नेताओं ने बदले दल, क्या मिलेंगे कार्यकर्ताओं के दिल? इन छह सीटों पर बढ़ीं भाजपा-कांग्रेस की धड़कनें
Himachal Pradesh By-elections हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। मगर इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस की धड़कन उनके कार्यकर्ताओं ने बढ़ा दी है। दोनों ही दलों को यह डर सता रहा है कि कहीं कार्यकर्ता कोई खेल न कर दें। उधर कार्यकर्ता भी असमंजस की स्थिति में हैं। नाराज नेताओं को मनाने का दौर भी जारी है।
अनिल ठाकुर, शिमला। हिमाचल में विधानसभा की छह सीटों पर हो रहे उपचुनाव में दोनों प्रमुख पार्टियों के निर्णय ने उन्हें ही असमंजस में डाल दिया है। दल बदलने के बाद प्रत्याशी बने नेताओं को चिंता है कि क्या कार्यकर्ता उन्हें दिल से अपनाते हैं या नहीं। क्या वे उनके साथ चल सकेंगे। दोनों दलों में अंदरखाते यह प्रश्न अवश्य उठ रहा है कि अंतरात्मा की आवाज सुनकर अब कार्यकर्ता ही कोई नया खेल न कर दें।
कार्यकर्ता भी असमंजस में
राजनीतिक गलियारे में भी ऐसी चर्चाएं तैर रही हैं कि ऐसे कार्यकर्ता कम होंगे, जो नेताओं के निर्णय का स्वागत करेंगे। ऐसी स्थिति में कुछ लोग किसी और विकल्प को ढूंढ सकते हैं, इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। कहीं न कहीं ये लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं, जिसका वे विरोध करते रहे, अब वे उसका समर्थन कैसे कर सकते हैं। ऐसी स्थिति कई स्थानों पर देखी भी जा रही है। इस स्थिति में भाजपा और कांग्रेस के सामने भितरघात से निपटने की चुनौती भी है।
विरोध का सामना कर रही भाजपा
भाजपा ने सभी सीटों पर कांग्रेस से आए पूर्व विधायकों को उतारा है। इस कारण भाजपा को सभी जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसी विरोध के कारण सुजानपुर सीट से 2022 में भाजपा प्रत्याशी रहे रणजीत राणा कांग्रेस में शामिल हो गए।इन पर टिकीं निगाहें
लाहौल स्पीति से रामलाल मार्कंडेय और धर्मशाला से राकेश चौधरी भी पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी थे, इस बार दोनों कांग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं। कांग्रेस का टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं।
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भितरघात की आशंका
कुटलैहड़, बड़सर और गगरेट में भाजपा ने नाराज नेताओं को मना लिया है, लेकिन तीनों क्षेत्रों में भितरघात की आशंका है। पार्टी नेताओं के अनुसार वरिष्ठ नेताओं को तो मना लिया गया है, लेकिन उनके समर्थक किस ओर जाएंगे यह अभी देखना होगा।
यहां ब्लॉक कांग्रेस में नाराजगी
कांग्रेस ने गगरेट में भाजपा से आए राकेश कालिया और सुजानपुर में रणजीत राणा को टिकट दिया है। हालांकि, कालिया पहले कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं, लेकिन पिछले चुनाव के दौरान भाजपा का दामन थामा था। दोनों स्थानों पर ब्लॉक कांग्रेस में नाराजगी है।इसी नाराजगी के कारण कांग्रेस के धर्मशाला, लाहौल स्पीति और बड़सर के टिकट घोषित करने में देरी हो रही है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ पहली जून को मतदान होगा।मनाने में जुटी भाजपा
भाजपा नेता भितरघात से निपटने की रणनीति पर काम कर रहे हैं और नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटे हुए हैं। पन्ना प्रमुख सम्मेलनों में भी इस बात को देखा जा रहा है कि नाराजगी है या नहीं। हालांकि, इन्हें मनाने में कितनी सफलता मिली है इसका पता चार जून को परिणाम वाले दिन ही चलेगा।कांग्रेस कर चुकी है आगाह
कांग्रेस प्रदेश महासचिव संगठन रजनीश किमटा की ओर से पार्टी नेताओं को निर्देश जारी किए गए हैं। कहा गया है कि सभी पदाधिकारी अपना दायित्व पूरी निष्ठा व ईमानदारी से निभाएं। पदाधिकारियों को भाजपा के किसी भी षड्यंत्र पर नजर रखने के भी निर्देश दिए हैं। अगर कोई भी पदाधिकारी या कार्यकर्ता पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो सहन नहीं किया जाएगा। पार्टी ने जिसे भी टिकट दिया है, उसकी जीत के लिए सभी को एकजुटता से कार्य करना होगा। पार्टी सर्वोपरि है और उसने जो निर्णय लिया है, सभी को उसका सम्मान करना होगा। ऐसा नहीं होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।मिल बैठकर सुलझाएंगे सभी मामले
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का कहना है कि सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता पार्टी की जीत के लिए काम कर रहे हैं। सभी मामलों को मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा। चुनाव में हम भाजपा का भ्रम तोड़ देंगे।यह भी पढ़ें: 'ओडिशा में भाजपा ही नंबर वन, बीजद ने तो बिचौलिए के हाथ दे दी पार्टी', खास बातचीत में और क्या बोले धर्मेंद्र प्रधानहम सब एक परिवार हैं और सब एक साथ चुनाव में काम कर रहे हैं। लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में पार्टी बड़ी जीत प्राप्त करेगी। - डॉ. राजीव बिंदल, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा।