लोकसभा चुनाव में निषादों की जीत-हार तय करेगी सेंधमारी की पतवार, जानिए क्या है वोटों का जातिगत समीकरण?
Bihar Lok Sabha Election 2024 मुकाबला दो निषादों (मल्लाह) भाजपा के डॉ. राजभूषण चौधरी और कांग्रेस के अजय निषाद में है। पिछले चुनाव में भी इन्हीं में मुकाबला था। इस बार दोनों ने पाला बदल लिया है। भाजपा से टिकट कटने पर अजय निषाद आईएनडीआईए तो दो साल पूर्व वीआईपी से भाजपा में आने वाले डॉ. चौधरी एनडीए से हैं।
प्रेम शंकर मिश्रा, जागरण। बाबा गरीबनाथ, अमर बलिदानी खुदीराम बोस एवं जुब्बा सहनी की जमीन का राजनीतिक प्रभाव उत्तर बिहार के जिलों पर भी पड़ता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की सभा कराई गई। यहां मुकाबला दो निषादों (मल्लाह) भाजपा के डॉ. राजभूषण चौधरी और कांग्रेस के अजय निषाद में है। पिछले चुनाव में भी इन्हीं में मुकाबला था। इस बार दोनों ने पाला बदल लिया है। भाजपा से टिकट कटने पर अजय निषाद आईएनडीआईए तो दो साल पूर्व वीआईपी से भाजपा में आने वाले डॉ. चौधरी एनडीए से हैं।
इस सीट से दो बार अजय निषाद और चार बार उनके पिता कैप्टन जयनारायण निषाद सांसद रहे। लंबे समय तक एक परिवार के सांसद होने से काम का हिसाब देना पड़ रहा। माय (मुस्लिम-यादव) के साथ स्वजातीय निषाद समीकरण के सहारे वह मैदान में हैं। वहीं, डॉ. चौधरी को पीएम मोदी, भाजपा के संगठन एवं पार्टी के कोर वोटर का सहारा है। मुजफ्फरपुर से प्रेम शंकर मिश्रा की रिपोर्ट।टिकट वितरण के समय तक भाजपा काफी मजबूत दिख रही थी, लेकिन अब लड़ाई संघर्षपूर्ण होती जा रही है। बड़े मुद्दे नहीं होने से मतदाताओं में उत्साह की कमी दिख रही है। बोचहां के भरत राम कहते हैं, हम लोग बस मोदी को देख रहे हैं। किसान सम्मान निधि मिल रही। आंख का आपरेशन कराई झोपड़ी में से उनकी पत्नी की आवाज आती है, 'जिनकरे खाय छी, हुनके वोट देबई'। इशारा मुफ्त राशन और आयुष्मान योजना की ओर था। निषाद बहुल इस विधानसभा में सहनी वोटरों में अधिक बिखराव नहीं है। सलहा के राजेंद्र सहनी कहते हैं, कैप्टन निषाद की तरह अजय में अपनापन नहीं है। फिर भी उनके साथ हैं। यह इसलिए कि हमारे नेता मुकेश सहनी हैं। अब तक अधिसंख्य निषाद मतदाताओं का यही कहना है, मगर अगले दो से तीन दिनों में इसमें बदलाव हो सकता है। कारण डॉ. राजभूषण की पत्नी डॉ. कंचनमाला सहनी समाज के घरों में जाकर महिलाओं में पैठ बना रही हैं। पूर्व के चुनाव की तरह अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद ने भी मोर्चा संभाल रखा है।
परिवार से बाहर निकालने की छटपटाहट
पास की वैशाली सीट के राजद उम्मीदवार मुन्ना शुक्ला के स्वजातीय वोटर भूमिहार पर ‘गिव एंड टेक’ का दबाव है। आईएनडीआईए की ओर से सेंधमारी का यही सबसे बड़ा प्रयास है। यानी इस सीट पर यह वोट नहीं मिला तो वैशाली में आईएनडीआईए के कोर वोटर प्रभावित होंगे, मगर इसका अधिक असर नहीं है। मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह कहते हैं, एक परिवार की बंधक बनी सीट से छुटकारा पाने का मौका है। भूमिहार शर्त आधारित राजनीति में नहीं फंसेगा। उनका समाज मोदी के साथ है। वहीं, प्रभात कुमार कहते हैं, मुन्ना शुक्ला के चलते मुजफ्फरपुर ही नहीं, दूसरी सीटों पर भी असर पड़ेगा।
भाजपा के कोर वोटर माने जाने वाले वैश्य में बिखराव की संभावना नहीं बताई जा रही है। पिछले दिनों खरगे की बोचहां के शरफुद्दीनपुर में सभा हुई थी। यहां वैश्यों की बड़ी आबादी है। यहां हर घर में श्रीराम का झंडा बता रहा कि अयोध्या का यहां प्रभाव है। राजद की ओर से कई वैश्य उम्मीदवार देने की चर्चा से इन वोटरों पर प्रभाव डाला जा रहा है। सुमन गुप्ता कहते हैं, हम उम्मीदवार नहीं, देश को देख रहे। हालांकि अश्विनी कुमार कहते हैं, हर जाति अपना प्रतिनिधित्व चाहती है। वैश्यों को भी मिलना चाहिए था।