मैं गलत हूं तो वोट मत देना, लेकिन वोट जरूर डालना।' खैर चुनाव परिणाम आते हैं, जिसमें वह दोपहर बाद तक हारता नजर आता है, लेकिन अचानक खबर आती है कि चुनाव आयोग ने इस बार इंटरनेट के जरिए वोट कराए थे और और कानूनी तौर पर वैध माना है।
इंटरनेट के जरिए बड़ी संख्या में उन युवाओं वोटिंग की थी, जो कोचिंग,नौकरी या फिर सिकी अन्य काम से बूथ पर डालने नहीं पहुंच पाए थे। चुनाव परिणाम बदल जाता है। अभिमन्यु जीतता और फिर पीएम बनता है।
खैर यह कहानी तो फिल्म की थी। अब आप सोच रहे होंगे कि हम आपको फिल्म की कहानी क्यों पढ़ा रहे हैं। देश में इस साल 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने हैं। सभी पार्टियां जनता के बीच अपनी-अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी हैं। इस आम चुनाव में ईवीएम (EVM) के जरिए वोटिंग की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में करीब दो महीने का समय लगेगा।
बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो पढ़ाई, नौकरी या फिर किसी अन्य काम के सिलसिले में वे उस जगह नहीं रह रहे हैं, जहां मतदाता के तौर पर पंजीकृत हैं। ऐसे में उन्हें अपना वोट डालने के लिए छुट्टी लेकर घर जाना होता है। जिन लोगों को छुट्टी नहीं मिल पाती है या फिर ट्रेन टिकट नहीं मिलता है, वे अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। हालांकि दुनिया के कई देश हैं, जहां ऑनलाइन मतदान वैध हैं।
किस देश में हुई थी सबसे पहले ऑनलाइन वोटिंग?
आप सोच रहे होंगे कि हमारे देश में तो ईवीएम वर्सेस वैलिड पेपर चल रहा है और ऐसे में इंटरनेट के जरिए चुनाव (ऑनलाइन वोटिंग) का ख्याल सिर्फ ख्याली पुलाव है तो ऐसा नहीं है। दुनिया के कई देशों में इंटरनेट के जरिए चुनाव (ऑनलाइन वोटिंग) कराई जा रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 2005 में एस्टोनिया से हुई थी।एस्टोनिया में 2005 में हुए स्थानीय चुनावों में वहां के लोगों ने इंटरनेट के जरिए वोट डाले। यह एक तरह का प्रयोग था, जोकि सफल रहा। इसके बाद 4 मार्च, 2007 को एस्टोनिया में राष्ट्रीय चुनाव हुए, जिसमें ऑनलाइन वोटिंग कराई गई।
इस चुनाव में मतदाताओं ने वर्ल्ड वाइड वेब के जरिए वोट डाले थे। इसके साथ ही एस्टोनिया दुनिया का पहला देश बन गया था, जहां राष्ट्रीय चुनाव में ऑनलाइन वोटिंग हुई।
अमेरिका ने भी किया था प्रयोग?
बता दें कि एस्टोनिया से पहले साल 2000 में अमेरिका ने भी अपने यहां इंटरनेट के जरिए वोट कराने का सफल प्रयास किया था। हालांकि, साल 2004 में इसकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठे, जिसके बाद यह प्रोजेक्ट ठप हो गया।
51% ऑनलाइन वोटिंग करने वालों की संख्या
खास बात यह है कि एस्टोनिया में पहली बार जब इंटरनेट के जरिए वोटिंग हुई, तब सिर्फ पांच प्रतिशत मतदाताओं ने ही ऑनलाइन वोट डाला। जबकि साल 2013 में हुए राष्ट्रीय चुनावों में 51 प्रतिशत मतदाताओं ने ऑनलाइन ही वोट डाले। हालांकि, एस्टोनिया ने चुनावों में लोगों को ऑनलाइन वोटिंग के साथ ही ऑफलाइन सेटिंग का ऑप्शन भी दिया गया था ताकि किसी भी व्यक्ति को परेशानी का सामना न करना पड़े।
कई देशों में चल रहे पायलट प्रोजेक्ट
दुनिया भर में 20 से अधिक देशों में इंटरनेट के जरिए वोट डालने की अनुमति हैं। फिलहाल चार देश - एस्टोनिया, फ्रांस, कनाडा और स्विट्जरलैंड अपने यहां कई चुनावों में इंटरनेट के जरिए वोटिंग करवा चुके हैं।बाकी बचे देशों में कुछ में राष्ट्रीय स्तर के चुनावों में भी इंटरनेट के जरिए वोट डाले जा सकते हैं, जबकि कुछ में यह सुविधा स्थानीय अथवा क्षेत्रीय चुनावों के लिए ही उपलब्ध है। कई देशों में विदेश में रह रहे वोटर्स और बुजुर्ग मतदाता भी वोट डाल सकें, इसलिए लिए इंटरनेट के जरिए वोट यानी ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा का विकल्प दिया गया है।
हमारे देश की व्यवस्था
देश में जिस विधानसभा/लोकसभा क्षेत्र में आप मतदाता के तौर पर रजिस्टर्ड हैं, आप उसी क्षेत्र की बूथ पर जाकर वोट डाल सकते हैं। साल 2020 में चुनाव आयोग (ECI) ने कानून मंत्रालय को एक प्रस्ताव दिया था, जिसमें कहा था कि आगामी साल में होने वाले चुनावों में योग्य एनआरआई को डाक मतपत्र की सुविधा का विस्तार करने का प्रस्ताव दिया। आयोग ने इस सुविधा की अनुमति देने के लिए चुनाव आचरण नियम, 1961 में संशोधन का प्रस्ताव रखा था।
साल 2023 में चुनाव आयोग ने घर से दूर रहने वाले मतदाताओं के लिए रिमोट वोटिंग सिस्टम (RVM) तैयार करने की घोषणा की। कहा कि रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी RVM के जरिए अब घर से दूर, किसी दूसरे शहर और राज्य में रहने वाला वोटर विधानसभा/लोकसभा चुनाव में वोट डाल सकेगा। यानी वोटिंग के लिए उसे अपने घर नहीं आना पड़ेगा।आयोग ने 16 जनवरी, 2023 को सभी राजनीतिक पार्टियों को RVM का लाइव डेमोंस्ट्रेशन भी दिया, लेकिन अधिकांश राजनीतिक दलों के विरोध के चलते यह लागू नहीं हो सका है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इंटरनेट के जरिये वोटिंग को लेकर
साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल का कहना है कि हमारा देश दुनिया सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में ऑनलाइन/इंटरनेट वोटिंग जैसे कदम को उठाने से पहले साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। भारत तेजी से प्रगति कर रहा है। देश के बाहर बैठे सारे लोग तो हमारे देश की प्रगति से खुश नहीं होंगे, ऐसे में देश की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की आशंका भी रहेगी। ऑनलाइन वोटिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के साथ ही कानूनी प्रावधान में बदलाव भी करने होंगे।वह कहते हैं कि इसके लिए थोड़ा समय चाहिए, लेकिन सरकार ऑनलाइन वोटिंग सिस्टम लागू करना चाहे तो यह हो सकता है। बस सिस्टम को मजबूत बनाना होगा।
देश में कब हुआ ईवीएम और वीवीपैट का पहली बार उपयोग?
भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए वोटिंग कराई जाती है। चलिए आपको बता देते हैं कि देश में ईवीएम का पहली बार उपयोग साल 1982 में केरल के पैरुर विधानसभा सीट के लिए किया गया था।ईवीएम के साथ वोटर वेरिफायबल पेपर आडिट ट्रेल (VVPAT) 2013 में पहली बार नगालैंड के नोकसेन विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में उपयोग हुआ था।
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