LokSabha Election :बागी तेवरों के साथ चुनी अलग राह, सुर्खियों और विवादों से रहा इनका नाता
सांसद राजकुमार सैनी ने अपने बागी तेवर से भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। उन्होंने 20 करोड़ रुपये की ग्रांट क्षेत्र में विकास कार्य के लिए लगाई।
By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Fri, 29 Mar 2019 01:08 PM (IST)
पानीपत/कुरुक्षेत्र, [पंकज आत्रेय]। सांसद राजकुमार सैनी का पूरा कार्यकाल एक ही एजेंडे पर चला। पिछड़ों के हक की लड़ाई। चुनाव भले ही भाजपा की टिकट पर लड़ा, लेकिन सांसद बनने के एक साल बाद ही सत्ता से अलग राह पकड़ ली। जनता के बीच रहे। कहा जाए कि वे प्रदेश के सबसे ज्यादा सुर्खियों और विवादों में रहने वाले सांसद रहे तो गलत नहीं होगा। पिछड़ों के झंडाबरदार बनने के चक्कर में एक जाति को अपने खिलाफ कर लिया। अपनी ही पार्टी में हाशिये पर चले गए। सदन के बाहर और सदन में भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया। सांसद की जिम्मेदारी भी निभाई। लोकसभा क्षेत्र में पांच साल में कई अहम काम कराए।
जाट आरक्षण के बाद संसद में कम हाजिरी
लोकसभा के आंकड़ों के मुताबिक 65 वर्षीय राजकुमार सैनी ने 16वीं लोकसभा में चुने जाने के बाद संसद में 83 प्रतिशत हाजिरी दी। 23 बार अलग-अलग डिबेट में हिस्सा लिया। अपने संसदीय क्षेत्र के साथ-साथ देश-प्रदेश के मुद्दों पर 57 सवाल उठाए। जाट आरक्षण आंदोलन के शुरू होने के बाद उनकी हाजिरी सदन में कम होती गई। मार्च 2016 में तो उनकी उपस्थिति महज 52 प्रतिशत ही रही।
लोकसभा के आंकड़ों के मुताबिक 65 वर्षीय राजकुमार सैनी ने 16वीं लोकसभा में चुने जाने के बाद संसद में 83 प्रतिशत हाजिरी दी। 23 बार अलग-अलग डिबेट में हिस्सा लिया। अपने संसदीय क्षेत्र के साथ-साथ देश-प्रदेश के मुद्दों पर 57 सवाल उठाए। जाट आरक्षण आंदोलन के शुरू होने के बाद उनकी हाजिरी सदन में कम होती गई। मार्च 2016 में तो उनकी उपस्थिति महज 52 प्रतिशत ही रही।
सांसद राजकुमार सैनी।
यह मुद्दे उठाए
संसद में उन्होंने जो मुद्दे उठाए, उनमें सबसे हम कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में कैथल या कुरुक्षेत्र में एम्स की स्थापना, जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई, केंद्रीय विद्यालयों में पिछड़ा वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षण, कुरुक्षेत्र में झांसा रोड पर रेलवे अंडरब्रिज, ब्रह्मसरोवर के पानी की सफाई, प्रदेश के गांवों में तालाबों की सफाई, परिवार नियोजन व रोजगार संबंधी सवाल शामिल रहे।
संसद में उन्होंने जो मुद्दे उठाए, उनमें सबसे हम कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में कैथल या कुरुक्षेत्र में एम्स की स्थापना, जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई, केंद्रीय विद्यालयों में पिछड़ा वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षण, कुरुक्षेत्र में झांसा रोड पर रेलवे अंडरब्रिज, ब्रह्मसरोवर के पानी की सफाई, प्रदेश के गांवों में तालाबों की सफाई, परिवार नियोजन व रोजगार संबंधी सवाल शामिल रहे।
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मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में नहीं पहुंचे
सांसद चुने जाने के एक साल बाद से ही उन्होंने बागी तेवर अपना लिये थे। सरकारी जलसों और कार्यक्रमों से किनारा कर लिया था। कुरुक्षेत्र लोकसभा में मुख्यमंत्री द्वारा किए गए शिलान्यासों और उद्घाटनों के पत्थरों पर सांसद का नाम तो रहता, लेकिन वे नहीं होते थे। वे खुद की सेना तैयार करने में जुटे रहे। लोकतंत्र सुरक्षा मंच का गठन किया और एक साल पहले इसे राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकृत करवाकर जींद उपचुनाव में अपने उम्मीदवार को मैदान में खड़ा किया। जिला सतर्कता एवं मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन होने के नाते वे शुरुआत में तो हर मीटिंग में पहुंचे, लेकिन बाद में नहीं आए। लंबे अर्से तक कमेटी की बैठक नहीं हो पाती है।यह काम कराने का दावा
पांच साल में उन्होंने सांसद निधि योजना के तहत 20 करोड़ रुपये की राशि विकास कार्यों पर खर्च की। गांव मथाना में केंद्रीय विद्यालय का निर्माण, कैथल के गांव सांघन में सरकारी स्कूल में ग्रिड कनेक्टेड सोलर पावर प्लांट, लोकसभा क्षेत्र में 20 से अधिक रेलवे फाटकों पर अंडर/ओवरब्रिज की मंजूरी, नेशनल हाईवे पर गश्त और एंबुलेंस वाहन, एलएनजेपी अस्पताल में एंबुलेंस, कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण, कैथल नरवाना रेल लाइन विद्युतीकरण, अंबेडकर भवन कुरुक्षेत्र में बेसमेंट, कैथल के गांव खानपुर में सामुदायिक केंद्र, गीता निकेतन स्कूल में बालिका छात्रावास निर्माण, सभी वर्गों की धर्मशालाओं में कमरों व बड़े हालों का निर्माण, कलायत में मल्टी जिम हॉल का निर्माण, झांसा में सामुदायिक केंद्र, कैंसर पीडि़तों को प्रधानमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता, कुरुक्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र से करोड़ों रुपये की मंजूरी, शाहाबाद रेलवे स्टेशन पर बठिंडा गाड़ी के ठहराव की कोशिश, एक दर्जन से ज्यादा गांवों में सामुदायिक केंद्र का निर्माण सांसद के कार्यों में शामिल है।
सांसद चुने जाने के एक साल बाद से ही उन्होंने बागी तेवर अपना लिये थे। सरकारी जलसों और कार्यक्रमों से किनारा कर लिया था। कुरुक्षेत्र लोकसभा में मुख्यमंत्री द्वारा किए गए शिलान्यासों और उद्घाटनों के पत्थरों पर सांसद का नाम तो रहता, लेकिन वे नहीं होते थे। वे खुद की सेना तैयार करने में जुटे रहे। लोकतंत्र सुरक्षा मंच का गठन किया और एक साल पहले इसे राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकृत करवाकर जींद उपचुनाव में अपने उम्मीदवार को मैदान में खड़ा किया। जिला सतर्कता एवं मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन होने के नाते वे शुरुआत में तो हर मीटिंग में पहुंचे, लेकिन बाद में नहीं आए। लंबे अर्से तक कमेटी की बैठक नहीं हो पाती है।यह काम कराने का दावा
पांच साल में उन्होंने सांसद निधि योजना के तहत 20 करोड़ रुपये की राशि विकास कार्यों पर खर्च की। गांव मथाना में केंद्रीय विद्यालय का निर्माण, कैथल के गांव सांघन में सरकारी स्कूल में ग्रिड कनेक्टेड सोलर पावर प्लांट, लोकसभा क्षेत्र में 20 से अधिक रेलवे फाटकों पर अंडर/ओवरब्रिज की मंजूरी, नेशनल हाईवे पर गश्त और एंबुलेंस वाहन, एलएनजेपी अस्पताल में एंबुलेंस, कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण, कैथल नरवाना रेल लाइन विद्युतीकरण, अंबेडकर भवन कुरुक्षेत्र में बेसमेंट, कैथल के गांव खानपुर में सामुदायिक केंद्र, गीता निकेतन स्कूल में बालिका छात्रावास निर्माण, सभी वर्गों की धर्मशालाओं में कमरों व बड़े हालों का निर्माण, कलायत में मल्टी जिम हॉल का निर्माण, झांसा में सामुदायिक केंद्र, कैंसर पीडि़तों को प्रधानमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता, कुरुक्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र से करोड़ों रुपये की मंजूरी, शाहाबाद रेलवे स्टेशन पर बठिंडा गाड़ी के ठहराव की कोशिश, एक दर्जन से ज्यादा गांवों में सामुदायिक केंद्र का निर्माण सांसद के कार्यों में शामिल है।