'आप एक बुलबुला था, जो फूट गया, कांग्रेस से है लड़ाई', अमृतपाल से लेकर सियासी मुद्दों पर खुलकर बोले सुखबीर सिंह बादल, पढ़ें पूरी बातचीत
Punjab Lok Sabha Election 2024 शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भाजपा से गठबंधन नहीं होने से लेकर खडूर साहिब से चुनाव लड़ रहे अलगाववादी अमृतपाल के मुद्दे पर बेधड़क जवाब देते हैं। विपक्षी दलों को लेकर वह कहते हैं कि आप व कांग्रेस नेता दिल्ली में साथ-साथ लेकिन पंजाब में कर रहे दो-दो हाथ। प्रस्तुत हैं उनसे विशेष बातचीत के प्रमुख अंश-
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) पंजाब में 26 वर्षों के बाद पहली बार अकेले चुनाव लड़ रहा है। इस लोकसभा चुनाव में पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी नहीं हैं। दल को आगे ले जाने की सारी जिम्मेदारी अध्यक्ष सुखबीर बादल के कंधे पर है। वह दिन-रात पार्टी के प्रत्याशियों के प्रचार में जुटे हुए हैं।
भाजपा से गठबंधन नहीं होने से लेकर खडूर साहिब से चुनाव लड़ रहे अलगाववादी अमृतपाल के मुद्दे पर सुखबीर बेधड़क जवाब देते हैं। विपक्षी दलों को लेकर वह कहते हैं कि आप व कांग्रेस नेता दिल्ली में साथ-साथ, लेकिन पंजाब में कर रहे दो-दो हाथ। दैनिक जागरण विशेष संवाददाता कैलाश नाथ ने भोआ विधानसभा क्षेत्र में उनसे विशेष बातचीत की। पेश हैं इसके प्रमुख अंश-
सवाल - आप अकेले चुनाव प्रचार कर रहे हैं, बड़े बादल की कमी कितनी महसूस हो रही है?
जवाब - पिता प्रकाश सिंह बादल अपने आप में राजनीति के विश्वविद्यालय थे। उनकी कमी चुनाव में बहुत खल रही है। बादल हमेशा ही ड्राइविंग सीट पर बैठते थे। अब वह हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने जो सिखाया, उन्हीं के मार्ग पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा हूं।सवाल - विधानसभा चुनाव 2022 में शिअद का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, आपने पंजाब बचाओ यात्रा निकाली। लोकसभा चुनाव में इसका कितना लाभ मिलता दिख रहा है?
जवाब - 2022 के चुनाव और पंजाब बचाओ यात्रा का कोई सीधा संबंध नहीं है। लोगों ने जिस पार्टी को 92 सीटें दी थीं, उस पार्टी ने जो सपने दिखाए थे, वे टूट गए। 80-90 हजार करोड़ का नया कर्ज पंजाबियों के सर चढ़ा दिया। महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया था, वह नहीं दिया। बिजली के लंबे-लंबे कट लग रहे हैं। ड्रग्स को घर-घर पहुंचा दिया।लोगों को आटा-दाल योजना से वंचित कर दिया। गैंगस्टर यहां राज कर रहे हैं। कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है। ये सभी मुद्दे मेरे पास आ रहे थे तो मैंने लोगों की समस्या सुनने के लिए सीधा संवाद करने की सोची। इसके तहत 3,200 किलोमीटर और 80 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया, ताकि जमीनी स्तर पर लोगों की समस्याओं को सुना जा सके।
सवाल - आप शिअद की लड़ाई किस पार्टी के साथ मान रहे हैं?जवाब - कांग्रेस के साथ हमारी पारंपरिक लड़ाई है। आप का तो एक बुलबुला था, जो फूट गया है। लोग भी इस बात को मानते हैं।सवाल - मुख्यमंत्री भगवंत मान और अब कांग्रेस वाले भी आरोप लगा रहे हैं कि शिअद और भाजपा दोनों दल मिले हुए हैं?सवाल - इनके सवालों का जवाब देना तो बनता ही नहीं है। आपने पूछ ही लिया तो बता देता हूं। यह आरोप कौन लगा रहा है, जिन्होंने आपस में गठबंधन किया हुआ है। इनके नेता पंजाब में एक-दूसरे को कोस रहे हैं। दिल्ली में वे मिले हुए हैं। वहां राहुल गांधी ने आप के प्रत्याशी को और केजरीवाल ने कांग्रेस के प्रत्याशी को वोट किया, क्योंकि दोनों का गठबंधन है। और छोड़िए, पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में भी दोनों पार्टियों का गठबंधन है। यूं कहें कि आप व कांग्रेस नेता दिल्ली में साथ-साथ हैं और पंजाब में दो-दो हाथ कर रहे हैं।
सवाल - भाजपा के साथ गठबंधन नहीं हो पाने के पीछे सबसे बड़ा कारण क्या है?जवाब - मैं पहले भी कह चुका हूं कि यह सिद्धांतों की बात थी। पंजाब, पंथ व किसान शिअद के ये मुद्दे थे। भाजपा इन मुद्दों को हल कर देती तो गठबंधन करने में हमें कोई हिचक नहीं थी, लेकिन वह नहीं कर पाई। गठबंधन नहीं हो पाने का मलाल नहीं।सवाल - क्या शिअद पंथ है और पंथ शिअद। सिख तो दूसरी पार्टियों में भी हैं। आपका भाजपा के साथ 25 वर्षों तक गठबंधन रहा, 1984 के बाद भी कांग्रेस ने तीन बार सरकार बनाई?
जवाब - यह सवाल तो मैं भी लोगों से पूछ रहा हूं। नाखून को मांस से अलग नहीं किया जा सकता। क्या आप कांग्रेस, जिसने 1984 में दरबार साहिब पर हमला किया और हजारों सिखों का कत्ल किया, उसे सिखों की पार्टी बोल सकते हैं। क्या भाजपा सिखों की पार्टी हो सकती है। शिअद से पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का गठन धार्मिक मामलों को लेकर हुआ था, जो सिखों की पार्लियामेंट है।
एसजीपीसी के बाद ऐसी फोर्स की जरूरत महसूस हुई, जो राजनीतिक लड़ाई लड़ सके और तब शिअद की स्थापना हुई। शिअद पंथ का पहरेदार है। यह गुरु साहिबों के बताए मार्गों पर चलता है। तभी इसे पंथक पार्टी कहा जाता है। जब शिअद है ही तो भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां सिखों का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकती हैं? वैसे भी तो शिअद क्षेत्रीय पार्टी है।ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: पिछले लोकसभा चुनाव में जिन 52 सीटों पर जीती थी कांग्रेस, इस बार उन्हीं में से 19 पर फंस गई?
सवाल - अमृतपाल को आप केंद्रीय एजेंसियों का एजेंट आप बता रहे हैं, क्या आपको पंथ के वोट टूटने का डर सता रहा है?जवाब - दोनों में से कुछ भी नहीं है। मैं आपको स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैंने यह नहीं कहा कि वह एजेंसी का एजेंट है। मैंने कहा है कि यह जांच का विषय है। मैंने हमेशा कहा है कि एक युवक दुबई से आता है। बाल कटे हुए हैं, क्लीन शेव रहता है। उसके अलग-अलग तरह के विवादास्पद वीडियो सामने आते हैं। अचानक ही वह व्यक्ति अपने आप को लीडर घोषित कर देता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब को ढाल बनाकर एक पुलिस थाने में ले जाया जाता है।
सिख कौम गुरु ग्रंथ साहिब की आन-बान-शान के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देती है। यह पहला ऐसा व्यक्ति था, जिसने पुलिस से बचने के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहिब को आगे रखा। अमृतपाल ने तो अपने आप को बंदी सिंह घोषित करवा दिया। यह बंदी सिंह कैसे हो गया। यह तो ट्रायल पर है। बंदी सिंह तो वे हैं, जो अपनी सजा को पूरी करने के बावजूद 30-30 वर्षों से जेल में हैं। यह बंदी सिंह कैसे हो सकता है।
अमृतपाल युवाओं को ड्रग्स छुड़वाना चाहता है। अच्छी बात है। अमृतपान करवाना है, करवाए। राजनीति बीच में कहां से आ गई। उसने खालिस्तान का समर्थन किया है। कहा जा रहा है कि वह चुनाव जीत जाएगा तो बाहर आ जाएगा। जिस व्यक्ति का भारतीय संविधान में विश्वास नहीं, वह चुनाव कैसे लड़ सकता है। अगर सेंट्रल एजेंसियां नहीं हैं तो फिर यह सब कैसे हो गया।सवाल - ढींडसा परिवार चुनावी परिदृश्य से गायब है? सिकंदर सिंह मलूका कहते हैं कि आप कार्यकारी प्रधान बनाकर पार्टी को बचा सकते थे?
जवाब - देखिए, मैंने मलूका साहब का कोई ऐसा बयान नहीं देखा। फिर भी मैं कहता हूं ‘शिअद में अकेले फैसला नहीं लिया जाता। यहां पूरी पार्टी फैसला लेती है।’ जहां तक बात ढींडसा परिवार की है तो परमिंदर ढींडसा मेरे छोटे भाई हैं। बड़े ढींडसा पार्टी के सरपरस्त हैं। मेरे मन में दोनों के लिए पूरा सत्कार है। जिस भी कारण से वह दिखाई नहीं दे रहे, इस सवाल का जवाब तो वह ही दे सकते हैं। मैं यह जानता हूं, संगरूर में पूरी पार्टी एकजुट है। यहां से परिणाम भी अच्छे आएंगे।ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: पंजाब की राजनीति का अजब रंग, यहां दलबदलुओं पर दलों को भरोसा; देखें किस दल ने कितनों को उतारा