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वन वर्कर थर्टी वोटर, टिफिन बैठक, गांव-गांव संवाद, ऐसा है वाराणसी की सीट का 'मोदी मैनेजमेंट'

Lok sabha Election 2024 देशभर के चुनाव का बीड़ा उठाए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में भी एक-एक वोट बटोरने को लेकर कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। वाराणसी सीट पर मोदी मैनेजमेंट में इस बार फर्क भी आया है। पीएम मोदी ने एक दिन में 660 मतदान केंद्रों पर टिफिन बैठक की। नामांकन के दिन 1200 वर्करों से संवाद किया। इससे पहले बड़ा रोड शो किया।

By Jagran News Edited By: Deepak Vyas Updated: Fri, 17 May 2024 12:09 PM (IST)
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Lok sabha Election 2024: वाराणसी की सीट पर जीत के लिए क्या है 'मोदी मैनेजमेंट'

 भारतीय बसंत कुमार, वाराणसी। करीब डेढ़ माह पूर्व की वह तारीख थी 31 मार्च की, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में एक साथ 660 मतदान स्थलों पर वर्चुअल टिफिन बैठक कर बनारस के अपने कार्यकर्ताओं से तादात्म जोड़ा। पार्टी का दावा था कि इस टिफिन बैठक में करीब साठ हजार लोगों का अपने सांसद से कनेक्ट हुआ। टिफिन बैठक की चर्चा का अंदाज बनारसी था। बनारसीपन के भाव से ही प्रधानमंत्री ने गर्मी में बनारस में सत्तू की लस्सी का स्वाद और आम के पन्ना का रस घोला। यह जोड़ा कि सबलोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। मोदी के मन में यह भाव हमेशा रहता है कि कैसे बनारस से खुद को जोड़े रखें। यही वजह है कि उनके कार्यकर्ता बनारस में हर 'मन की बात' कार्यक्रम का सार्वजनिक रूप-स्वरूप गढ़ते रहे हैं।

देशभर के चुनाव का बीड़ा उठाए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में भी एक-एक वोट बटोरने को लेकर कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। वाराणसी सीट पर 'मोदी मैनेजमेंट' में इस बार फर्क भी आया है। 2014 में प्रधानमंत्री कहा करते थे कि- 'मां गंगा ने मुझे बुलाया है लेकिन अब बोलते हैं - 'मां गंगा ने मुझे गोद ले लिया है एक बेटे की तरह, एक संतान की तरह'। 2014 में जब वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने आए थे तो उनके साथ बाहरी लोगों की बड़ी टीम थी। अरुण जेटली, अमित शाह, राजनाथ सिंह जैसे नेता थे तो बनारस की गलियों में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से संगठन के लोग और तब मोदी मित्रों ने यहां डेरा जमाया था। उस समय संगठन की वह मजबूती नहीं थी जो अब हो गई है। तब राज्य में डबल इंजन की सरकार भी नहीं थी। उस समय की चुनौती दूसरी थी।

एक साल पहले से शुरू हो गई थी तैयारी

2019 के चुनाव में यह चुनौती दूर हो गई। ऐसा नहीं है कि वाराणसी संसदीय सीट पर मोदी का मैनेजमेंट बहुत औचक आकार लेता है। 2024 के इस चुनाव की तैयारी भी करीब एक साल पूर्व से शुरू हो गई। प्रधानमंत्री की पिछली छह बार की बनारस यात्रा का संदर्भ लें तो एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक स्थानीय लोगों से मिलने की संख्या में बढ़ोतरी हुई। मंच पर जाने से पूर्व और उतरने के बाद औसतन स्थानीय नए 50 लोगों से वह जरूर मिलते हैं। सामान्य दिनों की तुलना में चुनावी वर्ष में ही मिलने-जुलने की यह संख्या दोगुनी हो जाती है।

गांव-गांव तक दिखा मोदी मैनेजमेंट

चुनाव की घोषणा से पूर्व विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री बनारस से गहरे जुड़े रहे। शहर और ग्रामीण इलाके में भी उनकी सभा हुई। लाभार्थी संपर्क योजना का भी बनारस चैप्टर उनके नेतृत्व में संपन्न हुआ। एक-एक स्टाल का निरीक्षण करना और कई समूहों से बातचीत कर अपना संदेश देने की उनकी अदा ने गांव-गांव तक का कनेक्ट पैदा किया। अमूल के बनारस प्लांट के लोकार्पण के साथ ही प्लांट में प्रतिदिन स्थानीय 500 लोगों का भ्रमण कार्यक्रम मोदी मैनेजमेंट का हिस्सा कहा जा सकता है। अमूल प्लांट को लेकर विपक्षी दल भले अपने जमाने की योजना की बात कहते हों लेकिन शिलान्यास से लेकर उद्घाटन तक का सिलसिला मोदी 2.0 में ही संपन्न हुआ है।

हमेशा सक्रिय रहता है पीएम संसदीय कार्यालय

किसी की यह शिकायत नहीं रहती कि उनके सांसद क्षेत्र के लोगों से तारतम्य नहीं जोड़ते। बनारस में प्रधानमंत्री का संसदीय कार्यालय हमेशा सक्रिय रहता है। हालांकि अबकी गुजरात के पूर्व विधायक सुनील भाई ओझा के न होने की कसक जरूर है। दिवंगत सुनील भाई ओझा प्रधानमंत्री के सबसे सशक्त करीबी थे। हमेशा बनारस में डेरा जमाए रहते थे। गुजरात की पुरानी टीम के काकू भाई, पूर्व विधायक जगदीश भाई पटेल, सीआर पाटिल जैसे करीबी के साथ ही नए चेहरे में एमएलसी अश्विनी त्यागी और कानपुर के अरुण पाठक मोदी मैनेजमेंट के सूत्रधार हैं। मेयर अशोक तिवारी और संसदीय क्षेत्र के विधायक और विधान परिषद सदस्य के अनेक संगठन के पदाधिकारी के बीच बांटा गया टास्क इस प्रबंधन को मजबूत डोर में बांधता है।

चार किमी रोड शो 'मोदी मैनेजमेंट' का नतीजा

शहरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्र को कई जोन में बांटकर जिम्मेदारी तय की जाती है। रोड शो इसका उदाहरण है। 'मोदी मैनेजमेंट' के तहत ही चार किलोमीटर के रोड शो में जहां प्रधानमंत्री अपने हजारों वोटरों के स्नेह से अभिसिंचित हुए वहीं विधायक तक का सेक्टर बंटा था, उन्हें उतने ही क्षेत्र की व्यवस्था देखनी थी। नामांकन के तुरंत बाद मोदी ने रुद्राक्ष में अपने करीब 1200 कोर कैडर से बात की। वन वर्कर थर्टी वोटर का टास्क दिया। मंत्र दिया कि जीत को लेकर आश्वस्त हैं पर भाजपा के लोग पुराने रिकॉर्ड तोड़ने के लिए मेहनत करेंगे।

वोटरों को काशी की विरासत और नए स्वरूप की जानकारी देना

बीते दस सालों में जो काम हुआ है उसे लेकर लोगों के बीच जाना है। काशी के विरासत की और काशी के नये रूप की लोगों से चर्चा करें। जितना काम हुआ है और उससे जिंदगी कितनी बदली है यह वोटरों को बताएं। हर बूथ पर, हर शक्ति केंद्र, हर मंडल पर मोदी की गारंटी पहुंचाएं। पन्ना प्रमुख, बूथ समिति मॉनिटरिंग करे। हर वर्ग, हर जाति, हर समुदाय के लोग विकसित भारत के संकल्प से कैसे जुड़े, यही 'मोदी मैनेजमेंट' का स्थानीय ध्येय है। इसकी ही पूर्ति के लिए इस बार के उनके प्रस्तावक में ओबीसी, ब्राह्मण, दलित चेहरा दिख रहा है।