प्रदीप टम्टा को पार्टी के महासचिव और पूर्व सीएम हरीश रावत की नजदीकियों का मिला लाभ
लोकसभा चुनावों में टिकट के लिए आखिरी क्षण तक इंतजार के बाद अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने बाजी मार ही ली।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 25 Mar 2019 09:29 AM (IST)
अल्मोड़ा, जेएनएन : लोकसभा चुनावों में टिकट के लिए आखिरी क्षण तक इंतजार के बाद अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने बाजी मार ही ली। टिकट की दौड़ में टम्टा को पार्टी के महासचिव और पूर्व सीएम हरीश रावत की नजदीकियों का लाभ भी मिला। वहीं साफ सुथरी छवि और अन्य दावेदारों के लिहाज से खाली मैदान होना भी टम्टा को लाभ दे गया।
वर्तमान में राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने अपना सियासी सफर सोमेश्वर विधानसभा से विधायक के रूप में किया। वर्ष 2009 में कांग्रेस ने प्रदीप टम्टा को अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ाया। इस चुनाव में प्रदीप टम्टा ने भाजपा के अजय टम्टा को शिकस्त दी। सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान प्रदीप टम्टा ने हिमालयी राज्यों के विकास, ग्रीन बोनस, टनकपुर- बागेश्वर रेल मार्ग को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट में शामिल किए जाने समेत जौलजीवी, कर्णप्रयाग, और चौखुटिया तक रेल लाइन को स्वीकृति दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया। पार्टी में साफ सुथरी छवि और मैदान में किसी अन्य सशक्त उम्मीदवार के ना होने के कारण 2014 में हुए चुनावों में पार्टी ने उन पर फिर दांव खेला लेकिन मोदी लहर में टम्टा अपनी सीट बचाने में नाकामयाब हो गए। इसके बाद भी टम्टा ने पार्टी संगठन के कार्यों समेत पार्टी के आला नेताओं तक अपनी पहुंच बनाए रखी। पूर्व सीएम हरीश रावत से काफी अधिक नजदीकियां होने के कारण भी उनकी टिकट की राह आसान हो गई और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के एक बार फिर उन पर अपना दांव खेला है।
गोयल को हराकर राज्य सभा सीट झटकी
2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद प्रदीप टम्टा ने 2016 में राज्य सभा का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में टम्टा का सामना अनिल गोयल के साथ था। इस चुनावों में विधानसभा के 58 सदस्यों ने अपना मत डाला। जिसमें प्रदीप के पक्ष में 32 वोट पड़े। जबकि गोयल को महज 26 मत प्राप्त हुए। प्रदीप टम्टा राज्यसभा पहुंचने वाले प्रदेश से पहले दलित नेता थे।
कार्यकर्ताओं में भी बनाई पैठ
अपने अब तक के सियासी सफर में राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने संसदीय क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में अपनी अच्छी पैठ बनाई। अपने सरल स्वभाव व मिलनसार प्रवृत्ति के कारण टिकट वितरण के दौरान किसी भी कार्यकर्ता ने उनके खिलाफ बगावती सुर नहीं दिखाए। जिस कारण पार्टी ने इस सीट पर अधिक माथापच्ची करना मुनासिब नहीं समझा और 2019 के चुनाव में उन्हीं पर फिर दांव खेला है।
कांग्रेस की नीतियों को अपना सिद्धांत माना प्रदीप टम्टा, निवर्तमान सांसद, अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र ने कहा कि मैंने अपने सियासी सफर में हमेशा कांग्रेस की नीतियों को अपना सिद्धांत माना है। क्षेत्र के विकास के लिए जहां जिम्मेदारियों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। वहीं संगठन को मजबूत करने के लिए भी पूरे पूरे प्रयास किए। पार्टी ने मुझे फिर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है। जिसे में पूरी शिद्दत के साथ पूरा करूंगा।
प्रोफाइल नाम : प्रदीप टम्टा
पिता का नाम - श्री गुसांई रामपत्नी का नाम- रेनू टम्टा
पत्नी का व्यवसाय - प्रवक्ता संस्कृतउम्र : 57
शैक्षिक योग्यता - एमए, बीएड, एलएलबीयह भी पढ़ें : हरीश रावत को डॉ. इंदिरा हृदयेश और महेंद्र पाल की नाराजगी का करना पड़ सकता है सामना
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