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'वे शरद पवार को खत्म करना चाहते हैं', बारामती के चुनावी रण और अजित पवार पर क्या बोलीं सुप्रिया सुले? पढ़ें पूरा इंटरव्यू

Supriya Sule Interview इस चुनाव में बारामती महाराष्ट्र की सबसे चर्चित सीट में से एक है। पारंपरिक रूप से पवार परिवार को चुनती रही बारामती की जनता के सामने इस बार परिवार के ही दो लोगों में से एक को चुनना होगा। बारामती से लेकर अजीत पवार की बगावत समेत तमाम मुद्दों पर जवाब दे रही हैं सुप्रिया सुले। पढ़िए इंटरव्यू।

By OM Prakash Tiwari Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 28 Apr 2024 04:51 PM (IST)
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सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती से एनडीए ने अजित की पत्नी सुनेत्रा पवार को उतारा है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। अजित पवार की बगावत के बाद पहले ही पार्टी में टूट झेल चुके शरद पवार के सामने अब अगली चुनौती है अपना गढ़ यानी बारामती लोकसभा सीट बचाने की। यहां से उनकी बेटी सुप्रिया सुले मैदान में हैं तो उनके मुकाबले एनडीए प्रत्याशी के तौर पर सुप्रिया के चचेरे भाई व उप मुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार चुनावी रण में हैं। ऐसे में बारामती की लड़ाई आईएनडीआईए बनाम एनडीए के साथ-साथ परिवार के दो गुटों के बीच भी है। अजित के भाजपा में जाने से लेकर बारामती के मुकाबले समेत अन्य मुद्दों पर सवालों के जवाब दे रही हैं खुद सुप्रिया सुले। पढ़ें जागरण नेटवर्क के साथ उनकी खास बातचीत।

प्रश्न - आप अपनी सभाओं में तानाशाही पर लगाम लगाने की बात कर रही हैं। क्या आपको लगता है कि इस चुनाव में आपका गठबंधन सफल हो पाएगा?

उत्तर - बिल्कुल सफल होगा। देश का मूड तो यही कह रहा है। आईएनडीआइई गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा ही रहेगा, लेकिन मैं मानती हूं कि यदि हम भी सरकार में हों, तो एक सशक्त विपक्षी दल होना ही चाहिए। क्योंकि किसी मजबूत सरकार पर ‘चेक्स एंड बैलेंसेज’ (नियंत्रण) जरूर होने चाहिए। कोई व्यक्ति सुप्रीम पावर नहीं होना चाहिए। किसी भी लोकतंत्र में ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसा नहीं है कि हम सत्ता में हैं, तो हम सब अच्छा ही करेंगे। गलतियां सबसे होती हैं। देश के हित के लिए और एक सशक्त लोकतंत्र के लिए विपक्ष होना बहुत जरूरी है।

प्रश्न - ये तो देशवासी भी महसूस करते हैं। लेकिन जब विपक्ष सेल्फ गोल करने लग जाए तो क्या किया जा सकता है ?

उत्तर - क्यों, भाजपा सेल्फ गोल नहीं करती क्या ? इलेक्टोरल बॉड्स, पेटीएम, किसान का कर्जा, किसका कौन सा भला हुआ है। डेटा देखिए तो महाराष्ट्र में अपराध कितने बढ़ा है। तो क्या ये भाजपा का सब अच्छा ही चल रहा है ? जिनके खिलाफ वह कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देकर लड़ी। वह सारी कांग्रेस तो आज भाजपा में आ गई है। ‘वाशिंग मशीन’ के बारे में देश का बच्चा-बच्चा जान रहा है। ‘आइस’ यानी बर्फ नहीं, इसका अर्थ अब इनकम टैक्स, सीबीआई और ईडी हो गया है।

प्रश्न - बारामती में लोग अब तक सिर्फ एक पवार को चुनते थे। अब पवार परिवार में ही उन्हें किसी एक का चुनाव करना है। बड़े भ्रम में हैं आपके मतदाता।

उत्तर - ये मामला परिवार का नहीं है। ये कोई पारिवारिक संपत्ति का मामला नहीं है। ये संसद की एक सीट का मामला है। इसमें देश की सेवा करने का विषय है। लोगों को तय करना है कि कौन संसद में जाकर उनके और क्षेत्र के भले के लिए काम कर सकता है।

प्रश्न - बारामती में घूमते हुए दिखता है कि यहां वाकई विकास हुआ है। लेकिन जब इस विकास के श्रेय की बात आती है तो कहा जाता है कि ये विकास वहां के विधायक (अजित पवार) द्वारा किया गया है। फिर सांसद (सुप्रिया सुले) की भूमिका कहां नजर आती है ?

उत्तर - ये टीम वर्क से हुआ है। हम सब एक पार्टी के सदस्य थे। जो किया गया है बारामती के लिए, वह मिलकर ही किया गया है। उन्होंने छोड़ा हैं हमें। हमने नहीं छोड़ा उन्हें। उन्होंने दूसरों के साथ जाना तय किया है।

उत्तर - अजितपवार के अलग होने का क्या असर है इस बार के चुनाव पर ?

उत्तर - उनके पास हमारे विरुद्ध बोलने के लिए कुछ है ही नहीं।

प्रश्न - आप भी तो नहीं बोल रहीं, उनके खिलाफ।

उत्तर - मैं तो कभी नहीं बोलती किसी के खिलाफ। मैं 15 वर्ष से सांसद हूं। मुझे कभी आपने किसी पर व्यक्तिगत हमला नहीं किया है। भाजपा के लोगों पर भी नहीं। मैं सिर्फ नीतियों पर बोलती हूं। लोगों पर नहीं।

प्रश्न - बारामती में एक बात और कही जा रही है कि निश्चित रूप से जो विकास दिख रहा है वहां, उसका बीज शरद पवार ने बोया, लेकिन उसे माली की तरह पाला-पोसा अजित पवार ने है।

उत्तर - ये सही है। मैंने कब कहा कि ये गलत है। ये तो टीम वर्क है। मैं मानती हूं कि अजित पवार का काम अच्छा है। मैं इससे इनकार नहीं करती। लेकिन उनकी पार्टी का नेता कौन था ? जब 2019 महाराष्ट्र में हमारी सरकार आई, तो भाजपा से सबसे ज्यादा कौन लड़ा ? हमारे जब 54 विधायक चुनकर आए, तो किसके नाम पर वोट लिए गए थे ? और आप बताइए कि आज बारामती राष्ट्रीय चर्चा का विषय क्यों है ? ये शरद पवार के परिवार का मामला है इसलिए। न अजित पवार मायने रखते हैं, न सुप्रिया सुले मायने रखती हैं। हम दोनों तो इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि हम दोनों के कारण ये सीट चर्चा का विषय बनी हुई है। वास्तव में ये षडयंत्र शरद पवार के खिलाफ है। वे शरद पवार को खत्म करना चाहते हैं। ये मैं नहीं कह रही हूं। ये तो भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल ने साफ कहा है।

प्रश्नः शरद पवार इसे संभाल क्यों नहीं पाए ?

उत्तर - संभालते कैसे ? ये हमारा निर्णय नहीं था। ये तो उनका (अजित पवार) का निर्णय था। 18 साल हमने जनप्रतिनिधि के रूप में साथ-साथ काम किया, और एक-दूसरे की प्रशंसा करते रहे। आज हमें हंसी आती है कि अभी ही उन्हें मेरे काम में कमी क्यों दिख रही है। पार्टी बनाने से लेकर पार्टी को सत्ता में लाने तक का काम शरद पवार ने किया। अजित पवार उसमें साथ थे। मैं थोड़ी कह रही हूं कि उनका काम खराब था। वह कह रहे हैं कि मेरा काम खराब था।

प्रश्न - अजित पवार ने पार्टी तोड़ने के बाद कहा था कि यदि वह शरद पवार के बेटे होते, तो उनके साथ अन्याय नहीं होता।

उत्तर - उनके साथ अन्याय कहां हुआ ? मैं और शरद पवार तो दिल्ली में रहते थे। महाराष्ट्र की राजनीति तो पूरी अजित पवार पर ही छोड़ रखी थी, पवार साहब ने। संगठन और सरकार में उन्हें हमेशा शीर्ष पर रखा गया। उन्हें चार-चार बार उपमुख्यमंत्री बनाया। मुझे तो नहीं बनाया। मैं तो एक सांसद ही रही। कहां अन्याय हुआ उन पर।

प्रश्न - क्या अजित पवार के परिवार से कोई शिकायत है आपको?

उत्तर - मुझे कोई शिकायत नहीं है उनसे। सुनेत्रा पवार या उनके बच्चों का क्या लेना-देना है राजनीति से। उनके मन में कुछ होता, तो कभी तो चर्चा होती परिवार में। मैं तो आज भी उनके साथ बैठने को तैयार हूं।

प्रश्न - और अजित पवार के साथ?

उत्तर - नहीं। क्योंकि उन्होंने मेरे माता-पिता के बारे में बोलना शुरू कर दिया है। उन्होंने मेरी मां के बारे में बोलना शुरू कर दिया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से मेरी मां के बारे में गलत बोला। मेरी मां ने राजनीति से कभी कोई मतलब ही नहीं रखा। इतना ताकतवर नेता की पत्नी होने के बावजूद 57 वर्ष के विवाहित जीवन में उन्होंने कभी मेरे पिता के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों में फोटो तक नहीं खिंचाई। वो कह रहे हैं कि मेरी मां को भी चुनाव प्रचार करना पड़ रहा है। वह तो उन्हें (अजित पवार) को अपने बेटे से भी ज्यादा मानती हैं।

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