Lok Sabha Election 2019: भाजपा और कांग्रेस में प्रत्याशियों को लेकर बढ़ी बेचैनी
प्रत्याशियों के चयन को लेकर बीजेपी और कांग्रेस की बेचैनी बढ़ गर्इ है। दोनों ही दल सभी सीटों को झटकने के लिए जिताऊ और मजबूत प्रत्याशियों के चयन को हाथ पांव मार रहे हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 13 Mar 2019 10:45 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। मिशन 2019 के लिए भाजपा हो या कांग्रेस, उत्तराखंड के इन दोनों ही राष्ट्रीय दलों की कोशिश पांचों संसदीय सीटों को झटकने की है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा पांचों सीटों हरिद्वार, नैनीताल, टिहरी, पौड़ी और अल्मोड़ा पर कब्जा जमाने में कामयाब रही थी। इससे पहले यानी वर्ष 2009 में ये पांचों सीटें कांग्रेस की झोली में थीं। अब दोनों ही दल सभी सीटों को झटकने के लिए जिताऊ और मजबूत प्रत्याशियों के चयन को हाथ-पांव मार रहे हैं। इसी वजह से दलों की बेचैनी बढ़ी हुई है।
साल 2014 में मोदी लहर पर सवार होकर सभी पांच सीटने वाली भाजपा इस चुनाव में भी इतिहास दोहराने के लिए फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही है। इस बार भी मोदी लहर का ही आसरा है, लेकिन पार्टी का जिताऊ के साथ ही 75 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों को भी टिकट देने के पैमाने में शामिल किया है। अधिक उम्र के पैमाने को देखते हुए पौड़ी सीट से सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल (सेनि) भुवनचंद्र खंडूड़ी, नैनीताल सीट से सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के चुनाव लड़ने पर संशय बना हुआ है।
हालांकि पार्टी की ओर से अधिक उम्र के मामले में रुख कुछ ढीला किए जाने के संकेत भी दिए गए हैं। फिलहाल उक्त दोनों की वरिष्ठ नेताओं के चुनाव लड़ने को लेकर उलझन बनी है। वहीं टिहरी सीट से सांसद रानी माला राज्यलक्ष्मी शाह को चुनावी समर में दोबारा उतारने को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। अलबत्ता, पार्टी ने चौंकाया नहीं तो अल्मोड़ा सुरक्षित सीट से सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा और हरिद्वार सीट से सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के टिकट को तकरीबन पक्का माना जा रहा है।
भाजपा के उलट कांग्रेस को सभी पांचों सीटों पर जिताऊ और मजबूत उम्मीदवार की तलाश है। विधानसभा चुनाव से पहले दिग्गज नेताओं की पतझड़ झेल चुकी कांग्रेस के पास पहली पांत के नेता इक्के-दुक्के ही हैं। लिहाजा दूसरी पांत के नेताओं की संभावनाओं को भी शिद्दत से खंगाला जा रहा है। प्रत्याशियों के चयन में कांग्रेस जिताऊ के साथ ही प्रत्याशी की आर्थिक हैसियत की नापजोख में जुटी है। यह भी देखा जा रहा है कि लोकसभा के अपेक्षाकृत महंगे चुनाव खर्च को खुद ही वहन करने की कुव्वत प्रत्याशी में है या नहीं। इस वजह से पार्टी से बाहर के अच्छी माली हालत वाले नेताओं को भी पार्टी में शामिल कराने को लेकर मंथन किया जा रहा है।
इस सबके बीच हरिद्वार सीट पर पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को दावेदारों की दौड़ में आगे बताया जा रहा है। इसके अलावा संजय पालीवाल, राम सिंह सैनी, अंबरीष कुमार के नाम पर विचार किया जा रहा है। नैनीताल संसदीय सीट पर पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद पूर्व सांसद महेंद्रपाल सिंह दौड़ में आगे हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ के नाम भी लिए जा रहे हैं। अल्मोड़ा सुरक्षित सीट पर राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा के अलावा पूर्व विधायक नारायण राम आर्य, पूर्व आइएएस चनर राम, गीता ठाकुर, सज्जन लाल भी दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं।
पौड़ी सीट पर पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी, पूर्व विधायक गणेश गोदियाल, पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी के साथ ही किसी बड़े पूर्व सैन्य अधिकारी अथवा अच्छी माली हैसियत वाले नेता को भी चुनाव मैदान में उतारने पर मंथन चल रहा है। टिहरी सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, पूर्व मंत्री नवप्रभात, राजेश्वर पैन्यूली के नाम पर भी विचार कर रही है। हालांकि जिताऊ और आर्थिक रूप से मजबूत प्रत्याशी के चुनाव की रणनीति के तहत कांग्रेस किसी भी सीट पर नए नाम को सामने कर चौंका भी सकती है।
राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बसपा है। इस चुनाव में बसपा और सपा उत्तरप्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी साथ चुनाव लड़ रही हैं। इससे हरिद्वार और नैनीताल सीटों पर बसपा राष्ट्रीय दलों की मुश्किलें बढ़ाने के लिए मजबूत प्रत्याशियों की ढूंढ में जुटी है। हरिद्वार में अंतरिक्ष सैनी के नाम की चर्चा है। यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2019: कांग्रेस में घमासान, भाजपा में वेट एंड वॉच
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