'हम राहुल को PM बनाना चाहते हैं...', शिवसेना ने पूछा- पद अहम या सीट, महाराष्ट्र में बुरी फंसी कांग्रेस!
शिवसेना (यूबीटी) ने पश्चिम महाराष्ट्र की उस सांगली लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया जहां आजतक वह कभी न लड़ी है न जीती है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं मुख्यमत्री रहे वसंतदादा पाटिल के गृह जिले की इस सीट पर 2009 तक लगातार कांग्रेस ही जीतती आई थी। फिर भी कांग्रेस के आग्रह को नजरंदाज करते हुए शिवसेना ने वहां से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। एक कहावत है – ‘गरीब की जोरू, गांव की भौजाई’। आजकल महाराष्ट्र में ये कहावत कांग्रेस पर सटीक बैठती दिखाई दे रही है। उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस की परंपरागत सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। अब कांग्रेस से न रोते बन रहा है, न गाते।
बात ज्यादा पुरानी नहीं है। देश में मोदी लहर उठने से पहले साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जिस कांग्रेस-राकांपा गठबंधन ने मुंबई की सभी लोकसभा सीटें जीतकर शिवसेना-भाजपा गठबंधन का सफाया कर दिया था। बुधवार को अपने लिए उसी मुंबई की सीटें घोषित करते समय शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने उसी कांग्रेस-राकांपा से पूछा तक नहीं।
जबकि अब उद्धव ठाकरे की पार्टी का गठबंधन कांग्रेस-राकांपा से है और उस भाजपा के खिलाफ हैं, जिसके सहयोग से साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वह 18 सीटों के अपने सर्वोच्च आंकड़े तक जा पहुंची थी।
कांग्रेस के किले पर शिवसेना लगा रही सेंध
शिवसेना (यूबीटी) ने पश्चिम महाराष्ट्र की उस सांगली लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया, जहां आजतक वह कभी न लड़ी है, न जीती है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं मुख्यमंत्री रहे वसंतदादा पाटिल के गृह जिले की इस सीट पर साल 2009 तक लगातार कांग्रेस ही जीतती आई थी। साल 2014 और 2019 का चुनाव वहां से भाजपा ने जीता है। फिर भी कांग्रेस के आग्रह को नजरंदाज करते हुए शिवसेना ने वहां से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
कांग्रेस नेताओं से बात करना नहीं चाहते
शिवसेना ही नहीं, वंचित बहुजन आघाड़ी जैसे कम जनाधार वाले दल के नेता प्रकाश आंबेडकर भी कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से बात तक नहीं करना चाहते। कुछ दिनों पहले महाविकास आघाड़ी की गठबंधन वार्ता से तंग आकर उन्होंने सीधे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को ही पत्र लिखा था।प्रकाश आंबेडकर भी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से बात करना उचित नहीं समझते। शरद पवार खुद चूंकि महाराष्ट्र कांग्रेस के ही बड़े नेता रहे हैं। इस समय कांग्रेस के सभी नेता उनसे एक पीढ़ी बाद के ही हैं।
इसलिए वह भी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को कोई खास महत्व नहीं देते। उनकी सीधी बातचीत सोनिया गांधी से ही होती है। साल 2019 में उन्होंने ही सोनिया गांधी से बात करके उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया था।चुनाव से जुड़ी और हर छोटी-बड़ी अपडेट के लिए यहां क्लिक करें
अब महाविकास आघाड़ी के बीच सीटों के बंटवारे में भी वह उस कांग्रेस का पक्ष लेने से कतरा जाते हैं, जो विधानसभा में सबसे कम सदस्यों वाला दल होने के बावजूद अब तक टूट-फूट से बचा रहा है। जबकि खुद उनकी पार्टी राकांपा और शिवसेना के तो दो तिहाई से ज्यादा सदस्य टूटकर दूसरा दल बना चुके हैं।यह भी पढ़ें - Election 2024: दुमका में दिलचस्प जंग, पहली बार आमने-सामने सोरेन परिवार; चुनावी मैदान तक पहुंची पारिवारिक लड़ाई