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राजनीतिक दलों को आइना दिखाती प्रदेश की पहली मानव विकास रिपोर्ट, जानिए क्‍या है विशेष

राज्य में पहली बार आई मानव विकास रिपोर्ट रजनीतिक दलों की हकीकत उजागर कर रही है। यह रिपोर्ट किसी और ने नहीं बल्कि खुद सरकार ने तैयार की है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 24 Mar 2019 11:20 AM (IST)
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राजनीतिक दलों को आइना दिखाती प्रदेश की पहली मानव विकास रिपोर्ट, जानिए क्‍या है विशेष
पिथौरागढ़, रमेश गड़कोटी  : 17 वीं लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में सरकारों के कामकाज का आंकलन जरू री है। राजनैतिक दल कमियों के लिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं, लेकिन राज्य में पहली बार आई मानव विकास रिपोर्ट इन दलों की हकीकत उजागर कर रही है। यह रिपोर्ट किसी और ने नहीं बल्कि खुद सरकार ने तैयार की है। रिपोर्ट में मिले अंक बताते हैं कि पर्वतीय विकास को केंद्र में रखकर बने राज्य में पहाड़ पिछड़ ही रहा है। प्रदेश के विकास का बड़ा हिस्सा राज्य के सिर्फ तीन मैदानी जिलों तक ही सिमट कर रह गया है।

नवंबर 2000 में अलग राज्य का गठन हुआ तो इसके पीछे साफ मंशा थी कि यूपी में रहते हुए पहाड़ी क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया। अपना राज्य बनने पर यहां के नीति-नियंता जरूरत के मुताबिक योजनाएं बनाएंगे पहाड़ का विकास तेज होगा। फिर बारी-बारी से राज्य की सत्ता संभालने वाले दोनों राष्ट्रीय दलों भाजपा व कांग्रेस ने इस मंशा पर पानी फेर दिया। राज्य में पहली बार जारी हुई मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट इसे साबित कर रही है। प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ, उद्योग, रोजगार, लैंगिक समानता, महिला विकास आदि विषयों पर तैयार यह रिपोर्ट राज्य के विकास की पूरी सच्चाई बयां कर रही है। जनवरी माह में जारी रिपोर्ट में साफ है कि उत्तराखंड का पूरा विकास तीन मैदानी जिले देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर में सिमट कर रह गया है। पहाड़ी जिले काफी पीछे चले गए हैं। पहाड़ी जिलों में प्रति व्यक्ति आय तो कम है ही शिक्षा, स्वास्थ जैसी मूलभूत जरू रतों का भी अभाव है। रिपोर्ट को राजनैतिक दल इसलिए सामने नहीं लायेंगे क्योंकि इसमें दोनों ही दल जिम्मेदार नजर आते हैं।

मानव विकास रिपोर्ट

               जनपद                अंक

1.            देहरादून              0.765

2.            हरिद्वार              0.733

3.            यूएसनगर            0.717

4.            चमोली                0.691

5.            पौड़ी गढ़वाल         0.678

6.            पिथौरागढ़            0.675

7.            नैनीताल              0.674

8.            बागेश्वर               0.662

9.            अल्मोड़ा               0.655

10.          उत्तरकाशी           0.630

11.          रुद्रप्रयाग              0.626

12.          चंपावत                0.620

13.         टिहरी गढ़वाल        0.611

लैंगिक अनुपात में पिछड़े मैदानी जिले

मानव विकास रिपोर्ट में मैदानी जिले लैगिंक अनुपात के मामले में पहाड़ों से पीछे हैं। देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में महिलाओं की संख्या पहाड़ी जिलों की तुलना में कम है। पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा जनपद में लिंगानुपात सबसे बेहतर है।

ये थे मुख्य आधार

मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट तैयार करने में जीवन प्रत्याशा यानि आयु, स्कूली शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय को मुख्य आधार बनाया गया। 15 वर्ष की शिक्षा, 80 वर्ष की औसत आयु तथा प्रति व्यक्ति आय के लिए हर साल किया जाने वाला वस्तुओं का उपभोग इसमें शामिल था। इसी आधार पर हर जिले का सर्वे कर अंक दिए गए। इस लिहाज से समग्र में देहरादून पहले नंबर पर रहा।

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