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Loksabha Election 2019: 3140 मीटर की ऊंचार्इ पर गंगोत्री धाम में पहली बार बना पोलिंग बूथ

प्रसिद्ध गंगोत्री धाम में मतदाता लोकतंत्र में अपना योगदान दे सकेंगे। पहली बार यहां पोलिंग बूथ बनाया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 16 Mar 2019 09:17 AM (IST)
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Loksabha Election 2019: 3140 मीटर की ऊंचार्इ पर गंगोत्री धाम में पहली बार बना पोलिंग बूथ
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। इतिहास में यह पहला मौका है, जब लोकतंत्र के महापर्व हिमालय के प्रसिद्ध गंगोत्री धाम में मतदाता लोकतंत्र में अपना योगदान दे सकेंगे। समुद्रतल से 3140 मीटर की ऊंचार्इ पर स्थित गंगोत्री धाम में निर्वाचन आयोग ने पहली बार पोलिंग बूथ बनाया है। यहां लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची में 45 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। इस बूथ की दूसरी रोचक बात ये है कि यह उत्तराखंड का सार्वाधिक ऊंचार्इ वाला पोलिंग बूथ है। 

टिहरी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री धाम को नगर पंचायत का दर्जा हासिल है। लेकिन, मतदाताओं की संख्या कम होने के कारण इस नगर पंचायत में कभी निकाय चुनाव नहीं हुए। इसके अलावा आज तक हुए लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव में भी यहां कभी मतदान केंद्र नहीं बनाया गया। यहां के मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए 29 किमी दूर मां गंगा के शीतकालीन पड़ाव मुखवा आना पड़ता था। 

शीतकाल में हर्षिल और गंगोत्री के बीच लोगों और वाहनों की आवाजाही शून्य रहती है। इसके बावजूद, इस बार निर्वाचन आयोग ने गंगोत्री धाम को एक अलग पोलिंग बूथ बनाया है। जिला निर्वाचन अधिकारी व जिलाधिकारी उत्तरकाशी डॉ. आशीष चौहान कहते हैं कि कोर्इ भी मतदाता मतदान से वंचित न रहे और मतदान करने के लिए उसे किसी तरह की परेशानी न हो। इसे ध्यान में रखते हुए गंगोत्री में पोलिंग बूथ बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। जिसे निर्वाचन आयोग ने मंजूर कर लिया। 

वर्षों से तप कर रहे साधुओं को मतदान में होगी आसानी 

पिछले तीस सालों से गंगोत्री धाम में तप कर रहे इन साधुओं ने यहां कुटिया और आश्रम बनाए हुए हैं। धाम में लंबे अर्से से साधनारत राजा रामदास बताते हैं कि गंगोत्री में पोलिंग बूथ बनाने का फैसला बिल्कुल सही है। नहीं तो साधु-संतों को मतदान के लिए 29 किलोमीटर दूर मुखवा जाना पड़ता। 

तीनों धाम में नहीं किसी का स्थायी ठौर

उत्तराखंड में स्थित बदरीनाथ, केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में आज तक कोर्इ मतदान केंद्र नहीं बनाया गया। यमुनोत्री में शीतकाल के दौरान कोर्इ साधु-संत नहीं रहते। केदारनाथ में भी किसी का स्थायी ठिकाना नहीं है। वहां जो लोग पुनर्निर्माण कार्य में जुटे हैं, उनके नाम निचले इलाकों की मतदाता सूची में दर्ज हैं। इसके अलावा बदरीनाथ धाम में भी कोर्इ स्थायी रूप से नहीं रहता। इन दिनों बदरीनाथ में रहने वाले साधु-संतों के नाम भी किसी दूसरी जगह हो सकते हैं। इसलिए बदरीनाथ धाम या माणा गांव में कोर्इ मतदान केंद्र नहीं बनाया गया है।

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