सूफी सिंगर से ऐसे बने राजनेता... ये है Hans Raj Hans की पूरी कहानी
Sufi Singer Hans Raj hans turn to politician भारतीय जनता पार्टी ने हंसराज हंस (Hans Raj Hans) को दिल्ली की नॉर्थ-वेस्ट सीट से टिकट दे दिया है।
By Nazneen AhmedEdited By: Updated: Tue, 23 Apr 2019 02:20 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। 2016 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए मशहूर सिंगर हंसराज हंस (Hans Raj Hans) को बीजेपी ने आज दिल्ली की नॉर्थ-वेस्ट सीट से टिकट दे किया है। इसी के साथ अब हंसराज भारतीय जनता पार्टी के साथ चुनावी पारी खेलने के लिए तैयार हैं। लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के लिए बीजेपी ने उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा (North East Delhi Lok Sabha) सीट पर हंसराज हंस को अपना उम्मीदार घोषित कर दिया है। नामांकन के आखिरी दिन भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) ने उदित राज का टिकट काटकर हंसराज हंस को दे दिया है। हंसराज हंस आज ही अपना नामांकन भी दाखिल करेंगे।
हंसराज के इन गानों पर आज भी झूम जाते हैं लोगपंजाबी सूफी गायक हंसराज का जन्म 30 नवंबर 1953 को पंजाब के जालंधर जिले के शफीपुर गांव में हुआ था। हंसराज 1983 से ही लगातार म्यूजिक इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। इस इंडस्ट्री को उन्होंने कई ऐसे सुपरहिट गाने दिए हैं जो आज भी काफी फेमस हैं। जैसे, दिल चोरी साडा हो गया, टोटे-टोटे हो गया, ये जो सिली-सिली हवा, अल्लाह हू, तेरे बिन नई जीना मर जाना, छम-छम रोएं अखियां। इन गानों से हंसराज ने अपनी खास पहचान बनाई है। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म सोनू की टीटू कि स्वीटी में हंसराज के दिल चोरी साडा हो गया का रिमिक्स भी डाला गया था।
अकाली दल, फिर कांग्रेस और अब बीजेपी
हसंराज के पॉलीटिकल करियर के बारे में बात करें तो उन्होंने एक साल में ही दो पार्टी बदल दी थीं। हंसराज ने 2009 में शिरोमणी अकाली दल के साथ अपने राजनीति सफर की शुरुआत की थी। वह जालंधर सीट से चुनाव भी लड़े थे लेकिन हार गए थे। इसके बाद 2014 को हंसराज हंस ने अकाली दल छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा। फरवरी 2016 में उन्होंने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली। लेकिन कांग्रेस और उनका साथ ज्यादा लंबा नहीं चला। उन्होंने एक साल के अंदर ही कांग्रेस भी छोड़ दी और 10 दिसंबर 2016 को बीजेपी में शामिल हो गए। अब बीजेपी ने हंसराज को टिकट देकर अपनी उम्मीदवार घोषित कर दिया है। देखना होगा की एक गायक के तौर लोगों के फेवरेट बने हंसराज राजनीति में कितने फेवरेट बन पाते हैं।