'बिहार में अप्रत्याशित परिणाम वाला होगा यह चुनाव', और क्या बोले बिहार कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश? पढ़िए पूरा इंटरव्यू
Lok sabha Election 2024 बिहार चुनाव कांग्रेस प्रभारी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश ने कहा है कि चुनाव एजेंडे पर होता है और भाजपा के पास कोई विजन ही नहीं है। विशेष बातचीत में उन्होंने कई राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि बिहार में यह लोकसभा चुनाव अप्रत्याशित परिणाम वाला होगा। पढ़िए बातचीत में और किन मुद्दों पर उन्होंने अपनी राय रखी।
विकाश चन्द्र पाण्डेय, जागरण। बिहार में धूल-धूसरित कांग्रेस जब अपना स्वर्णिम अतीत तक भूलने लगी हो, वैसे काल में भी मोहन प्रकाश अगर उसके सुनहरे भविष्य का सपना देख रहे तो वह उनकी संगठनात्मक जिजीविषा ही है। उम्र आराम का संकेत कर रही, लगातार की बैठकी और लंबी यात्रा से रीढ़ का दर्द-दबाव उखड़ जा रहा, लेकिन कांग्रेस का हाथ मजबूत किए बिना उन्हें विश्राम नहीं। चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले ही उन्हें बिहार कांग्रेस का प्रभार मिला। तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं था, फिर भी चुनावी अभियान की दशा-दिशा तय करने के लिए सदाकत आश्रम (कांग्रेस का प्रदेश मुख्यालय) में आ डटे हैं। वहां एकांत में हुई उनसे बातचीत का कुछ अंश प्रस्तुत कर रहे हैं विकाश चन्द्र पाण्डेय।
प्रश्र: कांग्रेस की संभावना और अपने प्रभार के संदर्भ में बिहार से संबंधित आपका क्या दृष्टिकोण है? क्या बिहार आपको अवसर देगा?
उत्तर: प्रभार वगैरह संगठनात्मक है। लोकसभा का यह चुनाव बिहार में अप्रत्याशित परिणाम वाला होगा। बिहार हमेशा से राजनीतिक व वैचारिक रूप से बहुत ही जागरूक रहा है। देश के जो हालात हैं, उसमें बिहार बदलाव चाहता है। बिहार में हम कहां जाकर रुकेंगे, अभी नहीं कह सकते। आम जनता, गरीब-मध्यम वर्ग में परिवर्तन की भूख है, क्योंकि लोग परेशान हैं, और कई बार तो लाचारी की स्थिति आ जाती है। इसलिए मौजूदा केंद्रीय सरकार को हर हाल में वे बदलना चाहते हैं।
प्रश्न: बिहार में आपको कई मोर्चे उल्टे पड़े। औरंगाबाद-वाल्मीकिनगर सीट छोड़नी पड़ी। पूर्णिया पर पचड़ा हुआ। लालू ने आपको ऐसी-वैसी सीटें दे दीं, वह भी जैसे कि अहसान हो?
उत्तर: पांच चरण का चुनाव संपन्न हो जाने के बाद गठबंधन और सीट की बात नहीं होती। जब एक बड़े उद्देश्य के लिए लड़ रहे हों तो समझौते करने पड़ते हैं। महागठबंधन में अपनी संभावना की अच्छी सीटों पर हर पार्टी की दावेदारी रही है। गठबंधन में सभी के विचारों का आदर करना होता है। महागठबंधन एकजुट होकर लड़ाई में है। कांग्रेस बिहार की सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।प्रश्न: तो यह माना जाए कि अपनी सीटों-संभावनाओं पर कहीं न कहीं समझौता करना पड़ा है?
उत्तर: पूरे देश के पैमाने पर समझौता करना पड़ा है। यह पहली बार हुआ है कि पंजाब और बंगाल को छोड़ हर राज्य में गैर-भाजपा दल एकजुट हैं। हर सीट पर विपक्ष का इकलौता प्रत्याशी है। पंजाब और बंगाल में भी आपसी सहमति से हम अलग लड़ रहे हैं। वह एक तरह की आम सहमति है।
प्रश्न: चुनाव के लिहाज से बिहार का मोर्चा कहां कठिन लग रहा है?
उत्तर: चारों तरफ तो हवा है। यह सरकार अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार है। इलेक्टोरल बांड ही एक उदाहरण है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय अवैध ठहरा चुका है। कोई दूसरा देश होता तो प्रधानमंत्री को त्यागपत्र देना पड़ता। प्रधानमंत्री को इसका दायित्व लेना होगा, क्योंकि जिसके यहां छापा पड़ा, उसने दूसरे दिन इलेक्टोरल बांड खरीदा और तीसरे दिन भाजपा को दिया।प्रश्न: पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा और बिहार को विशेष दर्जा मिलेगा या नहीं?
उत्तर: इतने पुराने और गौरवशाली विश्वविद्यालय के बारे में प्रधानमंत्री को उत्तर देना चाहिए। सत्ता में आने पर कांग्रेस का पूरा प्रयास पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा देने का होगा। हमारी सरकार आई तो वह तय करेगी कि किन राज्यों की विशेष सहायता करनी है, ताकि वे पूर्ण रूप से विकसित हो सकें। कांग्रेस पहले भी प्रयास करती रही है और आगे भी करेगी। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के वादे पूरे नहीं हुए।