Lok sabha Election 2024: दो राज्यों के विकास में अंतर की कहानी कहता पलामू, बिहार और झारखंड के अलग होने की लोगों में है पीड़ा
Lok sabha Election 2024 बिहार-झारखंड की सीमा पर बसे पलामू में आठ फीट की गली के आर-पार विकास में अंतर साफ नजर आता है। बिहार के हिस्से में जहां बिजली सड़क व अन्य सुविधाओं की बेहतर स्थिति है। वहीं दूसरी ओर झारखंड वाले हिस्से में बदहाली नजर आती है। पलामू गांव के एक हिस्से में विकास दूसरे हिस्से में बदहाली का दर्द लोगों में साफ दिखाई देता है।
Lok sabha Election 2024: पलामू: कंचन कुमार, जागरण। बिहार और झारखंड की सीमा पर स्थित पलामू के हरिहरगंज क्षेत्र के अररुआ खुर्द गांव की सुनीतिया अक्सर अपनी सहेली से सवाल पूछती हैं 'तोर घर अंजोर, मोर अंधार कैसे। इसे बिहार और झारखंड के अलग होने की पीड़ा भी कह सकते हैं और सुविधाओं से वंचित रहने का दर्द भी। दो राज्यों के बीच विकास के अंतर को यहां साफ देख सकते हैं।'
मेदिनगर से हरिहरगंज जाने के रास्ते में छतरपुर से आगे बढ़ते ही चमचमाती आठ लेन सड़क देखकर मन आनंदित हो जाता है। इसका कुछ हिस्सा बन चुका है और बाकी में निर्माण कार्य चल रहा है। गाड़ी इस सड़क पर हवा को चीरती तेज रफ्तार से फर्राटा भरती है, लेकिन आगे बढ़ने पर अनुभव बदलता है। हरिहरगंज पहुंचने से कुछ किलोमीटर पहले दाहिनी ओर सड़क से नीचे उतरकर मुड़ने का संकेतक लगा है। नीचे उतरते ही जाम का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह झारखंड का इलाका है। दूर- दूर तक बिहार जाने वाली व बिहार से आने वाली छोटी-बड़ी गाड़ियों की कतार लगी रहती है औऱ बाजार में धूल के गुबार उड़ते रहते हैं।
धूल इतनी कि सांस लेने में भी कठिनाई होती है। हमारे वाहन चालक ने जाम से बचने के लिए एक पतली गलीनुमा सड़क पर गाड़ी घुमाई। यह गली बिहार और झारखंड को बांटती है। गली की दाहिनी ओर झारखंड के पलामू लोकसभा अंतर्गत हरिहरगंज नगर पर्षद क्षेत्र का अररुआ खुर्द वार्ड है। बाईं ओर बिहार के औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड का महाराजगंज गांव। अररुआ खुर्द में सुनीतिया का घर है, जबकि गली के उस पार बिहार वाले इलाके में उसकी सहेली रहती है। इस ओर के बिजली खंभे पर भी बल्ब लगे हैं, लेकिन जलते नहीं।
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झारखंड वाले इलाके मे तीन घंटे बिजली
हरिहरगंज निवासी विजय सिंह बलोर बताते हैं-'झारखंड वाले हिस्से में तो बमुश्किल दो-तीन घंटे ही बिजली रहती है। बाकी समय पूरा मोहल्ला अंधकार में डूबा रहता है। वहीं, आठ फीट की गली पार करते ही बिहार वाले हिस्से में बिजली चकाचक है। वहां 22 घंटे तक बिजली आपूर्ति हो रही। मोबाइल चार्ज करने भी इधर के लोग उधर ही जाते हैं। इसी गली में गुप्ता पासवान का घर है। उनका पश्चिम का दरवाजा बिहार में खुलता है और पूरब का झारखंड में। निवासी झारखंड के हैं, इसलिए झारखंड की सुविधाओं के ही भरोसे हैं। बिहार की सुविधाएं नहीं मिलतीं।'झारखंड में वैकेंसी नहीं, बिहार में ज्यादा मौके'
यहीं पर मुलाकात हुई आकाश से। पढ़ाई पूरी कर नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। कहते हैं, झारखंड में नौकरी के लिए वैकेंसी ही नहीं है। उधर बिहार में ज्यादा मौके मिल रहे हैं। सड़क बिहार सरकार बनाए या झारखंड, तय नहीं बेलौदर मोड़ से महाराजगंज पीएनबी तक बिहार से अलग करने वाली गलीनुमा सड़क की चौड़ाई कहीं आठ तो कहीं 10 फीट है। जाम से आगे निकलने के लिए छोटी गाड़ी वाले इसी सड़क का सहारा लेते हैं। हरिहरगंज वार्ड नंबर 9 अररुआ खुर्द में इस सड़क के नहीं बनने की पीड़ा दोनों तरफ के लोगों की है। एक तरफ अररुआ खुर्द(झारखंड) तो दूसरी ओर महाराजगंज (बिहार)। बॉर्डर की इस सड़क को बिहार सरकार बनाए या झारखंड सरकार, तय नहीं है। राज्य अलग होने अर्थात 2020 से इसकी मरम्मत नहीं हुई है। सड़क पर नाली के पानी का जमाव हो जाता है।