Loksabha Election 2019: राष्ट्रीय राजनीति में हमेशा दर्ज हुई उत्तराखंड की मौजूदगी
उत्तराखंड एक नवोदित और लोकसभा सीटों के हिसाब से छोटा राज्य है लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में प्रदेश ने हमेशा ही अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 07 Apr 2019 04:39 PM (IST)
देहरादून, विकास गुसाईं। भले ही उत्तराखंड एक नवोदित और लोकसभा सीटों के हिसाब से छोटा राज्य है लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में प्रदेश ने हमेशा ही अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। अविभाजित उत्तर प्रदेश के बाद इस पर्वतीय क्षेत्र की देहरादून सीट से जीतने वाले महावीर त्यागी और गढ़वाल सीट से लगातार जीतने वाले भक्तदर्शन ने केंद्र में मंत्री व राज्यमंत्री जैसे अहम पदों को संभाला। इस परंपरा को उत्तराखंड के हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी और मुरली मनोहर जोशी सरीखे दिग्गजों ने आगे बढ़ाया। राज्य गठन के बाद भुवन चंद्र खंडूड़ी, सतपाल महाराज, हरीश रावत और अजय टम्टा इस परंपरा के संवाहक बने।
उत्तराखंड की राष्ट्रीय राजनीति में हमेशा से ही अहम भूमिका रही है। पहले लोकसभा चुनाव में देहरादून सीट से जीतने वाले महावीर त्यागी नेहरू मंत्रिमंडल में 1953 तक राजस्व मंत्री और फिर रक्षा संस्थानों के मंत्री रहे। इसी दौर में गढ़वाल संसदीय सीट से जीतने वाले भक्तदर्शन ने वर्ष 1963 से 1971 तक नेहरू सरकार और फिर इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार में शिक्षा व परिवहन राज्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
हालांकि, उत्तराखंड को हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी ने देश-विदेश में ख्याति दिलाई। हेमवती नंदन बहुगुणा राष्ट्रीय राजनीति में काफी पहले से थे लेकिन पौड़ी सीट से उन्होंने 1980 में चुनाव लड़ा। पहले वे कांग्रेस आई के टिकट से चुनाव लड़े, बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और फिर 1982 के उपचुनाव में फिर से इसी सीट से चुनाव जीते। उन्होंने केंद्र में वित्त मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला।
पंडित नारायण दत्त तिवारी भी 1980, 1996 और 1999 में नैनीताल सीट से लोकसभा का चुनाव जीते। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ ही केंद्र में कई अहम मंत्रालय संभाले। बाद में तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बने। टिहरी लोकसभा के का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्रह्मदत्त भी केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री बने।
भाजपा के शीर्ष नेताओं में शामिल डॉ. मुरली मनोहर जोशी भी 1977 में अल्मोड़ा संसदीय सीट से चुनाव जीते थे। उन्होंने केंद्र में मानव संसाधन मंत्रालय जैसा अहम पद संभाला। हालांकि बाद में उन्होंने अपना संसदीय क्षेत्र बदल दिया था। भाजपा के वरिष्ठ नेता भुवन चंद्र खंडूडी पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट से चार चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2000 से 2003 तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय संभाला। वे दो बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे।
कांग्रेसी नेता हरीश रावत पांच बार के सांसद रहे हैं। वर्ष 2012 से वर्ष 2014 तक उन्होंने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री का पदभार संभाला। इसके बाद वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने। पौड़ी से सांसद रहे भाजपा नेता सतपाल महाराज भी वर्ष 1996 में केंद्रीय रेलवे राज्यमंत्री और वित्त राज्यमंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे। वर्ष 2014 में अल्मोड़ा से चुने गए अजय टम्टा भी वस्त्र मंत्रालय में राज्यमंत्री के रूप में केंद्र सरकार में शामिल हैं।
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